बीपी, शुगर और हार्ट के मरीज गर्मी के मौसम में इन बातों का रखें ध्यान
बदलते मौसम में रोगियों को अपना और अपने स्वास्थ्य का खास ध्यान रखना चाहिए। कई बार ठंड के सीजन में बीपी और शुगर के पेशेंट की खुराक बडा दी जाती है। गर्मी आने के बाद भी वो यही दवा लेते रहते है। लेकिन मौसम बदलने पर उन्हें चिकित्सक से राय लेनी चाहिए। ठंड के सीजन में अक्सर बीपी, शुगर के पेशेंट की दवा की डोज को बढ़ा दिया जाता है। जबकि गर्मी में उन डोज को कम करना होता है। लेकिन लोग इन बातों का ध्यान नहीं रख पाते, इसकी वजह से उन्हें समस्याएं होने लगती है।
गोरखपुर जिला हॉस्पिटल हो या मेडिकल कॉलेज में इन दिनों चक्कर खाने, बीपी और शुगर लो होने के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ऐसे में जिला हॉस्पिटल के CMO चिकित्सक आशुतोष दुबे बताते हैं कि, ठंड के सीजन में बीपी, शुगर के पेशेंट्स की डोज को बढ़ाया जाता है। वहीं इन डोज को गर्मी के सीजन में कम करना चाहिए। हालांकि यह सिचुएशन 20 से 25 प्रतिशत रोगी के साथ ही होता है। बदलते मौसम में हर बार रोगियों को एक बार चिकित्सक से मिलकर राय लेनी चाहिए। दरअसल ठंड में तापमान कम होने से नशे सिकुड़ने लगती हैं। इस वजह से बीपी बढ़ जाता है और यही कारण है की, बीपी को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सक दवा के डोज बढ़ा देते हैं। जबकि गर्मी प्रारम्भ होते ही कुछ रोगियों के बीपी में गिरावट आने लगती है।
बदलते मौसम में करा ले चेकअप
बदलते मौसम में हर रोगी को एक बार चिकित्सक से राय लेनी चाहिए। वह अपनी दवा दिखाकर ही उसका डोज कम और अधिक करना चाहिए। CMO आशुतोष दुबे बताते हैं कि, बिना चिकित्सक के राय लिए अपने किसी दवा के डोज को कम या अधिक ना करें, यह महत्वपूर्ण होता है कि, बदलते मौसम में चिकित्सक की राय जरूर ले वही, हार्ट बीमारी जानकार चिकित्सक आर के गुप्ता बताते हैं कि, ठंड में बीपी को कंट्रोल करने के लिए कुछ दवा का डोज बढ़ाया जाता है। लेकिन वही गर्मी में डोज हैवी होने के वजह से उन रोगियों का बीपी लो हो जाता है। ऐसे में चेकअप के बाद ही उनके डोज को कम या अधिक किया जाता है। यह परेशानी हर रोगी के साथ नहीं होती। लेकिन कुछ रोगियों के साथ होती है। इसलिए चेकअप के बाद ही अपने दवा का डोज कम या अधिक करें।