इन 7 फूड्स में कूट-कूटकर भरा है प्रोटीन, करे डाईट में शामिल
Protein Rich Foods: शरीर के लिए प्रोटीन जरूरी होता है. प्रोटीन को एक माइक्रोन्यूट्रिएंट माना जाता है, जो शरीर को फिट रखने में अहम किरदार निभाता है. प्रतिदिन हमारा शरीर थोड़ा-थोड़ा प्रोटीन इस्तेमाल करता है. ऐसे में शरीर में इसकी कमी न हो. इसके लिए हमे अपनी डाइट में प्रोटीन युक्त चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए. यदि एक बार शरीर में प्रोटीन की कमी होने लगती है, तो इससे गंभीर रोंगों के होने का खतरा बढ़ जाता है.
प्रोटीन के सेवन से मसल्स में भी मजबूती आती है, जिससे जोड़ों के दर्द और सूजन में भी आराम मिलता है. आज हम आपको 7 ऐसे प्रोटीन रिच फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें हर एक आदमी को अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.
दाल
दालों को प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. खासतौर पर चने की दाल और उड़द की दाल में सबसे अधिक प्रोटीन होता है. यदि आप नियमित रूप से अपनी डाइट में दालों को शामिल करते हैं, तो इससे हड्डियां कमजोर नहीं होती है. साथ ही मसल्स पेन से भी छुटकारा मिलता है.
चना
चने में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है. एक कप चने में कम से कम 15 ग्राम प्रोटीन होता है. इसके सेवन से ब्लड प्रेशर तो कंट्रोल में रहता ही है. साथ ही हड्डियां भी मजबूत होती है.
पनीर
जिन लोगों के शरीर में प्रोटीन की कमी रहती है, उन्हें अपनी डाइट में पनीर को जरूर शामिल करना चाहिए. 100 ग्राम पनीर में करीब 18 ग्राम प्रोटीन होता है. इसे आप कच्चा तो खा ही सकते हैं. इसके अतिरिक्त इसकी सब्जी बनाकर भी खाया जा सकता है.
दही
शरीर में प्रोटीन की कमी को दही से भी दूर किया जा सकता है. 170 ग्राम पनीर में कम से कम 17 ग्राम प्रोटीन पाया जा सकता है. यदि आप इसे प्रतिदिन सुबह खाते हैं, तो इससे स्वास्थ्य को अधिक लाभ मिलता है.
टोफू
टोफू में प्रोटीन के साथ-साथ आयरन, फैट्स, कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी और कैल्शियम की भी उच्च मात्रा होती है. ये स्वास्थ्य के लिए काफी हेल्दी होता है. 100 ग्राम टोफू में कम से कम 6.9 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है.
सोयाबीन
सोयाबीन को प्रोटीन का अच्छा सोर्स माना जाता है. 100 ग्राम सोयाबीन में कम से कम 36 ग्राम प्रोटीन होता है. इसे खाने से हड्डियां मजबूत बनती है. साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है.
दूध
दूध में प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है. जो लोग प्रतिदिन एक गिलास दूध पीते हैं, उन्हें हड्डियों से जुड़ी समस्याओं के होने का खतरा बहुत अधिक कम हो जाता है.