हर बड़ी हीरोइन ने ठुकराई थी फिल्म, मिला था ये बड़ा अवॉर्ड
नई दिल्ली: मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की कल्ट क्लासिक कॉमेडी फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ की रिलीज को 41 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस मूवी ने वर्ष 1983 में सिनेमाघरों में दस्तक दी थी। बहुत कम बजट में बनी इस फिल्म पर लोगों ने भर-भरकर प्यार लुटाया था। प्रसिद्ध फिल्ममेकर सुधीर मिश्रा ‘जाने भी दो यारो’ के को-राइटर थे। हाल में उन्होंने कहा कि इस फिल्म बनने के दौरान किस- किस तरह की समस्याएं सामने आई थीं।
ईटाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट के अनुसार, सुधीर मिश्रा ने चंडीगड़ में एक इवेंट के दौरान कहा कि हर लीडिंग अदाकारा ने ‘जाने भी दो यारो’ को अस्वीकार कर दिया था। यहां तक कि ओम पुरी ने स्क्रिप्ट तक नहीं पढ़ी थी और सेट पर शूटिंग के लिए पहुंच गए थे। इसके अतिरिक्त उन्होंने फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर अपना शक जाहिर किया था। सुधीर मिश्रा ने कहा, ‘एक दिन सेट पर ओम पुरी साहब ने मुझसे पूछा-क्या आपने इसे लिखा है? मैंने कहा- क्या आपने स्क्रिप्ट नहीं पढ़ी? पुरी साहब ने कहा- नहीं।’
ओम पुरी ने बिना स्क्रिप्ट पढ़े ही साइन कर ली थी फिल्म
सुधीर मिश्रा ने कहा कि ओम पुरी ने स्क्रिप्ट पढ़े बिना ही फिल्म के अपनी हामी भर दी थी। इसके अतिरिक्त सुधीर मिश्रा ने ये भी खुलासा किया कि नसीरुद्दीन शाह को स्क्रिप्ट को लेकर विरोध थी। उन्हें फिल्म थोड़ी गड़बड़ लगी। इसके बावजूद उन्होंने फिल्म साइन करने का निर्णय क्योंकि उनके सुधीर मिश्रा से उनके अच्छे पर्सनल संबंध थे।
लगभग 7 लाख में तैयार हुई थी फिल्म
‘जाने भी दो यारो’ को बनाने में 6 लाख 84 हजार रुपये खर्च हुए थे। मूवी के लिए सबसे अधिक फीस नसीरुद्दीन शाह को 15 हजार रुपये मिली थी। बाकी सभी स्टार्स को 3-3 हजार रुपये दिए गए थे। इसे सिनेमाघर डायरेक्टर रंजीत कपूर और सतीश कौशिक ने मिलकर लिखा था।
‘जाने भी यारो’ को मिला था ये बड़ा अवॉर्ड
गौरतलब है कि ‘जाने भी दो यारो’ का डायरेक्शन कुंदन शाह ने किया था। यह फिल्म भारतीय राजनीति, नौकरशाही और व्यापार के बीच करप्शन पर एक गहरा व्यंग्य करती है। इसमें नसीरुद्दीन और ओम पुरी के अतिरिक्त रवि बासवानी, पंकज कपूर, सतीश शाह, भक्ति बर्वे और नीना गुप्ता ने अहम किरदार निभाई थी। इस फिल्म को 1984 में सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फिल्म के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।