अंतर्राष्ट्रीय

भारत की देसी मिसाइल क्यों मांग रहा रूस…

अंग्रेजी की एक कहावत है “A real friend is one विश्व स्वास्थ्य संगठन walks in when the rest of the world walks out” यानी जब सारी दुनिया साथ छोड़ देती है तब एक सच्चा दोस्त आपका साथ देता है. हिंदुस्तान और रूस की सालों पुरानी दोस्ती पर ये बात एकदम खरी उतरती है. रूस ने हर मौके और हर मोर्चे पर हिंदुस्तान का साथ दिया है. रूस ने हथियारों से हिंदुस्तान की हमेशा सहायता की है. लेकिन अब दुनिया में हिंदुस्तान के हथियारों का बोलबाला है और रूस ने हिंदुस्तान की मिसाइलों को अपने बेड़े में शामिल करने की बात कह दिया है. ऐसे में प्रश्न ये है कि आखिर रूस क्यों हिंदुस्तान की देसी मिसाइल मांग रहा जब उसके पास एक से बढ़कर एक मिसाइलें हैं. दरअसल, रूस के मॉस्को डिफेंस में ये बड़ा खुलासा हुआ है कि रूस को लंबे युद्ध के लिए हिंदुस्तान के मिसाइल की आवश्यकता है. रूस ने हिंदुस्तान के प्रलय मिसाइल को लेकर चर्चा प्रारम्भ कर दी है. 

प्रलय बैलेस्टिक मिसाइल 150 से 500 किलोमीटर दूर स्थित शत्रु के ठिकानों का पूरी तरह से सफाया करने में सक्षम है. फोर्स इंजन पर आधारित इस शार्ट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल को डीआरडीओ ने डेवलप किया है. पिछले वर्ष दिसंबर में लगातार दो दिन में दो बार प्रलय मिसाइल का सफल ट्रायल किया गया था. खास बात ये है कि इसके हमले का कोई तोड़ नहीं है. इंटरसेप्ट मिसाइल भी इसके हमले को नहीं रोक सकती क्योंकि ये मिसाइल हवा में उड़ने के बाद भी स्वयं ही अपना रास्ता बदलने में सक्षम है. इतना ही नहीं इसे मोबाइल लॉन्चर से भी लॉन्च किया जा सकता है. बता दें कि प्रलय मिसाइल की टारगेट ध्वस्त करने की सटीकता 10 मीटर यानी 33 फीट है.

प्रलय मिसाइल की तुलना चीन की डोंग फेंग 12 और रूस की इस्कंदर से की जा सकती है. इस्कंदर का इस्तेमाल यूक्रेन के साथ युद्ध में किया गया था. पाक की रक्षा प्रणाली में भी सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल हैं. प्रलय का अंतिम उड़ान परीक्षण 22-23 दिसंबर, 2021 को किया गया था. उस समय दो भिन्न-भिन्न पेलोड-रेंज कॉन्फिगरेशन में दो मिसाइलों का लगातार परीक्षण किया गया था.

 

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