स्वास्थ्य

कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक के खतरों के बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कहा…

एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन को हिंदुस्तान में कोवीशील्ड के नाम से जाना जाता है. इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया गया था.

कोरोना वैक्सीन से हार्ट अटैक के खतरों के बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका का बयान सामना आया है. कंपनी ने बोला कि रोगियों की सुरक्षा उनकी अहमियत है. एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ है जिन्होंने वैक्सीन की वजह से अपनों को खो दिया या जिन्हें रोंगों का सामना करना पड़ा.

कंपनी ने आगे कहा, “हमारी रेगुलेटरी अथॉरिटी के पास दवाइयों और वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर साफ निर्देश उपस्थित हैं. हम सभी मानकों का पालन करते हैं.” ऐस्ट्राजेनेका वहीं कंपनी जिससे हिंदुस्तान के सीरम इंस्टीट्यूट ने फॉर्मुला लेकर कोवीशील्ड वैक्सीन बनाई थी.

कंपनी ने बोला है कि उनकी रेगुलेटरी अथॉरिटी दवाइयों और वैक्सीन की सुरक्षा के लिए सभी मानकों का पालन करती है.

वैक्सीन लगने के 2-3 महीने में दिखने लगते हैं साइड इफेक्ट्स
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ICMR के पूर्व वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने बोला है कि 10 लाख में से केवल 7-8 लोगों को ही कोवीशील्ड की वजह से साइड इफेक्ट या थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) होने का खतरा है.

न्यूज 18 से वार्ता में वैज्ञानिक ने कहा, “वैक्सीन की पहली डोज के बाद साइड इफेक्ट का खतरा अधिक होता है. वहीं दूसरी और तीसरी डोज के बाद यह न के बराबर हो जाता है. साथ ही आमतौर पर साइड इफेक्ट वैक्सीन लेने के 2-3 महीने बाद नजर आने लगते हैं.

कोवीशील्ड से शरीर में खून के थक्के जमने का खतरा
दरअसल, ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में कहा गया था एस्ट्राजेनेका ने यह बात मानी है कि उनकी वैक्सीन TTS का खतरा होता है. इससे शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट काउंट गिर जाती है. इसकी वजह से ब्रेन इंजरी, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा रहता है. हालांकि ऐसा बहुत रेयर (दुर्लभ) मामलों में ही होगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर इल्जाम है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मृत्यु हो गई. वहीं कई अन्य को गंभीर रोंगों का सामना करना पड़ा. कंपनी के विरुद्ध उच्च न्यायालय में 51 मुकदमा चल रहे हैं. पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है.

अप्रैल 2021 में सामने आया था मामला
दरअसल, अप्रैल 2021 में ब्रिटेन के एक नागरिक जेमी स्कॉट ने यह वैक्सीन लगवाई थी. इसके बाद उनके शरीर में खून के थक्के जम गए थे. इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा था. उनके ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई थी. इसके बाद स्कॉट ने पिछले वर्ष एस्ट्राजेनेका पर मुकदमा कर दिया था.

स्कॉट के वकील ने न्यायालय में दावा किया कि एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन में खामियां हैं और इसके असर को लेकर गलत जानकारी दी गई. ब्रिटेन की कंपनी ने अपनी वैक्सीन का फॉर्मुला हिंदुस्तान के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया के साथ भी शेयर किया था.

ऑस्ट्रेलिया में बैन, ब्रिटेन में इस्तेमाल नहीं हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन
खास बात यह है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ऑस्ट्रेलिया में बैन है. वहीं ब्रिटेन भी अब इसका इस्तेमाल नहीं कर रहा है. वहीं BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुस्तान में वैक्सीन लगवाने वाले करीब 80% लोगों ने कोवीशील्ड की डोज लगवाई थी.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था. इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 वर्ष से कम उम्र के लोगों को दूसरी किसी वैक्सीन का भी डोज दिया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले हानि कोविड-19 के खतरे से अधिक थे.

मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (MHRA) के अनुसार ब्रिटेन में 81 मुद्दे ऐसे हैं, जिनमें इस बात की संभावना है कि वैक्सीन की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मृत्यु हो गई. MHRA के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जूझने वाले हर 5 में से एक आदमी की मृत्यु हुई है.

फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए हासिल किए गए आंकड़ों के अनुसार ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को गवर्नमेंट ने मुआवजा दिया था. इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगवाई थी.

 

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