विवेक ओबेरॉय ने अपने मेंटल हेल्थ के बारे में किए ये खुलासे
मेंटल हेल्थ या इमोशनल वेल बीइंग को ज्यादातर नजरअंदाज किया जाता रहा है, जिसके कारण सुसाइड के मामले कभी कम नहीं हुए. हालांकि मेटल हेल्थ के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए आज कई हेल्प लाइन नंबर और ग्रुप बन गए हैं, लेकिन इसके बारे में बात करना आज भी इससे पीड़ित लोगों के लिए आसान नहीं है.
हाल ही में ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए एक इंटरव्यू में विवेक ओबेरॉय ने अपने मेंटल हेल्थ के बारे में खुलासे करके इस ओर एक बार फिर इस मुद्दे पर सबका ध्यान खींचा है. उन्होंने बताया कि उनके जिंदगी में भी ऐसे डार्क फेज आए हैं, जिसमें उनके दिमाग में भी सुशांत सिंह राजपूत की तरह सुसाइड के विचार आते थे. खासकर तब जब पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में कुछ ठीक ना चल रहा हो. लेकिन मेरे परिवार ने मुझे संभाल लिया.
सुशांत के फ्यूनरल में सिर्फ ये सोच रहा था
विवेक ने बताया कि वह सुशांत के फ्यूनरल में शामिल होने वाले चंद लोगों में थे. उन्होंने बताया कि मुझे उस समय सुशांत को देखकर यही सोच रहा था कि यदि तुम आज देख पाते कि तुम्हारे जाने से क्या हुआ है, अगर तुम देख पाते कि तुमसे प्यार करने वाले लोगों का क्या हाल है तो तुम यह कदम कभी नहीं उठाते.
जब मैं मां के गोद में बच्चों जैसा रोया
विवेक ओबेरॉय ने जिंदगी के बुरे फेज से निकलने पर बात करते हुए कहा कि मैं खुशकिस्मत था कि मेरे पास घर, परिवार था, जिसने मुझे उस समय संभाला. मैं जमीन पर बैठकर अपनी मां की गोद में सिर रखकर बच्चों की तरह रोता था. मैं कहता था, ये मेरे साथ ही क्यों हुआ है. मैं एक दिन 40 मिनट तक रोया, तो मां ने पूछा, जब तुम अवॉर्ड जीत रहे थे, फेम और प्यार हासिल कर रहे थे, क्या तब तुमने पूछा था मैं ही क्यों.
जिंदगी खत्म करने का मन करें तो ये जरूर करो
एक्टर में लोगों को सुसाइड थॉट से निपटने का तरीका भी सुझाया. उन्होंने कहा कि जब भी कभी जिंदगी को खत्म करने का मन करे तो अपने दिमाग में सब तेजी से चलाओ, सोचो आप अपनी जिंदगी खत्म करके उन लोगों के साथ क्या करोगे, जो आपसे प्यार करते हैं. क्या आप अपनों को दर्द देना चाहते हैं? नहीं, खुद को प्यार और रोशनी की तरफ पुश करो.