पाचन तंत्र को मजबूत कर लिवर को दुरुस्त रखता है ये फल
शाहजहांपुर: जौ को अनाजों का राजा बोला जाता है। जौ खेती किए जाने वाले सबसे पुराने अनाजों में शुमार है। जौ के आटे का सेवन ऋषि मुनियों द्वारा प्राचीन काल में किया जाता रहा है। जौ में कई ढंग के विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं। जिसकी वजह से इसको सुपर फूड बोला जाता है। यह कई रोंगों का खात्मा करने के लिए दवा के तौर पर काम करता है।
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर की गृह विज्ञान की वैज्ञानिक डाक्टर विद्या गुप्ता ने कहा कि जौ के दानों और हरे पौधों का पाउडर बना कर प्रयोग करने से हम स्वास्थ्य संबंधित बहुत सी समस्याओं से बच सकते हैं। जौ में पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, कार्बाेहाइड्रेट, जिंक, ऊर्जा, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, विटामिन बी 6, कैल्शियम, वसा और सोडियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है। जो कि हमें स्वस्थ रखने में बहुत ही मददगार होता है।
पाचन तंत्र को मजबूत कर लिवर को रखता है दुरुस्त
जौ डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत ही लाभ वाला होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। जिस कारण यह खून में शर्करा का असर बहुत धीमी गति से करता है। जौ में उपस्थित फाइबर पाचन तंत्र को मजबूत करता है। लिवर को स्वस्थ रखता है। इतना ही नहीं जौ का नियमित सेवन करने से वजन नियंत्रित होता है।
यूरिक एसिड को करता है कम
जौ का नियमित सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। दिल की रोंगों को दूर करता है। जौ की रोटी खाने से शरीर में यूरिक एसिड कम होता है। गठिया बीमारी में भी फायदा मिलता है।
अवसाद और अनिद्रा को करता है दूर
जौ में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट की वजह से यह बीमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जौ अवसाद और अनिद्रा में भी राहत देता है। जौ रक्त को पतला करता है और रक्त के बहाव को बेहतर बनाए रखने के लिए कारगर है। जिससे दिल बीमारी से संबंधित रोंगों से निजात मिलती है। जौ का सेवन करने से शरीर की थकान दूर होती है। शारीरिक कमजोरी को दूर करता है। हड्डियों को भी मजबूती मिलती है और आस्टियोपोरोसिस रोग में राहत मिलती है।
जौ को कैसे करें आहार में शामिल
डॉ। विद्या गुप्ता ने कहा कि जौ का बिस्कुट बनाकर, ब्रेड बनाकर, जौ के आटे से रोटी बनाकर, जौ का दलिया बनाकर, जौ का सत्तू बनाकर या फिर जौ का पानी भी पिया जा सकता है। इतना ही नहीं इसके हरे पत्तों का पाउडर बनाकर भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। जौ को दूसरे अनाजों और दालों के साथ मिलाकर मल्टीग्रेन आटा बनाया जा सकता है और इसे अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकते हैं।