आप भी खा रहे हैं एंटीबायोटिक दवाई, तो हो जाए सावधान, वरना…
तमाम दावों के बावजूद आज भी बिहार के लोगों को मुनासिब चिकित्सक की राय नहीं मिल पाती है। इस कारण से ज्यादातर रोगी गैर महत्वपूर्ण दवाएं खासकर एंटीबायोटिक बिना मतलब के खा रहे हैं। यह दवा लाभ पहुंचाने के बदले रोगी को हानि ही पहुंचाती है। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा होते अधिक देखा जाता है। ऐसे में जब रोगी की स्थिति अधिक खराब हो जाती है, तब परेशान होकर रोगी अच्छे चिकित्सक के पास जाते हैं। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। हल्की उपचार भी सर्जरी के स्टेज पर पहुंच जाता है।
बेगूसराय के मेडिसिन एक्सपर्ट डाक्टर अनीश प्रकाश पिछले 15 सालों से रिसर्च पर काम कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया से वार्ता में कहा कि अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल शरीर के इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डाल रहा है। कई चिकित्सक जानकारी के अभाव में खूब एंटीबायोटिक सजेस्ट करते हैं। कुछ चिकित्सक तो एंटीबायोटिक को लेकर मेडिकल साइंस की बातों को भी नहीं मानते हैं। डाक्टर अनीश बताते हैं कि मेडिकल साइंस कहता है कि उपचार से पहले रोगी की जांच होनी चाहिए। जांच रिपोर्ट के आधार पर देखना चाहिए कि कौन से एंटीबायोटिक की रोगी को आवश्यकता है, जो कि शरीर को हानि नहीं पहुंचाएगी। उनकी मानें तो एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल की वजह से इन दिनों हर्ट और फेफड़ा आदि नाजुक अंगों पर असर पड़ने की वजह से लोगों की जान भी जा रही है।
झोला छाप चिकित्सक की वजह से बढ़ रहा खतरा
बेगूसराय के एक निजी हॉस्पिटल पहुंचे आंख के रोगी सुधीर कुमार ने मीडिया को कहा कि उन्होंने एक वर्ष तक गांव के झोलाछाप चिकित्सक से उपचार करवाया था। वहां रोग ठीक होने के बजाए धीरे-धीरे आंख की रोशनी ही कम होती चली गई। अब पता चला कि काफी देर हो चुकी है। दवाई से ठीक नहीं हो सकता है। ग्रामीण स्तर पर ऐसे रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।