Reliance AGM:जाने कैसे धीरुभाई ने जीता निवेशकों का भरोसा…
Reliance AGM 2023: रिलायंस इंडस्ट्रीज का एजीएम आज आयोजित किया जा रहा है। कंपनी के 46वीं आम बैठक का आयोजन औनलाइन किया जा रहा है। इसके निवेशक और आमलोग अपने घरों में बैठकर देख सकते हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की एजीएम में कंपनी के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) संबोधित करने वाले हैं। समझा जा रहा है कि इस बैठक में स्टेकहोल्डर्स और इन्वेस्टर्स को काफी जरूरी जानकारियां मिलने वाली है। निवेशकों को आशा है कि बैठक में अंबानी टेलीकॉम और रिटेल बिजनेस के आईपीओ की समय सीमा से जुड़े कई घोषणाएं कर सकते हैं। इसके साथ ही, 5जी से लेकर ग्रीन एनर्जी तक कई बड़ी घोषणाओं की आशा की जा रही है। इसे लेकर पूरा बाजार प्रतीक्षा कर रहा है। रिलायंस उन कंपनियों में शामिल है जिसकी चर्चा राष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में है। इस कंपनी की स्थापना मुकेश अंबानी के पिता धीरूभाई के द्वारा किया गया था।
कौन थे धीरूभाई अंबानी
धीरुभाई अंबानी ऐसे भारतीय उद्योगपतियों की लिस्ट में शामिल हैं जिनकी कहानी प्रेरणा के लिए लोगों को सुनाई जाती है। उन्होंने अकेले अपने बल पर रिलायंस इंडस्ट्रीज साल 1966 में खड़ा किया। धीरुभाई अंबानी का जन्म 28 दिसम्बर, 1932 को गुजरात के छोर्वड़ा गांव में हुआ था। उन्होंने भले ही, इन बड़ी कंपनी की स्थापना की। मगर, उनका शुरूआती जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। उनके परिवार में वित्तीय संकट के कारण उन्होंने शिक्षा की पूरी नहीं की, लेकिन उन्होंने व्यापारिक कौशल प्राप्त किए और उन्होंने अपने जीवन में व्यवसायिक कामयाबी हासिल की। धीरुभाई अंबानी को विभिन्न पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया, जैसे कि पद्मभूषण और हिंदुस्तान रत्न। उनकी मौत 6 जुलाई, 2002 को हुई। आज रिलायंस ग्रुप विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करता है जैसे कि पेट्रोलियम, नेचुरल गैस, पेट्रोकेमिकल्स, टेलीकॉम, रिटेल, जीवन बीमा, NBFC इत्यादि।
धीरुभाई ने जीता निवेशकों का भरोसा
धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस के माध्यम से एक निवेशक पंथ का निर्माण किया। साथ ही, उन्हें हिंदुस्तान में इक्विटी संस्कृति को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। समय के साथ, रिलायंस की लगातार प्रगति को देखते हुए वह अपने शेयरधारकों को कभी निराश नहीं करने के लिए जाने जाते थे। 1977 में रिलायंस टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के आईपीओ ने निवेशकों के बीच नया इतिहास रच दिया। यह इश्यू सात गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था। उसके बाद, धीरूभाई एक निवेशक के प्रतीक बन गए, जो एक रॉक स्टार के उत्साह के साथ रिलायंस एजीएम में हजारों शेयरधारकों को संबोधित करते थे, वह रॉकस्टार जो गाने नहीं गाता था लेकिन लाभांश देता था। लोग स्टेडियम में जमीन पर बैठकर धीरुभाई को सुनने के लिए जमा होते थे।
पेट्रोल पंप पर किया काम
बिजनेस की दुनिया के आईकन कहे जाने वाले धीरूभाई अंबानी पहले धीरुभाई के पास न तो बड़ा नाम था, न पैसे और न ही ठीक राह दिखाने वाला कोई। उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। इसलिए 1949 में वो अपने भाई रमणिकलाल के पास सिर्फ़ 17 वर्ष की उम्र में यमन चले गए। वहां उन्होंने ए बस्सी एंड कंपनी के एक पेट्रोल पंप पर जॉब की। वहां हर महीने उन्हें तीन सौ रुपये मिलता था। उनके तेज दिमाग के कारण उन्हें जल्द ही, पेट्रोल पंप का मैनेजर बना दिया गया। करीब पांच वर्ष वहां जॉब करने के बाद वो 1954 में हिंदुस्तान आए। वापस आने के बाद धीरुभाई जॉब नहीं करना चाहते थे। उन्हें अपने व्यापार करने का मन बना लिया। फिर, अपनी मेहनत और लगन से 62,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक बन गए।
ऐसे हुई रिलायंस की शुरूआत
भारत आने के बाद धीरुभाई ने भारतीय बाजार के बारे में जानकारी जुटानी प्रारम्भ कर दी। उन्होंने पाया कि हिंदुस्तान में सबसे अधिक मांग पोलिस्टर की थी। जबकि, विदेशों में भारतीय मसालों की मांग थी। फिर, धीरुभाई ने अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की सहायता से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी बनाई। मुंबई में एक छोटे स्थान पर एक मेज, तीन कुर्सी, एक टेलीफोन और दो सहयोगियों के साथ काम प्रारम्भ किया। कंपनी के माध्यम से विदेश में मसाला बेचा जाता और वहां से हिंदुस्तान पोलिस्टर लाया जाता। मसाले के निर्यात में फायदा होने के बाद उन्होंने अपने व्यापार को और बढ़ाने की प्रयास की। उन्होंने अपना ध्यान सिंथेटिक कपड़ों की ओर लगाया। इसके बाद 1966 में धीरुभाई ने रिलायंस टेक्सटाइल के नाम से गुजरात के अहमदाबाद में एक कपड़ा मिल की आरंभ की। जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।
धीरूभाई अंबानी के मृत्यु के बाद बने कंपनी के चेयरमैन
अंबानी रिलायंस के निदेशक मंडल में 1977 से हैं और जुलाई, 2002 में अपने पिता और समूह के संस्थापक धीरूभाई अंबानी के मृत्यु के बाद कंपनी के चेयरमैन बन गए थे। शेयरधारकों को भेजे गए विशेष प्रस्ताव में रिलायंस ने बोला कि उसके निदेशक मंडल ने 21 जुलाई, 2023 को मुकेश अंबानी को व्यवस्था निदेशक के तौर पर आगे पांच वर्ष के लिए नियुक्ति करने को स्वीकृति दे दी है। प्रस्ताव में बोला गया कि अंबानी ने वित्त साल 2008-09 से वित्त साल 2019-20 तक अपना वार्षिक पारिश्रमिक 15 करोड़ रुपये तय किया था। इसके बाद वित्त साल 2020-21 के बाद से उन्होंने Covid-19 महामारी के कारण अपना वेतन छोड़ने का विकल्प चुना। वित्त साल 2020-21 से लगातार तीन सालों तक उन्हें कोई वेतन और लाभ-आधारित कमीशन का भुगतान नहीं किया गया है। प्रस्ताव में बोला गया कि अंबानी के निवेदन पर बोर्ड ने सिफारिश की है कि 19 अप्रैल, 2024 से 18 अप्रैल, 2029 तक प्रस्तावित अवधि के लिए उन्हें कोई वेतन या लाभ-आधारित कमीशन का भुगतान नहीं किया जाएगा।
रिलायंस रिटेल ने बीते वित्त साल में एक अरब लेनदेन का आंकड़ा किया पार
रिलायंस रिटेल ने वित्त साल 2022-23 में एक अरब लेनदेन का आंकड़ा पार कर लिया। रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। वित्त साल 2022-23 में रिलायंस रिटेल के डिजिटल कॉमर्स और नए कॉमर्स व्यवसायों ने इसके 2.60 लाख करोड़ रुपये के राजस्व में 18 फीसदी का सहयोग दिया। कंपनी ने समीक्षाधीन अवधि में 3,300 नयी दकुानें खोलीं। अब उसकी कुल 18,040 दुकानें हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कि वित्त साल 2022-23 में कारोबार सालाना आधार पर 42 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ एक अरब के लेनदेन के आंकड़े को पार कर गया। दुकानों में 78 करोड़ से अधिक ग्राहक आए, जो सालाना आधार पर 50 फीसदी अधिक है।
टाइमलाइन में रिलायंस इंडस्ट्रीज का सफर
1960s: रिलायंस का संवाद सरकारी उपकरणों के साथ बिजनेस प्रारम्भ हुआ, जिसमें विलियम्स सोल्वेंट और पेट्रोलियम रिफाइनरी का काम शामिल था।
1970s: दीरुभाई अंबानी के बेटे मुकेश अंबानी और आनिल अंबानी के साथ, रिलायंस ने पेट्रोलियम रिफाइनिंग में नये क्षेत्रों में विस्तार किया।
1980s: रिलायंस ने पेट्रोकेमिकल उत्पादन में भी कदम रखा और अन्य उद्योगों में विस्तार किया। 1986 में रिलायंस का पहला पब्लिक ऑफर (IPO) हुआ।
1990s: रिलायंस ने टेलीकॉम सेक्टर में प्रवेश किया और अपनी कंपनी “रिलायंस कम्युनिकेशन्स” की स्थापना की।
2000s: मुकेश अंबानी ने अनिल अंबानी के साथ विभाजन किया और रिलायंस इंडस्ट्रीज़ का संचालन मुकेश अंबानी के हाथ में आया। उन्होंने तब से ही विभिन्न क्षेत्रों में मजबूती के साथ काम किया, जैसे कि पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल्स, रिटेल, जीवन बीमा आदि।
2010s: रिलायंस ने जिओ (Jio) नामक एक टेलीकॉम कंपनी की स्थापना की, जिसने भारतीय टेलीकॉम बाजार में क्रांतिकारी बदलाव किया। जिओ ने तेजी से बढ़ते हुए अपने सेवाएँ प्रदान की और दर्शकों को डिजिटल मनोरंजन की विभिन्न सेवाएं प्रदान की।