स्वास्थ्य

डिलीवरी के समय होती है फाइब्रॉयड्स की समस्या, इस समस्या को न करें नजरअंदाज

यूटरस (Utrus) के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर को फाइब्रॉयड्स (रसौली) बोला जाता है दरअसल, हर स्त्री के गर्भाशय में कुछ ऐसी गांठें हो सकती हैं, लेकिन उन्हें ना कोई कठिनाई होती हैं और ना ही उनमें कोई लक्षण नजर आते हैं फाइब्रॉयड्स की परेशानी ज्यादातर डिलीवरी के समय होती है कुल मिलाकर इस परेशानी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए समय रहते इसका ठीक डॉक्टर और ठीक उपचार कराना ही समझदारी है, अन्यथा हंसती खेलती जीवन में ये जहर घोलने का काम कर देती है एक्सपर्ट के मुताबिक, फाइब्रॉयड्स ऐसे ट्यूमर हैं जो कभी बहुत तकलीफदेह मगर नॉन-कैंसरस होती हैं इनके साइज, शेप और इनकी लोकेशन हमेशा एक सी ही हो यह महत्वपूर्ण नहीं है ये यूटरस के भीतर भी हो सकते हैं और इसके बाहर भी चिपके हो सकते हैं

स्त्री बीमारी जानकार (Gynecologist) के मुताबिक, जिस यूटरस में बच्चे नहीं होते, उसमें कभी-कभी फाइब्रॉयड्स आ जाते हैं उनकी ये बात सुन मेरे दिल ओ दिमाग में उन स्त्रियों के चेहरे घूमने लगे, जिन्होंने बच्चे भी पैदा किए, लेकिन फिर भी वो फाइब्रॉयड्स की शिकार हो गईं इनमें कई तो सालोंसाल इससे जूझती रहीं, वहीं कुछ आज भी इस रोग की चपेट में हैं तो आइए गायनेकोलॉजिस्ट डाक्टर अमृता साहा से जानते हैं ये फाइब्रॉयड्स, जिसे एक प्रकार की रसौली भी बोला जा सकता है, होते क्यों है? इनके पैदाइश के कारण क्या हैं? कैसे ये पनपते हैं और कैसे ये समाप्त होते हैं? इनका उपचार क्या है? ये समाप्त होते भी हैं या ताउम्र परेशान करते हैं? क्या ये कैंसर में भी परिवर्तित हो सकते हैं?

क्यों होते हैं फायब्रॉयड्स?

एक्सपर्ट के मुताबिक, फाइब्रॉयड की समस्याओं का ठीक कारण शायद किसी के पास नहीं है लेकिन कई अध्ययनों से पता चलता है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं पहला जेनेटिक परिवर्तन और हार्मोन्स में बदलाव इसके अतिरिक्त यह भी संभावना व्यक्त किया जाता है कि स्त्री के शरीर में उपस्थित संभोग हॉर्मोन प्रोजेस्टरॉन (progesterone) और एस्ट्रोजेन (Estrogen) की अधिक मात्रा इस परेशानी को जन्म देती है फाइब्रॉयड्स में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोरेन पाया जाता है और ये दोनों सामान्य यूटरिन मसल में भी पाए जाते हैं आमतौर पर फाइब्रॉयड्स मीनोपॉज के बाद अपने आप सिकुड़ जाते हैं क्योंकि तब हॉरमोन्स का सीक्रेशन कम हो जाता है वहीं, फाइब्रॉयड एक अनुवांशिक परेशानी भी है ऐसे में यदि आपके परिवार में किसी को ये परेशानी है तो आपको बहुत सावधान रहना चाहिए

फाइब्रॉयड से होने वाले नुकसान

वैसे तो फाइब्रॉयड की परेशानी होने पर महिला की स्वास्थ्य को अधिक हानि नहीं होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान ये परेशानियां बढ़ सकती हैं यदि प्रेग्नेंसी में किसी वजह से सर्जरी करनी पड़ जाए तो अधिक ब्लीडिंग होती है, जिससे कई स्त्रियों को एनीमिया भी हो जाता है एक्सपर्ट के मुताबिक, फाइब्रॉयड्स (fibroids) के चलते समस्याएं गंभीर रूप लेने लगें तो चिकित्सक दवाएं देते हैं और कभी-कभी सर्जरी के लिए भी राय देते हैं उनका मानना है कि कई बार डॉक्टर्स गर्भाशय निकालने जैसे सुझाव तब भी दे डालते हैं जब इसकी आवश्यकता नहीं होती वह कहती हैं कि hysterectomy यानी गर्भाशय का रिमूवल जैसे तरीका अत्याधिक ब्लीडिंग और फाइब्रॉयड्स के केसेस में भी सुझा दिए जाते हैं, जबकि इन समस्याओं में गर्भाशय को शरीर से रिमूव करने की आवश्यकता नहीं भी होती गर्भाशय निकाल देने के बाद न तो आपको पीरियड्स होंगे और न ही आप कभी मां बन पाएंगी

फाइब्रॉयड की जांच और उपचार

डॉ साहा के मुताबिक, फाइब्रॉयड के ट्यूमर की पहचान एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और सीटीस्कैन के जरिए ही होती है इसके बाद इनके आकार और स्थिति को ध्यान में रखकर ही इलाज किया जाता है यदि इसकी वजह से रोगी को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो रही है तो सर्जरी की जरूरत नहीं होती है बता दें कि, मेनोपॉज के बाद ये गांठें स्वयं ही धीरे-धीरे सिकुड़ कर समाप्त हो जाती हैं वहीं, पेल्विक एरिया में तेज दर्द और हैवी ब्लीडिंग जैसे लक्षण नजर आने पर हीट्रोस्कोपी, मेयोमेक्टोमी और हेस्ट्रोकॉमी जैसी तकनीकों से इसकी सर्जरी की जाती है इसकी सर्जरी रोगी के उम्र पर भी निर्भर करती है कम उम्र के रोगियों का लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी से ही इलाज संभव है

फाइब्रॉयड के लक्षण

  • पेट के निचले हिस्से या कमर में भारीपन रहना
  • पीरियड्स के समय ऐंठन के साथ तेज दर्द होना
  • कई-कई दिनों तक हैवी ब्लीडिंग का होना
  • पीरियड्स समाप्त होने पर भी बीच में अचानक ब्लीडिंग
  • सहवास के समय में बेतहाशा दर्द होना
  • यूरिन का प्रेशर बार-बार महसूस होना

क्या खाएं-क्या खाने से बचें

  • सेब, ब्रोकली और टमाटर जैसे ताजे फल और सब्जियां खाने से फायब्रॉएड का खतरा कम हो सकता है
  • ब्लड प्रेशर पर नजर रखें क्योंकि ब्लड प्रेशर का बढ़ना फायब्रॉएड के लिए नुकसानदायक हो सकता है
  • तनाव का स्तर कम करना बहुत महत्वपूर्ण है इसके लिए आप मेडिटेशन या योगा की सहायता ले सकती हैं
  • स्मोकिंग-एल्कोहल से दूरी रखें, क्योंकि बॉडी में एस्ट्रोजन का बढ़ना है फायब्रॉएड के लिए ठीक नहीं है
  • हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ ही चाय-कॉफी यानी कैफीन युक्त चीजों का सेवन कम करना ही बेहतर है
  • इस स्थिति में व्यायाम बहुत महत्वपूर्ण है, ऐसा करने से वजन संतुलित होगा तो ठीक होने की आसार रहेगी

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