सरबजीत सिंह के हत्यारे आमिर सरफराज की लाहौर में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर की हत्या
लाहौर: पाक की कारावास में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह के हत्यारे आमिर सरफराज उर्फ तांबा की लाहौर में अज्ञात लोगों ने गोली मारकर मर्डर कर दी. सूत्रों ने कहा कि पाक में लाहौर के इस्लामपुरा क्षेत्र में बाइक सवार हमलावरों ने तांबा पर फायरिंग कर दी. इसके बाद उसे गंभीर हालत में हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया. बता दें कि सरबजीत को पाकिस्तानी न्यायालय ने जासूसी और आतंकवाद के इल्जाम में गुनेहगार ठहराया था और 2013 में लाहौर कारावास के अंदर उनकी मर्डर कर दी गई थी.
हाफिज सईद का था बहुत करीबी
गौर करने वाली बात ये है कि तांबा की मर्डर पाक में हो रहीं सिलसिलेवार रहस्यमयी मौतों से जुड़ी हो सकती है, जो या तो हिंदुस्तान में वांटेड क्रिमिनल थे या आतंकी हमलों में शामिल थे. तांबा के पिता का नाम सरफराज जावेद है. इसका जन्म 1979 में लाहौर में हुआ था और वह लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक हाफिज सईद का बहुत करीबी था.
कौन थे सरबजीत सिंह?
सरबजीत सिंह का जन्म पंजाब के तरनतारन जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित भिखीविंड में हुआ था. भारतीय ऑफिसरों के अनुसार, वह एक किसान थे, जो 1990 के दशक की आरंभ में भटककर पाक चले गए थे. इसके बाद पाक की एक न्यायालय ने उन्हें गुनेहगार ठहराया और 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम विस्फोट में कम से कम 14 लोगों की मर्डर के लिए मृत्यु की सजा सुनाई. हालांकि, पाकिस्तानी गवर्नमेंट द्वारा मृत्यु की सजा को बार-बार स्थगित किया गया था.
इसके बाद अप्रैल 2013 में लाहौर की कोट लखपत कारावास में सरबजीत सिंह पर साथी कैदियों – अमीर सरफराज उर्फ तांबा और मुदस्सिर मुनीर ने ईंटों और लोहे की रॉड से धावा कर दिया था और फिर 6 दिन बाद लाहौर के जिन्ना हॉस्पिटल ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. हालांकि सरबजीत को मृत्यु की सज़ा मिलने के बाद से मुद्दा सियासी हो गया था, लेकिन 2013 में कारावास में उनकी मर्डर के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच संबंध बहुत खराब हो गए थे. सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने पड़ोसी राष्ट्र से अपने भाई की रिहाई के लिए कड़ी लंबी लड़ाई लड़ी थी, लेकिन असफल रहीं. बाद में 2022 में अमृतसर में उनकी भी मौत हो गई.
सरबजीत की मर्डर के लिए दोनों के विरुद्ध मुद्दा दर्ज किया गया था, लेकिन पाकिस्तानी न्यायालय ने 2018 में “सबूतों की कमी और अभियोजन पक्ष के गवाहों के मुकरने के कारण” आरोपियों को बरी कर दिया था.