जुपिटर के चंद्रमा पर नासा के जूनो ने जो देखा, उड़ गए होश
Nasa Juno Spacecraft: अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए उत्सुक हर कोई होता है। ये अंतरिक्ष के रहस्यों को जानने की चाह ही थी, जिसने आदमी को चांद तक पहुंचा दिया। आदमी भले ही चांद तक पहुंच गया हो लेकिन वैज्ञानिकों की दिलचस्पी आज भी चंद्रमा के रहस्यों को जानने में लगी हुई है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) ने जुपिटर के चंद्रमा को लेकर एक नया खुलासा किया है।
चांद से आई फोटो
जुपिटर के चंद्रमा पर जाने वाले नासा के जूनो अंतरिक्ष यान ने वहां से कुछ फोटो भेजी है। जूनो को वहां पहाड़, लावा ज्वालामुखी और इन दोनों के बीच एक द्वीप जैसा कुछ प्रतिबिंब दिखा है। ये सभी फोटोज़ देखने में तो अच्छी लगती हैं, लेकिन इनके बारे में रिसर्च करना बहुत मुश्किल है।
नासा जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की प्रेस रिलीज में बोल्टन ने कहा, “आईओ बस ज्वालामुखियों से भरा पड़ा है, और हमने उनमें से कुछ में हलचल होते देखा है”। उनका बोलना था कि जो फोटोज़ हमें मिली हैं, उसमें गर्म लावा से भरी संभावित मैग्मा झील है। इसके बीच में द्वीपों का दिखना बहुत ही अद्भुत है। हमारे उपकरणों द्वारा झील के रिकॉर्ड किए गए स्पेक्युलर प्रतिबिंब से पता चलता है कि आयो की सतह के कुछ हिस्से कांच की तरह चिकने हैं, जो पृथ्वी पर ज्वालामुखीय रूप से निर्मित ओब्सीडियन ग्लास की याद दिलाते हैं।
जुपिटर के चंद्रमा आयो पर ज्वालामुखी, लावा झील देखी गई
नासा के जूनो अंतरिक्ष यान ने जुपिटर के चंद्रमा की दो उड़ानें भरीं थीं। पहली दिसंबर 2023 में और दूसरी फरवरी 2024 में। इस दौरान जूनो चंद्रमा की सतह के 930 मील (लगभग 1500 किलोमीटर) के भीतर आया और एक्टिव ज्वालामुखियों को देख पाया। इसने उत्तरी अक्षांशों को देखा और बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा का भी फोटो खींचा।
जूनो ने इस महीने अपनी सबसे हालिया उड़ान भरी थी
नासा का जूनो अंतरिक्ष यान जुपिटर की परिक्रमा करने के काम में लगा हुआ है। जिसके हाल के प्राप्त आंकड़ों से पता चला है कि ग्रह के चंद्रमा में कुछ छिपा है, तो ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। पानी की प्रचुरता और ग्रह के मूल की प्रकृति को समझने में यह आंकड़ें सहायता कर सकते हैं, लेकिन अभी शोध करने के लिए भी बहुत कुछ है।
जूनो ने इस महीने अपनी सबसे हालिया उड़ान भरी थी जो चंद्रमा के 10,250 मील (16,500 किमी) के भीतर आ गई। इसकी अगली उड़ान 12 मई को निर्धारित है। फिर पता चलेगा कि वास्तविक राज और क्या है।
ऑक्सीजन पर हुआ बड़ा खुलासा
नासा का जूनो अंतरिक्ष यान बृहस्पति की परिक्रमा करता है, जिसके पिछले प्राप्त आंकड़ों से पता चला था कि चंद्रमा की सतह से प्रचुर मात्रा में हाइड्रोजन निकलती है, लेकिन यह प्रति सेकंड केवल 18 किलोग्राम ऑक्सीजन पैदा करती है। यह बीते कंप्यूटर मॉडल द्वारा अनुमानित करीब एक हजार प्रति सेकेंड से काफी कम है।
फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खगोल विज्ञानी मनस्वी लिंगम ने कहा था कि इस कमी के बावजूद, हाल के ऑक्सीजन अनुमान अभी भी जीवन के लिए सूक्ष्मजीवियों की आदत के अनुकूल हैं, जैसा कि हमें पता है।