स्वास्थ्य

बच्चो को ब्राउन शुगर की लत से बचाने के लिये जाने एक्सपर्ट की ये टिप्स

रांची झारखंड की राजधानी रांची के कांके स्थित रिनपास में आए दिन 8 से 10 युवा ब्राउन शुगर की लत से ग्रसित होकर उपचार कराने यहां आ रहे हैं इसके साथ उनके अभिभावक भी अपने बच्चों को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं माता-पिता को अपने बच्चों को इस हाल में देखना किसी ट्रॉमा से काम नहीं है ऐसे में बच्चों के साथ खासकर माता-पिता को भी काउंसलिंग दी जा रही है

रिनपास हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट डॉ मनोज बताते हैं कि अक्सर जब बच्चे अभिभावकों के हाथ से पूरी तरह निकल जाते हैं तब वह हमारे पास लेकर आते हैं, तब तक काफी देर हो चुकी होती है समय रहते यदि माता-पिता कुछ बातों को समझ ले तो ऐसी नौबत ही नहीं आएगी

अभिभावक इन बातों का रखें ख्याल
सुपरिटेंडेंट डॉ मनोज ने कहा कि सबसे पहले तो अभिभावक को चाहिए कि अपने बच्चों पर थोड़ी नजर रखे इसका मतलब यह नहीं है कि उसे बंदी बनाकर रखें बल्कि, उसके साथ समय बिताये उसकी बातों को सुने, जब वह विद्यालय से घर आए तो बैठकर बातें करें और पूछे कि दिन में क्या-क्या हुआ कौन उसके दोस्त बने, किस्से लड़ाई हुई और किस्से दोस्ती हुई यह छोटी-छोटी बातें ही उसके मन को हल्का करेगा बाहर अपने मन को हल्का करने के लिए किसी और को नहीं ढूंढेगा अक्सर बच्चे को नजर अंदाज करते हैं या फिर माता-पिता दोनों अपने काम में इतना व्यस्त रहते हैं कि बच्चों के लिए समय नहीं दे पाते है आईफोन या फिर गिफ्ट देकर उन्हें लगता है कि वह अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं पर यह केवल उनका बिगड़ता का एक तरीका है यदि वाक्य में बच्चों से प्यार है तो उनके साथ बैठिए और बातें कीजिए

 

12 से 16 उम्र होता है बहुत नाजुक
इसके साथ ही, 12 से 16 उम्र जो होता है वह बहुत नाजुक होता है इस समय बच्चे भटकते बहुत अधिक है क्योंकि, उनके मन में तरह-तरह की जिज्ञासा पैदा होती है वह दुनिया को जानना चाहते हैं कई सारी चीज एक्सप्लोर करना चाहते हैं दुनिया उनको यह सारी चीज गलत ढंग से बताती है लेकिन, आप यही सारी चीज उनको ठीक ढंग से बताकर एजुकेट कर सकते हैं वह बच्चा कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएगा उन्होंने आगे कहा कि 12-14 वर्ष के बच्चे के मन में काम वासना को लेकर भी कई सारे मन में प्रश्न होते हैं उसके लिए हर एक चीज नया होता है ऐसे में माता-पिता का दायित्व बनता है कि बच्चों को साफ रूप से सारी चीज अच्छे से समझाए वह बच्चा कभी भी आगे चलकर गलत रास्ते पर नहीं जाएगा वह एक उत्तरदायी आदमी के रूप में विकसित होगालेकिन, माता-पिता को लगता है कि यह सब फालतू की चीज है इन सब चीजों को क्या डिस्कस करना है?

इन हरकतों को देख तो हो जाए अलर्ट
रिनपास की साइकैटरिस्ट चिकित्सक मानसी बताती हैं कि यदि आपका बच्चा हमेशा टेलीफोन में ही बिजी रहता है कभी सोशल नहीं होता या फिर हर बात पर गुस्सा करता है हर बात पर चिड़चिड़ाता है बहुत अधिक गुस्से वाला है सामान को फेंकता है या फिर कोई एक चीज यदि उसे ना दो तो पागलों की तरह हरकत करने लगता है वह अपनी जिद मनवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार है आप समझ जाइए वह किसी नशे की लत में पड़ चुका है ऐसे में फौरन चिकित्सक से कंसल्ट करें और काउंसलिंग करवाये

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