अर्जेंटीना के परमाणु ऊर्जा आयोग की मारियाना माल्टर टेराडा ने मच्छरों को लेकर कहा…
मच्छरों से निपटना दुनिया के कई राष्ट्रों के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसी प्रयास में अर्जेंटीना के वैज्ञानिक भी लगे हैं। वे एक नयी तकनीक का इस्तेमाल कर डेंगू, जीका और चिकनगुनिया को फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छरों का प्रजनन और नसबंदी कर रहे हैं।
नई तकनीक के तह त मच्छरों का प्रजनन प्रयोगशाला में कराया जाता है। इसके बाद नर और मादा को अलग कर दिया जाता है। फिर नर मच्छरों को एज़ीज़ा परमाणु केंद्र में गामा किरणों से विकिरणित किया जाता है।
ऐसे कम हो जाती है मच्छरों की जनसंख्या
अर्जेंटीना के राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग की मारियाना माल्टर टेराडा ने कहा, ‘यह विकिरण मच्छरों को बांझ बना देता है, लेकिन उन्हें एक विशिष्ट खुराक दी जाती है ताकि वे प्रतिस्पर्धात्मकता न खोएं। फिर मच्छरों को क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है। वे प्रतिस्पर्धी मच्छर बने रहते हैं जो मादाओं के साथ संभोग करेंगे, लेकिन इस संभोग का रिज़ल्ट संतान नहीं होगा। इस तरह, उस क्षेत्र में मच्छरों जनसंख्या कम हो जाती है।’
अर्जेंटीना के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्र विशेष रूप से मच्छर जनित रोंगों से प्रभावित हुआ है, जिसमें 2023 में 68 मौतें हुईं और 130,000 से अधिक पुष्ट मुद्दे सामने आए।
कीटनाशकों की कोई आवश्यकता नहीं
बांज कीट तकनीक – पहली बार 1950 के दशक में अमेरिकी कीटविज्ञानी एडवर्ड एफ। निपलिंग द्वारा प्रारम्भ की गई थी। इसका इस्तेमाल कीटों और बीमारी वाहकों की जनसंख्या को नियंत्रित करने, रोकने और यहां तक कि क्षेत्रीय स्तर पर पूरी तरह समाप्त करने के लिए किया गया है।
2016 में प्रारम्भ हुई परियोजना
एडीज एजिप्टी मच्छर परियोजना 2016 में जीका के प्रकोप के बीच प्रारम्भ हुई। माल्टर ने कहा, “इसने इस रोग को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया, क्योंकि यह देखा गया कि इस रोग से पीड़ित गर्भवती स्त्रियों में विकृतियों वाले बच्चे पैदा हो सकते हैं।’ अर्जेंटीना में स्वास्थ्य अधिकारी अब डेंगू की अगली बड़ी लहर मुकाबला करने की तैयारियों में जुटे हैं, जिसके जनवरी और अप्रैल 2024 के बीच फैलने की आशा है।