स्वास्थ्य

 विटामिन डी की कमी के कारण महिलाओं को इन बीमारियों का करना पड़ सकता है सामना

घरेलू जिम्मेदारियों के बीच महिलाएं अक्सर अपनी स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती हैं. 30 की उम्र के बाद स्त्रियों का शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है. उन्हें विभिन्न कमियों, रोंगों और कमजोरियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसा ही एक जरूरी पोषक तत्व है विटामिन डी की कमी. विटामिन डी की कमी के कारण स्त्रियों को दिल का दौरा, स्ट्रोक, हड्डियों में दर्द और जोड़ों के दर्द की परेशानी से जूझना पड़ सकता है.

शरीर पर दिखाई देने वाले विटामिन डी की कमी के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

रोग के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि:

विटामिन डी की कमी से स्त्रियों की बीमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बार-बार बीमारियां होने लगती हैं. विटामिन डी शरीर की बीमारी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है और रोंगों से लड़ने में सहायता करता है.

थकान  :

विटामिन डी की कमी से पीड़ित महिलाएं अक्सर थकान और कमजोरी महसूस करती हैं. उनके लिए सामान्य गतिविधियां करना कठिन हो जाता है रक्त शर्करा का स्तर धीरे-धीरे कम हो जाता है.

तनाव  :

हैरानी की बात यह है कि विटामिन डी की कमी का मानसिक स्वास्थ्य पर भी जरूरी असर पड़ता है, खासकर भावनात्मक रूप से संवेदनशील स्त्रियों के लिए. इसलिए विटामिन डी उनके लिए महत्वपूर्ण है इसकी कमी से तनाव और अवसाद हो सकता है.

हृदय बीमारी पर विटामिन डी की कमी का खतरा:

क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी की कमी से सीवीडी का खतरा बढ़ जाता है. इनमें उच्च रक्तचाप, दिल विफलता और इस्केमिक दिल बीमारी शामिल हैं. प्रारंभिक संभावित अध्ययनों से यह भी पता चला है कि पहले से उपस्थित सीवीडी और विटामिन डी की कमी वाले व्यक्तियों में अचानक मौत या उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक होता है. इस बात पर अध्ययन चल रहा है कि विटामिन डी सीवीडी परिणामों में कैसे सुधार कर सकता है.

हड्डियों की कमजोरी:

विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. यदि स्त्रियों में इसकी कोई कमी हो तो उन्हें हमेशा दर्द महसूस होता रहेगा. इस कमी की भरपाई दूध से बने उत्पाद, वसायुक्त मछली, मशरूम आदि के सेवन से की जा सकती है.

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