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पूरे देश की इकोनॉमी से भी आगे निकली ये फार्मा कंपनी

Weight loss Medicine: बढ़ता  वजन आज ग्लोबल परेशानी बन चुका है वेट लॉस के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते, लेकिन डेनमार्क की एक कंपनी ने ऐसी दवाई बनाई, जिससे वजन कम होता है कंपनी का दावा है कि उसकी दवा से लोगों का वेट कम होता है इन दवाओं की दीवानगी ऐसी की कभी बंद होने के कगार पर पहुंची ये कंपनी आज राष्ट्र की इकोनॉमी से भी बड़ी हो चुकी है वजन कम करने वाली दवा ओजेम्पिक और वेगोवी पूरे विश्व में सनसनी बन चुकी है इन दो दवाओं की वजह से डेनमार्क की 100 वर्ष पुरानी का न सिर्फ़ जीवनदान मिला, बल्कि कंपनी का बाजार कैप आज डेनमार्क की पूरी अर्थव्यवस्था से बड़ा हो चुका है दुनिया की सबसे अधिक वैल्यूएबल कंपनियों में इसका नाम शुमार है

देश की इकॉनमी से भी बड़ी  

ओजेम्पिक और वेगोवी दवा बनाने वाली डेनिश फार्मा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क  का बाजार कैप 570 अरब $ है, जबकि डेनमार्क की पूरी इकोनॉमी 406 अरब $ की है वर्ष 2011 में वेट लॉस की दवा लॉन्च करने से पहले कंपनी का बाजार कैप 111 अरब $ था, आज यह पूरे यूरोप की सबसे वैल्यूएबल कंपनी बन चुकी है  डेनमार्क की कंपनी Novo Nordisk की वेट लॉस मेडिसीन का इस्तेमाल  एलन मस्क भी करते हैं इसके अतिरिक्त पूरे विश्व के देशों, हॉलीवुड में भी इसकी भारी डिमांड है वर्ष 2021 में अमेरिका में वजन कम करने वाली इस दवा को स्वीकृति मिली थी

डेनमार्क को भी मिला फायदा, कंपनी के हिसाब से बन रहे कायदे कानून  

नोवो नॉर्डिस्क को हो रहे मुनाफे, निवेश और रिकॉर्ड प्रोडक्शन के चलते डेनमार्क की अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत का बढ़ोत्तरी हुआ है कंपनी ने बीते वर्ष 2.5 अरब $ का तो केवल टैक्स भरा है कंपनी के बढ़ने से डेनमार्क की इकॉनमी को लाभ पहुंच रहा है जानकारों का ये भी बोलना है कि यदि ये कंपनी न होती तो डेनमार्क की अर्थव्यवस्था मंदी के भंवर में फंस जाती कंपनी की वजह से राष्ट्र का निर्यात बढ़ा है बढ़ते निर्यात ने केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरों को कम रखने के लिए विवश किया इस कंपनी की वजह से कॉरपोरेट टैक्स से गवर्नमेंट का खडाना 10 गुना बढ़ा डेनमार्क में बेरोजगारी रेट में दो-तिहाई की कमी आई है  स्थिति ऐसी बन गई है कि गवर्नमेंट कंपनी को देखते हुए नीतियां बना रही है केवल गवर्नमेंट ही नहीं यहां की यूनिवर्सिटी भी कंपनी के हिसाब से कोर्स बना रही है

कंपनी के हाथों में राष्ट्र की तकदीर  

आज ये कंपनी राष्ट्र पर इतना हावी हो गया है कि डेनमार्क की तकदीर इसपर हावी हो गई है  हालांकि कंपनी के इस दबदबे को लेकर जानकार ‘नोकिया इफेक्ट’ के डर की संभावना जता रहे हैं बता दें कि नोकिया फिनलैड की सबसे बड़ी कंपनी हुआ करती थी फिनलैड की जीडीपी में उसकी हिस्सेदारी 4 प्रतिशत की थी वर्ष 2009 में नोकिया को हुए हानि का असर पूरे राष्ट्र की इकॉनमी पर दिखा नोकिया की विफलता और ऋण संकट के चलते फिनलैंड की जीडीपी 8.1 प्रतिशत तक गिर गई हालांकि डेनमार्क गवर्नमेंट इस खतरे से इनकार कर रही है

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