स्वास्थ्य

अस्थमा के मरीजों के लिए वरदान है नालों के किनारे मिलने वाला ये कांटेदार पौधा

हमारे आसपास ऐसे हजारों पेड़-पौधे और घास उपस्थित हैं, जिनका इस्तेमाल दवाओं के निर्माण में होता है आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों को बहुत महत्व दिया जाता है अक्सर जब जड़ी-बूटियों की बात होती है, तो तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे अधिक बात होती है लेकिन कई ऐसे पौधे हैं जिनको बहुत अधिक महत्व नहीं मिल पाता ऐसा ही एक पौधा है कटेरी का पौधा आयुर्वेद में कटेरी को औषधि माना जाता है यह एक प्रकार का कटीला पौधा है इसमें एंटी अस्थमा के गुण पाए जाते हैं इसे कई नामों से जाना जाता है कुछ जगहों पर कंटकारी, तो कुछ जगहों पर भटकटैया बोला जाता है

कटेरी को पौधा नहर एवं नालों के किनारे पाया जाता है जिस पर पीले एवं बैंगनी रंग फूल होते हैं एवं इसकी पत्तियां कंटीली होती हैं आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल विभिन्न रोगों का इलाज में किया जाता है इसकी कई अन्य प्रजातियां भी पाई जाती हैं जिन्हें छोटी बड़ी और श्वेत कटेरी भी कहते हैं कंटकारी का मतलब होता है जो गले के लिए अच्‍छी हो ये अस्थमा गले में खराश आदि समस्‍याओं को दूर करने की क्षमता रखता है

इन रोगों के उपचार में कारगर
रायबरेली की आयुर्वेदिक डॉक्टर डाआकांक्षा दीक्षित (एमडी आयुर्वेद) के अनुसार यह पौधा शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभ वाला होते हैं यह कफ और पित्त की समस्याओं को दूर करने में बहुत कारगर होता है इसका इस्तेमाल कई दवाओं के निर्माण में किया जाता है इस पौधे की पत्तियां, जड़, फूल सभी औषधि है इसका स्वाद कड़वा और तासीर गर्म होती है यह मूत्र संबंधी रोग, बुखार, पथरी को ठीक करने में कारगर होता है

इस मात्रा में करें सेवन
डॉ आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि इसकी पत्तियों का काढ़ा पीने से अस्थमा ठीक हो जाता है इसके अर्क का दूध या पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है इसके बीजों का धुआं लेने से दांत का दर्द एवं कीड़े गायब हो जाएंगे इसकी जड़ का इस्तेमाल पथरी के उपचार के लिए किया जाता है इस जड़ी बूटी का पूरा पौधा, जड़ और फल इस्तेमाल में लाया जाता है इसका पाउडर 1 से 3 ग्राम, काढ़ा 40 से 80 मिली लेना सुरक्षित माना जाता है डाक्टर आकांक्षा दीक्षित बताती हैं कि रोगी की स्थिति और रोग के आधार पर इस जड़ी बूटी का रूप और खुराक निर्धारित की जाती है

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