बॉलीवुड की इस अभिनेत्री को खुद को अच्छा साबित करने के लिए करनी पड़ी थी काफी मेहनत
मुंबई। फिल्मी दुनिया में स्थान बनाना किसी भी अभिनेता के लिए सरल नहीं होता है। स्वयं को साबित करने के लिए शुरुआती दिनों में काफी स्ट्रगल करना पड़ता है। मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की एक अदाकारा ने भी स्वयं को स्थापित करने के लिए काफी मेहनत की और एक समय ऐसा भी आया जब वह हाइएस्ट पेड अदाकारा में शुमार हो गईं। इस अदाकारा ने पहले अपना नाम बदला और फिर इसके बाद अपनी नाक के कारण काफी रिजेक्शन झेले। लेकिन अपनी मेहनत पर भरोसा था और इसी वजह से एक दिन उनकी किस्मत का ताला खुला।
जिस एक्ट्र्रेस की यहां जिक्र हो रहा है वे हैं माला सिन्हा। 70 से 80 के दशक तक इन्होंने मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में खूब नाम कमाया। इनकी खूबसूरत आंखों के दर्शक दीवाने हो जाया करते थे। माला का जन्म 11 नवम्बर 1936 को कलकत्ता में हुआ था। क्रिश्चिन नेपाली परिवार में जन्मीं माला के लिए मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री में स्थान बनाना आरंभ दिनों में सरल नहीं रहा।
Mala Sinha
नाम और फिर नाक…
माला सिन्हा के पिता का नाम अल्बर्ट सिन्हा था और माला को बचपन में अल्डा नाम दिया गया था। लेकिन माला के लिए यह नाम पेरशानी का सबब बन गया। उन्हें विद्यालय में साथी बच्चे अल्डा की स्थान ‘डाल्डा डाल्ड’ कहकर पुकारते थे। माला को यह बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था। माला ने जब चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम प्रारम्भ किया तो उन्होंने अपना नाम बेबी नजमा रख लिया। बड़े होने के बाद इन्होंने अपना नाम माला सिन्हा कर लिया। माला को अपने नाम के अतिरिक्त नाक को लेकर भी परेशानी झेलनी पड़ी थी। फिल्म के सिलसिले में जब एक दफा वे एक निर्माता से मिलने गईं तो उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ा था। निर्माता का बोलना था ‘इतनी मोटी नाक वाली को कौन हीरोइन बनाएगा।’
गीता बाली ने पहचाना हुनर
माला बांग्ला फिल्मों का हिस्सा थीं और अपनी प्रतिभा से सभी को इम्प्रेस कर रही थीं। एक दफा उनकी मुलाकात मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री की फेमस अदाकारा गीता बाली से हुई। गीता को माला के अंदर की प्रतिभा नजर आई और उन्होंने उन्हें मुंबई आने का न्यौता दिया। मुंबई में गीता ने निर्देशक केदार शर्मा से माला को मिलवाया और यहीं से उनके मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री यात्रा की आरंभ हुई। फिल्म ‘रंगीन रातें’, ‘बादशाह’ और ‘एकादशी’ के जरिए उन्होंने दर्शकों को लुभाया लेकिन असल पहचान ‘हेमलेट’ से मिली। इसके बाद माला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।