सर्दियों में होने वाली इन बीमारियों की देखे सूची
जैसे ही सर्दियों का मौसम दुनिया को कंबल देता है, यह न सिर्फ़ बर्फ के टुकड़ों और आरामदायक कंबलों का जादू बल्कि स्वास्थ्य चुनौतियों का एक सेट भी सामने लाता है। प्रमुख चिकित्सा जानकार सर्दियों के महीनों के दौरान ध्यान देने योग्य प्रमुख रोंगों पर प्रकाश डालते हैं और निवारक तरीकों पर मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं। यहां सर्दियों में होने वाली आम रोंगों की सूची दी गई है:
सामान्य जुकाम
एस्टर सीएमआई हॉस्पिटल के आंतरिक चिकित्सा सलाहकार डॉ ब्रुंडा का बोलना है कि वयस्कों को अक्सर सर्दियों के दौरान प्रति साल दो से तीन बार सर्दी का अनुभव होता है, जिसमें छींक आना, नाक बहना, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण शामिल होते हैं।
इन्फ्लुएंजा (फ्लू)
फ्लू, सामान्य सर्दी से भी अधिक गंभीर वायरल रोग है, जिसमें तेज बुखार, ठंड लगना, थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और खांसी जैसे लक्षण होते हैं। गंभीर मामलों में, यह निमोनिया जैसी जटिलताओं का कारण बन सकता है।
श्वासप्रणाली में संक्रमण
अपोलो क्लिनिक की जनरल फिजिशियन डाक्टर अर्चना रामपुरिया श्वसन संक्रमण के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डालती हैं। ठंडा तापमान सामान्य सर्दी, फ्लू और अस्थमा की स्थिति खराब होने जैसी रोंगों में सहयोग देता है। नियमित रूप से हाथ धोने, फेस मास्क पहनने, गर्म रहने और फ्लू के विरुद्ध टीकाकरण जैसी सावधानियां बरतने से इन जोखिमों को काफी कम किया जा सकता है।
नोरोवायरस
डॉ। ब्रूंडा अत्यधिक संक्रामक नोरोवायरस के बारे में चेतावनी देते हैं, जो अक्सर दूषित भोजन के माध्यम से फैलता है। इसके परिणामस्वरूप उल्टी, दस्त और पेट में ऐंठन जैसे लक्षण होते हैं।
ब्रोंकाइटिस
वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाला ब्रोंकाइटिस खांसी, सीने में दर्द और घरघराहट जैसे लक्षणों के साथ प्रकट होता है।
मौसमी एलर्जी
डॉ। रामपुरिया सर्दियों के दौरान एलर्जी में वृद्धि पर बल देते हैं, जैसे बढ़ी हुई नमी के कारण इनडोर फफूंदी। यह वृद्धि एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर कर सकती है, जिसमें एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा की तीव्रता, पित्ती और एलर्जिक राइनाइटिस शामिल हैं। इन जोखिमों को कम करने के लिए रहने की जगहों को साफ़ और हवादार बनाए रखना जरूरी हो जाता है।
जोड़ों का दर्द और गठिया
ठंड का मौसम जोड़ों के दर्द को बढ़ा देता है, खासकर बुजुर्गों और गठिया से पीड़ित लोगों में। डाक्टर रामपुरिया गर्म रहने, नियमित शारीरिक गतिविधि में संलग्न रहने और जोड़ों को गर्म रखने के लिए मुनासिब कपड़े पहनने की राय देते हैं। गठिया के मरीजों के लिए, पेशेवर मार्गदर्शन में फिजियोथेरेपी की राय दी जाती है।
शुष्क त्वचा की स्थितियाँ
सर्दियों के दौरान नमी में गिरावट के कारण अक्सर त्वचा शुष्क हो जाती है, जिससे जलन और परतदारपन हो जाता है। डाक्टर रामपुरिया नियमित स्नान करके, साफ़-सफ़ाई बनाए रखकर, नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करके और पर्याप्त रूप से हाइड्रेटेड रहकर इससे निपटने का सुझाव देते हैं।
हृदय की समस्याएं
डॉ। रामपुरिया ठंड के मौसम में दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ने की चेतावनी देते हैं, विशेष रूप से पहले से उपस्थित दिल बीमारी वाले व्यक्तियों के लिए। ठंड के मौसम में श्वसन संक्रमण से यह तनाव बढ़ सकता है। गर्म रहना, अचानक परिश्रम से बचना और हृदय-स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी निवारक तरीका हैं।