शोधकर्ताओं ने किया खुलासा, एक लीटर बोतलबंद पानी में 240,000 छोटे प्लास्टिक के टुकड़े…
प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी पीने का शौक रखने वालों के लिए एक चौंकाने वाली समाचार है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी और रटगर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए शोध में खुलासा किया है कि एक लीटर बोतलबंद पानी में औसतन 240,000 छोटे प्लास्टिक के टुकड़े पाए जाते हैं। यह संख्या पहले के अनुमानों से 10 से 100 गुना अधिक है, जो चिंता का एक बड़ा कारण है।
पहले के शोध मुख्य रूप से बड़े आकार के माइक्रोप्लास्टिक पर आधारित थे, लेकिन इस नए शोध ने नैनोप्लास्टिक पर ध्यान केंद्रित किया है। नैनोप्लास्टिक और भी छोटे होते हैं, लगभग एक बाल के व्यास के बराबर, और ये माइक्रोप्लास्टिक के टूटने से बनते हैं। शोधकर्ताओं का बोलना है कि उनका शोध “पहले के अध्ययनों से दो से तीन गुना अधिक नैनोप्लास्टिक का पता लगाता है।”
नैनोप्लास्टिक से समस्याएं
नैनोप्लास्टिक के इतने छोटे आकार के कारण वे सरलता से मानव शरीर में घुस सकते हैं और ब्लड फ्लो में प्रवेश कर सकते हैं। इससे कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी खतरे हो सकते हैं, जिनमें सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव, सेल्स डैमेज और अंगों को हानि शामिल हैं। इसके अलावा, नैनोप्लास्टिक नुकसानदायक कैमिकल को भी ले जा सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य जोखिम और बढ़ जाता है।
नैनोप्लास्टिक का लेवल काफी ज्यादा
शोधकर्ताओं ने अमेरिका में बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी के तीन लोकप्रिय ब्रांडों का टेस्ट किया (उन्होंने ब्रांडों के नामों का खुलासा नहीं किया) और 100 नैनोमीटर आकार के प्लास्टिक कणों का विश्लेषण किया। शोध में पाया गया कि इन बोतलों में नैनोप्लास्टिक का स्तर काफी अधिक था। यह शोध बोतलबंद पानी के प्लास्टिक के खतरों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाता है और इस बात पर बल देता है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करना कितना जरूरी है।
क्या करें और क्या नहीं?
बोटलबंद पानी के बजाय घर पर साफ पानी पीने को अहमियत देना सबसे अच्छा विकल्प है। इसके अलावा, प्लास्टिक की बोतल का इस्तेमाल बार-बार न करें और रीसाइकल करने योग्य या स्टील की बोतल का इस्तेमाल करें। प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करके हम न केवल पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं।
यह शोध एक चेतावनी है कि प्लास्टिक के खतरों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। हमें अपने दैनिक जीवन में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के कोशिश करने चाहिए और स्वस्थ विकल्पों की ओर बढ़ना चाहिए। तभी हम एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य की आशा कर सकते हैं।