मनोरंजन

बेटे की मौत के बारे में याद कर रो पड़े शेखर सुमन, बोले…

Shekhar Suman on His Son’s Death: एक्टर शेखर सुमन इन दिनों संजय लीला भंसाली की नेटफ्लिक्स सीरीज ‘हीरामंडी’ के लिए तैयार हैं फिल्म के प्रमोशन के लिए वह कई इंटरव्यूज भी दे रहे हैं हाल ही में उन्होंने अपने एक साक्षात्कार के दौरान अपने बड़े बेटे आयुष के मृत्यु का जिक्र किया आयुष के मृत्यु की बात करते हुए शेखर सुमन काफी इमोशनल हो गए और रोने लगे

दअसल, शेखर सुमन (Shekhar Suman) और उनकी पत्नी अल्का ने अपने बेटे आयुष को तब खो दिया था, जब वह महज 11 वर्ष का था आयुष को एंडोमायोकार्डियल फाइब्रोसिस (EMF) नाम की गंभीर और रेयर रोग थी एंडोकार्डियल फाइब्रोएलास्टोसिस एक दिल संबंधी विकार है, जो आमतौर पर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में पाया जाता है

बेटे को याद कर भावुक हो गए शेखर सुमन
शेखर सुमन ने एबीपी लाइव इंटरटेंमेंट के साथ वार्ता में जब अपने दिवंगत बेटे का जिक्र किया तो वह भावुक हो गए शेखर सुमन ने कहा, ”एंडोमायोकार्डियल फाइब्रोसिस (EMF) एक रेयर रोग है, जो अरबों में किसी एक को होती है जितना में जानता हूं हिंदुस्तान में इसके सिर्फ़ तीन या चार मुद्दे ही हो सकते हैं दुर्भाग्य से, इसका कोई उपचार नहीं है; एकमात्र उपचार केवल हार्ट ट्रांसप्लांट ही है

 

‘…लेकिन वह अपने पोते को नहीं बचा सके’
शेखर सुमन ने खुलासा किया कि जब हमें आयुष की रोग के बारे में पता चला, तब डॉक्टर्स ने हमें बोला था कि यह बच्चा 8 महीने से अधिक सरवाइव नहीं कर पाएगा उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता पानी भूषण प्रसाद, जो स्वयं एक हाई प्रोफाइल चिकित्सक थे, जिन्होंने ना जाने कितनी जाने बचाई थीं, लेकिन वह अपने पोते को नहीं बचा सके शेखर सुमन ने कहा, ”आप हमारी निराशा का अंदाजा लगा सकते हैं… हमने पूरे विश्व में उपस्थित किसी भी मेडिकल केयर को नहीं छोड़ा अध्यात्म, दिन-रात प्रार्थना, जो किस्मत में लिखा है वो होकर ही रहता है

‘पूरी रात बेटे के शरीर के साथ लेटा रहा’
आयुष के मृत्यु को याद करते हुए शेखर सुमन ने कहा, ”वह दिन आ गया, जब हमें उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा चिकित्सक के उत्तर देने के बाद मैंने उसे बांहों में भर लिया उसमें अब जान नहीं थी, वह हमें छोड़कर जा चुका था मैं उसके साथ लेटा रहा, उसके शरीर के साथ, पूरी रात, पूरा दिन और रोता रहा अल्का भी बहुत रो रही थी, लेकिन आखिरकार उन्होंने स्वयं को संभाल लिया माता-पिता के लिए अपने बच्चे को विदाई देने, उन्हें आग की लपटों के हवाले करने से बढ़कर और क्या पीड़ा या दुख हो सकता है? हमें आशा थी कि समय दर्द को कम कर देगा, घाव भर देगा, लेकिन इसके बजाय दर्द और अधिक बढ़ गया

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button