मालदीव की संसद के लिए मतदान शुरू
माले. मालदीव में संसदीय चुनाव के लिए रविवार को मतदान प्रारम्भ हो गया. इसके अस्थायी रिज़ल्ट देर रात तक घोषित किए जाने की आसार है. यह चुनाव राष्ट्र के मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के लिए बहुत जरूरी है जिनकी नीतियों पर मालदीव में असर बढ़ाने की प्रयास कर रहे हिंदुस्तान और चीन की नजर रहती है. मालदीव हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से जरूरी स्थान पर स्थित है. ऐसे में हिंदुस्तान और चीन मालदीव में अपना असर बढ़ाने की प्रयास करते रहे हैं. मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद हिंदुस्तान और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ गई.
मुइज्जू ने चीन समर्थक रुख अपनाया और राष्ट्र के एक द्वीप पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने का काम किया. राष्ट्रपति के लिए संसद में बहुमत हासिल करना मुश्किल होगा क्योंकि उनके कुछ सहयोगी अलग हो गए हैं तथा अधिक संख्या में दल चुनावी दौड़ में शामिल हो गए हैं. छह सियासी दलों और स्वतंत्र समूहों ने संसद की 93 सीट के लिए 368 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. जनसंख्या वृद्धि संबंधी समायोजन के बाद ये पिछली संसद की तुलना में छह सीट अधिक हैं. लगभग 2,84,000 लोग मतदान करने के पात्र हैं और अस्थायी रिज़ल्ट रविवार देर रात घोषित होने की आसार है.
राष्ट्रपति पद के लिए मुइज्जू का चुनाव अभियान ‘भारत को बाहर करो’ थीम पर आधारित था, जिसमें उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति पर हिंदुस्तान को बहुत अधिक महत्व देकर राष्ट्रीय संप्रभुता से समझौता करने का इल्जाम लगाया था. मालदीव में कम से कम 75 भारतीय सैन्यकर्मी तैनात थे और वे हिंदुस्तान द्वारा दान किए गए दो विमानों का संचालन करने के साथ ही समुद्र में फंसे या आपदाओं का सामना करने वाले लोगों के बचाव कार्य में योगदान करते थे. हिंदुस्तान और मालदीव के बीच संबंध तब और तनावपूर्ण हो गए जब अनेक भारतीय लोगों ने सोशल मीडिया पर मालदीव पर्यटन का बहिष्कार करने का अभियान प्रारम्भ कर दिया.
दरअसल मालदीव के तीन उपमंत्रियों ने लक्षद्वीप में पर्यटन को बढ़ावा देने के पीएम नरेन्द्र मोदी के विचार को लेकर उनके बारे में अपमानजनक बयान दिए थे, जिसके उत्तर में हिंदुस्तान में मालदीव पर्यटन के बहिष्कार का मुहिम चली. मालदीव गवर्नमेंट के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट आई है. मुइज्जू ने इस वर्ष की आरंभ में चीन का दौरा किया था और चीन से आने वाली पर्यटकों तथा उड़ानों की संख्या में वृद्धि पर वार्ता की थी. मालदीव 2013 में चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में शामिल हो गया था, जिसका उद्देश्य पूरे एशिया, अफ्रीका और यूरोप में व्यापार तथा चीन के असर का विस्तार करने के लिए बंदरगाहों और राजमार्गों का निर्माण करना था.