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LSAD2: सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर बोले दिबाकर बनर्जी, कहा…

Dibakar Banerjee On Sushant Singh Rajput Death: डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी इन दिनों अपनी फिल्म ‘लव संभोग और धोखा-2′ को लेकर खबरों में बने हुए हैं. दिबाकर ये फिल्म जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है. इस समय दिबाकर और फिल्म की पूरी टीम प्रमोशन में जुटी है. ऐसे में हाल ही में दिबाकर ने हाल ही में अपने एक साक्षात्कार में मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को याद कर उनके बारे में बात की. इस दौरान उन्होंने बोला कि कैसे मीडिया ने सुशांत की मृत्यु को कवर किया था.

‘सुशांत की मृत्यु से जुड़ी षड्यंत्र की थ्योरी पर है अफसोस’

‘लव संभोग और धोखा-2′ डायरेक्टर दिबाकर बनर्जी ने हाल ही में सिद्धार्थ कानन को अपना साक्षात्कार दिया. इस दौरान दिबाकर ने अपनी फिल्म के साथ सुशांत सिंह राजपूत को भी याद किया. दिबाकर की फिल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी’ में सुशांत सिंह राजपूत ने काम किया था. ऐसे में सुशांत के साथ उनकी खास बॉन्डिंग रही है. सिद्धार्थ कानन संग वार्ता में दिबाकर ने दिवंगत अभिनेता की अभिनय की जमकर प्रशंसा की. साथ ही उन्होंने सुशांत की मृत्यु से जुड़ी साजिशों की थ्योरी पर अफसोस जताया. दिबाकर ने कहा, ‘जब उनका मृत्यु हुआ था, तो उनकी मौत के कारण के बारे में खबरों में बहुत कुछ चल रहा था. ऐसे में मुझे स्वयं को भी हर चीज से अलग करना पड़ा. मैं सब कुछ देख रहा था सुन रहा था, लेकिन किसी को भी ये कहते हुए नहीं सुन सका कि एक यंग और प्रभावशाली अभिनेता की मौत हुई है.

‘मैंने लोगों को मसालेदार गपशप की खोज करते देखा’

इसके बाद दिबाकर ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘मैं किसी को भी उसके आसपास शोक मनाते नहीं देख सका. मैं सिर्फ़ लोगों को मसालेदार गपशप खोजने की प्रयास करते हुए देख सकता था. इसलिए, मुझे इस स्थिति से दूर जाना पड़ा. कोई यह नहीं कह रहा था कि ‘हम सुशांत को मिस कर रहे हैं.‘ कोई भी इस बारे में बात नहीं कर रहा था कि कैसे एक आउटसाइड जिसका इस इंडस्ट्री से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं उस आदमी ने टेलीविजन में एक्टिंग किया और फिर फिल्मों में अपनी आरंभ की. हर कोई बस षड्यंत्र के बारे में कयास लगा रहा था कि किसने सुशांत को ड्रग्स दिया, किसने उसकी मर्डर की. वह शोक सभा कहां है? जो लोग उनसे प्यार करते थे उन्हें उनकी फिल्मों की स्क्रीनिंग रखनी चाहिए थी और इस पर चर्चा करनी चाहिए थी. हम उनकी सभी अच्छी यादों को संजोकर क्यों नहीं रखते? सुशांत सिंह राजपूत दुख सहने का द्वार बन गया है.

 

 

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