मनोरंजन

14 साल का राजनीतिक वनवास पूरा करने के बाद गोविंदा ने दोबारा राजनीति में रखा कदम

14 वर्ष का सियासी वनवास पूरा करने के बाद गोविंदा ने दोबारा राजनीति में कदम रखा है. अंतिम बार उन्होंने 2004 का लोकसभा चुनाव जीता था अब महाराष्ट्र से एकनाथ शिंदे शिवसेना में आए और बोला कि ये 14वीं लोकसभा है यह अद्भुत संयोग है कि अब 14 वर्ष बाद मैं राजनीति में वापस आ गया हूं. पिछले वर्ष वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर संसद की सीढ़ियां चढ़े थे हालाँकि, 3-4 वर्ष के भीतर ही उनका राजनीति से मोहभंग होने लगा.

अमिताभ की तरह छोड़ दी राजनीति

अभिनेता से सांसद बने गोविंदा ने तब बोला था कि वह अमिताभ बच्चन की तरह राजनीति छोड़ना चाहते हैं. मुंबई नॉर्थ से जीते गोविंदा के इस निर्णय से कांग्रेस पार्टी को झटका लगा उस समय कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता कह रहे थे कि गोविंदा को टिकट देने का निर्णय गलत है उनसे पहले इलाहाबाद से सांसद बने अमिताभ बच्चन ने भी बहुत जल्द राजनीति को अलविदा कह दिया था

लोकप्रियता के कारण पार्टियां फिल्म अभिनेताओं को राजनीति में लाती हैं लेकिन अदाकार अपने एक्टिंग पर अधिक ध्यान देते हैं. फिल्में न मिलें तो अलग बात है पिछले पांच वर्षों में भी कई मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री हस्तियां संसद में पहुंची हैं लेकिन उनकी उपस्थिति बहुत कम रही है पार्टियों को इस बात से लाभ होता है कि फिल्म अभिनेताओं की लोकप्रियता के आगे बड़े नेता टिक नहीं पाते

तब गोविंदा ने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी

पिछली बार गोविंदा ने मुंबई नॉर्थ से भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राम नाईक को हराया था उस समय यह सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी और कांग्रेस पार्टी की कोई मौजूदगी नहीं थी लेकिन नाइक गोविंदा की लोकप्रियता के सामने टिक नहीं सके. हालांकि, जब गोविंदा ने राजनीति छोड़ी तो कुछ नाराज कांग्रेसियों ने यह भी बोला कि अदाकार का फिल्मी करियर समाप्त होने की कगार पर है. इसी बीच वह राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने आये

फिर गोविंदा ने राजनीति क्यों छोड़ दी?

इस बीच प्रश्न यह है कि तब राजनीति छोड़ने की वास्तविक वजह क्या थी और अब गोविंदा दोबारा राजनीति में क्यों आए हैं. 7 वर्ष पहले एक साक्षात्कार में जब गोविंदा से पूछा गया था कि क्या वह राजनीति में आएंगे तो उन्होंने हंसते हुए बोला था, ‘प्रणाम है भैया और अच्छे से प्रणाम है.’ ऐसा इसलिए क्योंकि मुझे इस विषय का ज्ञान नहीं है क्योंकि जब आपको विषय का ज्ञान नहीं होगा तो आपकी उपस्थिति अच्छी नहीं होगी.

अब जब शिंदे सेना में शामिल हो गए हैं, तो गोविंदा ने राज्य गवर्नमेंट के सौंदर्यीकरण, विकास और बुनियादी ढांचे के कार्यों का वर्णन किया. उन्होंने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 10 वर्ष के कार्यकाल की प्रशंसा करते हुए महाराष्ट्र की शिंदे गवर्नमेंट की प्रशंसा की

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button