अंतर्राष्ट्रीय

अफगानी दूतावास के अधिकारी और कर्मचारी डरे तालिबान से…

Afghanistan Embassy In India News: तालिबान के इतिहास के बारे में हर कोई वाकिफ है दिसंबर 2021 में किस तरह से वो काबुल की सड़कों पर आ धमके और अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी को राष्ट्र छोड़कर भागना पड़ा अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भिन्न भिन्न राष्ट्रों ने प्रतिक्रिया दी जिसमें हिंदुस्तान भी शामिल था लेकिन यहां बात हम नयी दिल्ली में अफगानी दूतावास के बंद किए जाने पर बात करेंगे अफगान एंबेसी ऑफ इण्डिया के ‘एक्स’ हैंडल से पोस्ट हुआ जिसमें बोला गया कि दूतावास बंद करने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं था उस पोस्ट में तालिबान का भी जिक्र है आगे हम पोस्ट का जिक्र करेंगे तो आप समझ सकेंगे कि  अफगानी दूतावास के अधिकारी और कर्मचारी तालिबान से डर गए

कुछ लोग कहेंगे तालिबानी डर लेकिन

सबसे पहले अफगानी दूतावास ने अपने एक्स हैंडल पर क्या लिखा है उसे समझने की आवश्यकता है एक्स पर लिखा गया है कि कुछ लोग इसे अफगानिस्तान की आंतरिक तनाव को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं कुछ लोग यह मान सकते हैं कि कुछ राजनयिकों ने अपना पाला बदला और वो तालिबान के साथ जा खड़े हुए हैं लेकिन निर्णय अफगान नीतियों और नफा हानि के मद्देनजर किया गया है हम इस बात का भरोसा देते हैं कि मिशन ने अपनी जिम्मेदारी को पारदर्शिता के साथ पूरी करने की प्रयास की लेकिन हमारे सम्मान को ठेस पहुंचाने के साथ साथ राजनयिक कोशिशों को पटरी से उतारने के कोशिश किए गए हमारी कोशिशों को तालिबान द्वारा नियुक्त राजनयिकों का हवाला देकर बदनाम करने की प्रयास हुई हिंदुस्तान में स्थित अफगानी दूतावास में अब कोई भी राजनयिक नहीं हैं, जो लोग एंबेसी में काम कर रहे थे वो दूसरे राष्ट्रों में जा चुके हैं, इस समय दूतावास में जो लोग भी हैं वो तालिबान द्वारा नियुक्त किए गए लोग हैं

अब हिंदुस्तान गवर्नमेंट को करना है फैसला

अफगान गणराज्य के राजनयिकों ने पूरे मिशन को भारतीय गवर्नमेंट को सौंप दिया है अब मिशन के भविष्य के बारे में निर्णय हिंदुस्तान गवर्नमेंट पर निर्भर करता है या तो हिंदुस्तान उसे बंद कर दे या कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे हो सकता है कि भारत, मिशन को तालिबान के ही हवाले कर दे जिन राजनयिकों की नियुक्ति इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान ने की थी अब वो अस्तित्व में नहीं हैं आधिकारिक तौर पर अब मिशन से हमारा संबंध नहीं है पिछले 27 महीनों में हमने बेहतर करने की प्रयास की लेकिन अब आगे यात्रा को बढ़ा पाना कठिन है यहां पर हम हिंदुस्तान गवर्नमेंट से अपील करेंगे कि विएना कंवेंश्न के अनुसार दूतावास की गरिमा को बनाए रखे हिंदुस्तान के साथ अफगानिस्तान का ऐतिहासिक संबंध रहा है उन संबंधों को दोनों राष्ट्रों की तरफ से पुख्ता करने के हर संभव कोशिश भी किए गए

 

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