अंतर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान में 65 साल के एक बुजुर्ग ने पहली कक्षा में लिया दाखिला

बोला जाता है कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती इसी कहावत को हकीकत में बदला है पाक के एक बुजुर्ग ने खैबर पख्तूनख्वा के टिमरगारा क्षेत्र में रहने वाले 65 वर्ष के दिलावर खान ने शिक्षा हासिल करने के लिए पहली कक्षा में दाखिला लिया है शिक्षा के प्रति अपने जुनून और  सरकारी प्राथमिक विद्यालय खोंगई में पहली कक्षा में दाखिला लेकर खान ने इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है

ऐसा कर दिलावर खान ने सामाजिक मानदंडों को भी तोड़ा है उनके इस असाधारण निर्णय से उनकी प्रशंसा हो रही है विद्यालय प्रशासन ने भी जीवन भर सीखने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की है और समाज पर इसके सकारात्मक असर पड़ने की बात कही है

दरअसल, खान का जन्म एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था इसलिए जब होश संभाला तो घर की जिम्मेदारियां और बोझ उनके कंधे पर आ गई जब बड़े हुए तो फिर परिवार चलाने का संकट सामने मुंह बाए खड़ा था ऐसे में उन्होंने पढ़ने की ललक को दबाकर अपने काम कोज को ही वरीयता दी समय बीतने के साथ ही उनका बचपन और युवावस्था दोनों जिम्मेवारियों के बोझ में दब गया अब इस उम्र में उन्होंने फिर से अपने बचपन के अधूरे काम को पूरा करने की ठानी है

जिस उम्र में उनके साथी रिटायर होकर घर बैठ चुके हैं, उस उम्र में भी दिलावर खान अपनी शिक्षा पूरी करने के प्रति दृढ़ संकल्पित नजर आ रहे हैं दिलावर पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक अपेक्षाओं दोनों को चुनौती दे रहे हैं उनकी कहानी खासकर उन लोगों के लिए प्रेरणा की किरण है, जिन्हें निजी कारणों से अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी हो या स्थगित करनी पड़ी हो दिलावर की यात्रा जीवन भर कोशिश के रूप में ज्ञान की खोज को प्रोत्साहित करती है, जिससे यह साबित होता है कि शिक्षा को अपनाने और उम्र और परिस्थितियों द्वारा लगाए गए बाधाओं को चुनौती देने में कभी देर नहीं होती है

सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर नेटिज़न्स दिलावर के साहसी कदम की प्रशंसा कर रहे हैं और इस उम्र में चुनौतियों का सामना करने के उनके जुझारूपन और लचीलेपन की सराहना कर रहे हैं

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