रील बनाकर सोशल मीडिया से कमाई करने वाले इन्फ्लुएंसर्स के लिए आई बड़ी खबर
मौजूदा समय में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का असर समाज में तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए ज्यादातर कंपनियां प्रोमोशंस या ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए अच्छे खासे फॉलोवर्स वाले इन्फ्लुएंसर्स का रुख करने लगी हैं।लेकिन यह साफ है कि टैक्स ऑफिशियल्स प्रभावशाली लोगों के बीच टैक्स चोरी के विरुद्ध कड़ा रुख अपना रहे हैं। इसलिए कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को टैक्सेशन के नियमों के बारे में पता होना होना बहुत महत्वपूर्ण है।
इनकम टैक्स के भीतर आते हैं इन्फ्लुएंसर्स
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ज्यादातर सेल्फ एम्प्लॉयड कैटेगरी के भीतर आते हैं। इसलिए उन्हें सेल्फ एम्प्लॉयड टैक्सपेयर्स के लिए निर्धारित टैक्सेशन नियमों का पालन करना होगा। उन्हें वार्षिक इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना होगा और स्पोंसर्ड पोस्ट, ब्रांड एंडोर्समेंट और प्रोडक्ट प्लेसमेंट से इनकम सहित अपनी पूरी इनकम का खुलासा करना होगा। इनकम कम बताने या टैक्स चोरी करने का कोशिश करने पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा सकती हैं।
कितना है टैक्स रेट
भारत में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर टैक्स की देनदारी किसी अन्य सेल्फ-एम्प्लॉयड आदमी के समान ही है। इन्फ्लुएंसर्स के लिए टैक्स की रेट उनकी इनकम लिमिट पर निर्भर करती है, जो इस प्रकार है –
2.5 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले व्यक्ति- शून्य रुपये
2.5 लाख से अधिक और 5 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले- 5%।
5 लाख से अधिक और 10 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले- 20%।
10 लाख रुपये से अधिक इनकम वाले- 30%।
क्या जीएसटी भी लगेगा?
इनकम टैक्स के अतिरिक्त सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) जैसी अन्य टैक्स लायबिलिटी भी पूरी करनी पड़ सकती हैं। एक वित्त साल में 20 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को GST कानून के अनुसार रेरजिस्ट्रेशन करना होगा। इन्फ्लुएंसर्स की तरफ से दी जाने वाली सर्विसेज 18% GST रेट के अधीन औनलाइन इनफार्मेशन और डेटाबेस एक्सेस ओर रिट्रीवल सर्विसेज (OIDAR) कैटेगरी के भीतर आती हैं।इन्फ्लुएंसर्स को उस GST का भुगतान भी करना पड़ सकता है, जो कंसल्टिंग और ट्रेनिंग सहित उनकी तरफ दी जाने वाली सर्विसेज की वैल्यू पर लगाया जाता है। इन्फ्लुएंसर्स को कटौती का फायदा उठाने और टैक्स लायबिलिटी को कम करने के लिए अपने व्यावसायिक खर्चों, ट्रेवल कॉस्ट और अन्य प्रासंगिक खर्चों का परफेक्ट रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए।
एक्सपर्ट की राय जरूरी
किसी योग्य टैक्स प्रोफेशनल या चार्टर्ड एकाउंटेंट से राय लेना इन्फ्लुएंसर्स के लिए काफी लाभ वाला साबित हो सकता है। क्योंकि वे उनकी विशेष वित्तीय परिस्थितियों के मुताबिक गाइडेंस प्रदान के साथ-साथ टैक्सेशन की जटिलताओं को समझने में उनकी सहायता कर सकते हैं