जल्द से जल्द शुरू करना होगा जागरूकता अभियान, इन बीमारियों से जुड़ा है फैटी लिवर
साल 2021-2022 में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंस (ILBS) द्वारा दिल्ली के 11 जिलों में किए गए सर्वे में बहुत ही डराने वाला खुलासा हुआ है. इस सर्वे में शामिल 6000 से अधिक लोगों में 56 फीसदी जनसंख्या यानी कि 3468 लोग मेटाबॉलिक डिजीज फैटी लिवर (MAFLD)से ग्रस्त पाए गए हैं.
बता दें कि इनमें से ज्यादातर लोग मोटापे का शिकार हैं. वहीं, फैटी लिवर से पीड़ित 11 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जो पतले और नॉर्मल वेट के हैं.
जल्द से जल्द प्रारम्भ करना होगा जागरूकता अभियान
सर्वे रिपोर्ट के लेखक डॉ एसके सरीन, जो आईएलबीएस के निदेशक भी हैं, ने टीओआई को कहा कि यह सर्वे हिंदुस्तान में एमएएफएलडी के तेजी से बढ़ते मुद्दे पर प्रकाश डालता है. यह जरूरी है कि हम इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाएं और लोगों को इसके बारे में शिक्षित करें.
एमएएफएलडी का मतलब अधिक वजन/मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. यह डिजीज लिवर की गंभीर रोंगों से जुड़ा है, जैसे गैर-अल्कोहल स्टीटोहेपेटाइटिस, लिवर में घाव, लिवर कैंसर से जुड़ा है.
फैटी लिवर के 10-15 वर्ष बाद यह रोग पक्की है
फैटी लिवर हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य गैर-संचारी रोगों से 10-15 वर्ष पहले प्रारम्भ हो जाता है. ऐसे में डॉ सरीन का बोलना है कि फैटी लिवर को रोककर और इसे रिवर्स करके हम एक दशक में इस रोग के घातक परिणामों को रोक सकते हैं.
फैटी लिवर को रोकने के उपाय
आईएलबीएस के निदेशक ने बोला कि एमएएफएलडी जोखिम को कम करने के लिए वेट लॉस, एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट का सेवन बहुत ही लाभ वाला साबित होता है. इसके अतिरिक्त इस कंडीशन को रिवर्स करने के लिए वेट मैनेजमेंट, लिवर सर्जरी, ट्रांसप्लांट और सीआरआरटी थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है.