स्वास्थ्य

पहाड़ों पर मिलने वाले इन पौधे से है कमाल के फायदे, इसे आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इस्तेमाल करें

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सबसे प्राचीन पद्धति मानी जाती है, जिसे असरदार ढंग से सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है ऐलोपैथिक के अस्तित्व में आने के बाद आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के इस्तेमाल में जरूर कमी देखने को मिली लेकिन अब इसे फिर से बढ़ावा मिलते हुए देखा जा सकता है क्योंकि आयुर्वेद से जुड़कर कई युवाओं ने इसके प्रचार-प्रसार के साथ ही ऐलोपैथिक से उपचार न मिल पाने के बाद भी आयुर्वेद चिकित्सा से उस रोग का उपचार कर रहे हैं

शिवाश्रम में मिल रहा है प्राकृतिक इलाज
आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खुले पहले पंचकर्म हॉस्पिटल की, जिसका नाम शिवाश्रम है यहां लोगों का आयुर्वेद पद्धति से उपचार तो हो ही रहा है, साथ ही प्राकृतिक रूप से मिलने वाली जड़ी-बूटियों से भी रोगों का उपचार हो रहा है आज ऐसे ही एक पौधे और उससे होने वाले लाभ के बारे में हम बात कर रहे हैं, जिसकी जानकारी ‘लोकल 18’ को यहां के योगाचार्य विजय प्रकाश जोशी ने दी है उन्होंने वार्ता में कहा कि पहाड़ों में आमतौर पर सबसे अधिक गठिया बीमारी और जोड़ों में दर्द की कम्पलेन के लोग उनके पास आते हैं इसका उपचार भी हमारे आसपास उपस्थित चीजों से भी सम्भव है

इंडा नाम के पौधे में होते हैं चमत्कारी गुण
पहाड़ों में इंडा नाम का एक पौधा होता है, जिससे अरंडी का ऑयल भी बनाया जाता है, जो जोड़ों के दर्द में एक काफी असरदार होता है उन्होंने कहा कि तिल के ऑयल या अन्य प्रकार से आयुर्वेदिक तेलों के साथ इस पत्ते को बांधने में दर्द से बहुत जल्द राहत मिलती है साथ ही उन्होंने बोला है कि लोग उनके कार्यालय शिवाश्रम से मुफ़्त प्राकृतिक जड़ी बूटियां प्राप्त कर सकते हैं जो कई रोगों में असरदार हैं पिथौरागढ़ में खुले इस आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में पंचकर्म की अनेक पद्धति से भी लोगों का उपचार किया जा रहा है किसी भी प्रकार की परेशानी में राय लेने के लिए आप योगाचार्य विजय जोशी से इस नम्बर 9917712188 पर संपर्क कर सकते हैं

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