अंतर्राष्ट्रीय

45 साल की अदावत से पहले 31 साल तक पक्के दोस्त रहे दोनों देश, फिर…

हम सुनेंगे सबकी लेकिन करेंगे अपने मन की. इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने इस बयान से साफ कर दिया था कि वो ईरान से बदला लेंगे कब, कहां और कैसे? इस प्रश्न का उत्तर आज सुबह सवेरे मिल गया. जब समाचार आई कि कई दिनों की प्लानिंग के बाद इजरायल ने जुम्मे के दिन ईरान पर धावा कर दिया. आपको याद होगा कि 13 अप्रैल यानी शनिवार के दिन ईरान ने इजरायल पर रॉकेट और ड्रोन दागे थे. शनिवार यहूदियों के लिए पवित्र दिन माना जाता है. इस दिन को यहूदि सब्बाथ कहते हैं. अब इजरायल ने भी इस्लाम के पवित्र दिन शुक्रवार को ईरान पर धावा कर दिया. इजरायल ने ईरान पर एयरस्ट्राइक कर उसके इस्फहान शहर को निशाना बनाया. इससे पहले ईरान की तरफ से इजरायल पर 300 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए गए थे. और उससे भी पहले इजरायल की तरफ से दमिश्वक में इजरायली दूतावास की इमारत को निशाना बनाया गया. हालांकि 19 अप्रैल को हुए इजरायली हमले के बाद ईरान ने आपातकालीन बैठक बुलाई है. कुल मिलाकर कहें तो मीडिया ईस्ट में तनाव बढ़ने के पूरे आसार नजर आ रहे हैं. इजरायल और ईरान एक दूसरे के कट्टर शत्रु बन चुके हैं. दोनों आपस में एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से धावा कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दोनों राष्ट्र कभी एक दूसरे के पक्के दोस्त हुआ करते थे.

इजरायल को मान्यता देने वाला पहला राष्ट्र ईरान

1948 में इजरायल अस्तित्व में आया. उस समय उसे काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा. 1948 में अरब इजरायल वॉर हुआ और फिर 1956 में स्वेज नहर संकट, 1967 में सिक्स डे वॉर, 1973 का युद्ध लेकिन ईरान कभी इन युद्धों में किसी की तरफ से शामिल नहीं हुआ.  इस दौरान दुनिया के अधिकांश मुसलमान राष्ट्र इजरायल के विरुद्ध थे. उसे एक राष्ट्र के तौर पर मान्यता देने से इनकार कर रहे थे. जब सभी मुसलमान राष्ट्र इजरायल के विरुद्ध थे तब ईरान ने ही सबसे पहले इजरायल को मान्यता दी थी. इसके बाद इजरायल ने भारी तादाद में ईरान को हथियार सप्लाई करना प्रारम्भ कर दिया था. फिर ईरान की तरफ से भी इजरायल को ऑयल की सप्लाई की जाने लगी. दोनों राष्ट्रों के बीच दोस्ती इतनी गहरी थी कि इजरायल और ईरान की खुफिया एजेंसियां टेक्नोलॉजी के साथ-साथ ज्वाइंट ट्रेनिंग भी साथ में किए.

इस्लामिक क्रांति के बाद प्रारम्भ हुई रिश्तों में खटास 

ईरान में अयातुल्लाह खुमैनी की प्रतिनिधित्व में इस्लामिक क्रांति की आरंभ हुई. इजरायल के साथ ईरान के संबंध खराब होने लगे. खुमैनी ने अमेरिका और इजरायल को शैतानी राष्ट्र बोलना प्रारम्भ कर दिया. मुसलमान देश की मांग उठने लगे. 1979 में ईरान पूरी तरह से मुसलमान देश बन गया और इसी के साथ इजरायल के साथ ईरान के रास्ते अलग हो गए. दोनों राष्ट्रों के बीच आवाजाही बंद हो गई. एयर रूट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. दोनों राष्ट्रों के कूटनीतिक संबंधों पर विराम लग गया. आगे चल कर संबंध और बिगड़ गए जब ईरान ने इजरायल के विरोधी सीरिया, यमन और लेबनान जैसे राष्ट्रों को हथियार की सप्लाई प्रारम्भ कर दी. अब दोनों राष्ट्र जंग के मुहाने पर खड़े हैं और एक दूसरे पर रॉकेट और मिसाइल दागते नजर आ रहे हैं.

सीधा जंग हुई तो कौन पड़ेगा भारी

इज़राइली सेना के पास 3,000 से अधिक टैंक हैं, जिनमें 441 मर्कवा एमकेआई, 455 मर्कवा एमकेआईआई, 454 मर्कवा एमकेIII, 175 मर्कवा एमकेआईवी और 206 सेंचुरियन मॉडल शामिल हैं. रॉयटर्स के अनुसार, इजरायली सेना के पास लगभग 10,484 बख्तरबंद कार्मिक वाहक (एपीसी) और 5,432 तोपें हैं, जिनमें 620 मोटर चालित और 456 खींचे गए टुकड़े शामिल हैं. रॉयटर्स समाचार एजेंसी के अनुसार, ईरान की सेना के पास 1,613 टैंक हैं, जिनमें 100 क्षेत्रीय रूप से निर्मित ज़ुल्फ़िकार, 1979 की क्रांति से पहले प्राप्त लगभग 100 पुराने ब्रिटिश-निर्मित चीफटेन एमके3 और एमके5 मॉडल, 150 यूएस-निर्मित एम-60ए1 और साथ ही 480 सोवियत-डिज़ाइन किए गए टी-72 शामिल हैं. तेहरान में 8,196 तोपखाने के टुकड़ों के अलावा, लगभग 640 एपीसी भी हैं – जिनमें से 2,010 खींचे गए हैं और 800 से अधिक मोटर चालित हैं.

 मिसाइल शस्त्रागार  ईरान इजरायल
 शॉर्ट रेंज  शहाब-2 (1,280 किमी)  जेरिको-1 (1,400 किमी)
 मीडियम रेंज  ग़दर-1 (1,600 किमी)  जेरिको-2 (2,800 किमी)
 लॉन्ग रेंज  सज्जिल-2 (2,400 किमी)  जेरिको-3 (5,000 किमी)

 मिसाइल शक्ति

ईरान की लगभग 1,000 रणनीतिक मिसाइलें, जो पूरी खाड़ी और उससे आगे तक मार करने में सक्षम मानी जाती हैं, कथित तौर पर रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा नियंत्रित हैं, और इसमें ईरान निर्मित शहाब-1 (स्कड-बी), शहाब-2 सहित लगभग 300 कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं. तेहरान ने घरेलू स्तर पर शहाब-3 रणनीतिक मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों (आईआरबीएम) का भी उत्पादन किया है, जिसकी अनुमानित सीमा 1,000 किमी तक है. ग़दर-1 की अनुमानित सीमा 1,600 किलोमीटर है और शहाब-3 संस्करण जिसे साज्जिल-2 के नाम से जाना जाता है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी रेंज 2,400 किमी तक बताई गई है. यदि यह सच है, तो इज़राइल और पूर्वी यूरोप का अधिकतर भाग इसके दायरे में होगा. जनवरी 2009 में ईरान ने बोला कि उसने हवा से हवा में मार करने वाली एक नयी मिसाइल का परीक्षण किया है. फिर 7 मार्च 2010 को ईरान ने बोला कि उसने कम दूरी की क्रूज़ मिसाइलों का उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है, जिसे उन्होंने अत्यधिक परफेक्ट और भारी लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम बताया. रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के पास 24 लॉन्चर हैं.

 नेवल  ईरान  इजरायल
 कुल नेवी शिप  261  64
 मरचेंट मरीन  74  10
 पोत  3  4
एयरक्रॉफ्ट करियर  0  0
 डिस्ट्रॉयर  3  3
 सबमरीन  19  03
 फ्रिगेट  5  0
 पैट्रोल क्रॉफ्ट  198  42
 एम्बिस्यस

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button