आखिर रात को क्यों और कहां जाते थे Irrfan Khan…
जब इरफ़ान खान ने बोला कि वह कभी सिनेमाघर नहीं करेंगे?
नेशनल विद्यालय ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में दाखिले के समय का जिक्र करते हुए चटर्जी ने कहा- ”इरफान खान बहुत निष्ठावान अदाकार थे। जब वह एनएसडी में एडमिशन के लिए आए तो उन्होंने साक्षात्कार बोर्ड से बोला कि वह कभी ड्रामा नहीं करेंगे, क्योंकि उनकी रुचि का क्षेत्र फिल्में हैं. उन्होंने कहा- ‘मैं फिल्म अभिनेता ही बनना चाहता हूं.‘ जब उनसे पूछा गया कि आप नेशनल विद्यालय ऑफ ड्रामा में आवेदन क्यों कर रहे हैं? तब उन्होंने बोला कि क्योंकि फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में अभिनय का कोई कोर्स नहीं है। दरअसल, वहां अभिनय कोर्स 1978 में बंद कर दिया गया था.
इसके बाद 2014 में ये दोबारा प्रारम्भ हुआ। उनके उत्तर से पूरी चयन समिति बहुत प्रभावित हुई।” वर्ष 1987 में नेशनल विद्यालय ऑफ ड्रामा (एनएसडी) के गोल्ड मेडलिस्ट आलोक चटर्जी राष्ट्र में सिनेमाघर का एक बड़ा नाम हैं. एनएसडी से स्नातक करने के बाद वह 1982 से 1984 और फिर 1988 से 1990 तक ‘भारत भवन’ के सिनेमाघर में एक अदाकार के रूप में जुड़े रहे. चटर्जी 2018 से 2021 तक मध्य प्रदेश नाट्य विद्यालय (एमपीएसडी) के निदेशक भी थे.
आलोक चटर्जी इरफान खान के अंतिम दिनों तक उनके साथ जुड़े रहे. चटर्जी कहते हैं, ”वह जब भी भोपाल आते थे तो मेरे घर आकर खाना खाते थे। मैं भी उनके घर जाता था। उनकी पत्नी सुतापा भी एनएसडी से थीं. वो हमारे साथ ही पढ़ती थी। एनएसडी में हमने खूब मस्ती की जो जवानी के दिनों में होती है। हम पूरी रात जागते रहे। हमारे पहले वर्ष में तिग्मांशु धूलिया भी थे। हमारे साथ भी ऐसा होता था। हमने न सिर्फ़ नाटकों के लिए रिहर्सल की, बल्कि कई महीने साथ भी बिताए.”