स्वास्थ्य बीमा में हुए बड़े बदलावों का अब पॉलिसीधारकों की जेब पर पड़ने वाला है असर
हाल ही में स्वास्थ्य बीमा में हुए बड़े बदलावों का असर अब पॉलिसीधारकों की जेब पर पड़ने वाला है. इरडा द्वारा प्रतीक्षा अवधि घटाने और बुजुर्गों के लिए अधिकतम उम्र सीमा की पाबंदी हटाने के बाद इंश्योरेंस कंपनियां स्वास्थ्य बीमा की दरें 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं. इसके चलते प्रीमियम में न्यूनतम एक हजार रुपये तक का बढ़ोत्तरी हो सकता है.
कई कंपनियों ने भेजे मैसेज
बताया जा रहा है कि कई बीमा कंपनियों ने तो प्रीमियम बढ़ाने के संदेश मोबाइल और ईमेल पर पॉलिसीधारकों को भेजने प्रारम्भ कर दिए हैं. संदेश में बोला जा रहा है कि कंपनियां नए नियमों के बाद प्रीमियम में बढ़ोतरी करने के लिए विवश हैं. एचडीएफ एर्गो ने अपने ग्राहकों को भेजे मेल में बोला कि उन्हें प्रीमियम दरें औसतन 7.5 फीसदी से 12.5 फीसदी तक बढ़ानी होंगी.
इरडा ने बदल दिए हैं कई नियम
इरडा के नए नियमों के अनुसार, पहले से उपस्थित रोंगों के लिए प्रतीक्षा अवधि को चार से घटाकर तीन वर्ष कर दिया गया है. प्रतीक्षा अवधि का मतलब है कि यदि कोई पॉलिसीधारक पहले से किसी रोग से पीड़ित है तो बीमा क्लेम करने के लिए वेटिंग पीरियड के समाप्त होने तक प्रतीक्षा करना होगा.
इन रोंगों में हाई बीपी, मधुमेह, थायराइड आदि सभी शामिल हैं. साथ ही इरडा ने मोरेटोरियम पीरियड को भी आठ से घटाकर पांच वर्ष कर दिया है. यानी पांच वर्ष तक बीमा प्रीमियम जमा करने के बाद कंपनियां रोग की जानकारी छिपाने सहित किसी भी आधार पर क्लेम को खारिज नहीं कर सकती हैं. इससे बीमा कंपनियों को लग रहा है कि उनका जोखिम बढ़ जाएगा और अधिक लोगों के क्लेम देना होगा. इस वजह से कंपनियां प्रीमियम बढ़ा रही हैं.
वरिष्ठ नागरिकों को दी गई थी राहत
इसके अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिकों को नए नियमों में राहत दी गई है. अब तक बीमा कंपनियां 65 वर्ष तक के आदमी को ही स्वास्थ्य बीमा बेचते थीं. अब नियमों में परिवर्तन कर यह शर्त हटा दी गई है. इससे कंपिनयां अब 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को भी स्वास्थ्य बीमा खरीदने से नहीं रोक पाएंगी. इरडा के इस निर्णय के बाद अब बीमा कंपनियां वरिष्ठ नागरिकों को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी पेश करेंगी. इससे प्रीमियम पर असर पड़ सकता है.
कोविड के बाद तेजी से बढ़ा प्रीमियम
जानकारों का बोलना है कि कंपनियां प्रीमियम में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोत्तरी कर सकती हैं. वैसे ग्राहक की बढ़ती हुई उम्र के साथ ही कंपनियों के जोखिम में बढ़ोत्तरी होता है, इसलिए प्रीमियम का बढ़ना तय है. हर पांच वर्ष की उम्र के बाद प्रीमियम 10 से 20 प्रतिशत बढ़ जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार, वित्त साल 2019 से लेकर 2024 तक औसत प्रीमियम लगभग 48 प्रतिशत बढ़कर 26,533 रुपये हो चुका है. कोविड के बाद इसमें तेजी आई है.