अंतर्राष्ट्रीय

इजरायली नाकाबंदी तोड़ने और इजरायल के समुद्री व्यापार को बाधित करने की कोशिश

इजरायल-हमास युद्ध के बीच करीब एक हजार नाव बुधवार को तुर्की से गाजा की ओर रवाना होंगे इन नावों पर 40 राष्ट्रों के करीब 4500 लोग सवार हैं, जो इजरायली नाकाबंदी तोड़ने और इजरायल के समुद्री व्यापार को बाधित करने की प्रयास करेंगे एक दशक पहले भी इसी तरह की एक प्रयास हुई थी, जिसे इजरायल ने असफल कर दिया था नयी प्रयास उसी की पुनरावृति है इस मुहिम को ‘फ्रीडम फ्लोटिला’ नाम दिया गया है<img class="alignnone wp-image-280511" src="https://www.newsexpress24.com/wp-content/uploads/2023/11/newsexpress24.com-amid-war-40-countries-including-russia-turkey-opened-new-front-against-israel-why-jpeg” alt=”” width=”1298″ height=”727″ />

तुर्की समाचार वेबसाइट हेबर7 को दिए एक साक्षात्कार में इसके आयोजकों में से एक, वोल्कन ओकू ने संकेत दिया कि करीब 1000 नौकाओं में 40 राष्ट्रों के 4,500 लोग होंगे, जिनमें ‘इजरायल विरोधी यहूदी’ भी शामिल हैं उन्होंने बोला कि 1,000 नौकाओं में 313 नावें रूसी कार्यकर्ताओं से भरी होंगी और 104 स्पेनिश कार्यकर्ताओं से भरी होंगी उन्होंने कहा कि सिर्फ़ 12 तुर्की जहाज़ फ़्लोटिला में शामिल होंगे

हालाँकि, ओकू ने बाद के एक ट्वीट में बोला कि उन्हें आशा है कि तुर्की के नौकाओं की संख्या और अधिक होगी और वह कम से कम 1,000 तक हो सकती हैं उन्होंने साफ किया कि यह पहल तुर्की गवर्नमेंट से जुड़ी नहीं है  ओकू ने संकेत दिया कि फ्लोटिला गुरुवार को तुर्की तटों को छोड़ देगा और यह समुद्री काफिला इजरायली बंदरगाह अशदोद की ओर बढ़ने से पहले साइप्रस में पहला पड़ाव बनाएगा बकौल ओकू फ़्लोटिला में कुछ प्रतिभागी कथित तौर पर अपने जीवनसाथी और बच्चों को भी ले जाएंगे

फ्रीडम फ्लोटिला का मकसद
ओकू ने बोला कि ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य इजरायली तट से अशदोद बंदरगाह की ओर जाने वाले समुद्री व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय जलमार्ग में व्यवधान पैदा करना होगा, ताकि इजरायल को माल की आपूर्ति एक हफ्ते या यहां तक ​​कि 10 दिनों तक बाधित हो सके

विरोध की यह कार्रवाई मई 2010 में इसी तरह की “गाजा फ्रीडम फ्लोटिला” के कोशिश की याद दिलाती है, जिसने हमास-नियंत्रित गाजा पट्टी पर समुद्री नाकाबंदी को तोड़ने की प्रयास की थी, लेकिन इजरायली नौसेना ने उसे रोक दिया था

13 वर्ष पहले क्या हुआ था?
13 वर्ष पहले जब इसी तरह के काफिले को इजरायली नौसेना ने अशदोद बंदरगाह की तरफ जाने से रोक दिया था, तब काफिले के लोग इजरायली नौसेना के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए इजरायली कमांडो के जहाजों में से एक, मावी मरमारा पर चढ़ गए थे, जिसमें 600 से अधिक यात्री सवार थे उस शिप पर हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें इजरायली कमांडो की गोलीबारी में तुर्की के 10 कार्यकर्ता मारे गए थे और  10 इजरायली सैनिक घायल हो गए थे मावी मरमारा की घटना के बाद कई बार फ्लोटिला का कोशिश किया गया, लेकिन इजरायली सेना और राजनयिक गतिविधियों ने हर बार उसे असफल कर दिया गया

मुहिम में अमेरिका, ब्रिटेन और रूस भी शामिल
तुर्की कार्यकर्ता ने बोला कि इस मुहिम में अमेरिका, ब्रिटेन, लक्ज़मबर्ग, रूसी, जर्मनी, स्पेन, पोलैंड और कई अन्य राष्ट्रों की नौकाएं भी शामिल होंगी और उन पर इन राष्ट्रों के झंडे लगे होंगे कार्यकर्ता ने बोला कि लक्जरी नावें भी फ्लोटिला में शामिल होंगी और यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिभागी इसमें शामिल होने के लिए औसतन 14,000 $ खर्च करेंगे

ओकू ने दोहराया कि फ्लोटिला के प्रदर्शनकारी “अंतर्राष्ट्रीय नियमों का कठोरता से पालन करेंगे” और कोई हथियार नहीं रखेंगे यहां तक कि उनके पास ‘जेब चाकू’ भी नहीं होगा ताकि इज़राइल को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई “बहाना” न मिल सके ध्यान देने वाली बात है कि अशदोद, इजरायल का छठा सबसे बड़ा शहर और सबसे बड़ा बंदरगाह है, जहां राष्ट्र का 60% आयातित माल आता है अशदोद राष्ट्र के दक्षिणी जिले में भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है, जहाँ यह ऑयल अवीव से उत्तर 32 किलोमीटर दूर, और अश्कलोन से दक्षिण 20 किमी के बीच स्थित है

जब व्यवधान पैदा करेंगे तब क्या होगा
तुर्की के कार्यकर्ता ने कहा, “जिस क्षण हम गाजा के करीब अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में प्रवेश करेंगे, उस समय इजरायली सेना सिर्फ़ हमारी तलाशी ले सकती है या हमें अपने बंदरगाहों की तरफ जबरन जाने को विवश कर सकती है और जुर्माना लगा सकती है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में किसी काफिले पर छापा मारने की अनुमति उसे नहीं होगी, जिस तरह से उन्होंने 2010 में मावी मरमारा पर धावा किया था” उन्होंने कहा, “अगर इजरायल ने इतने बड़े अंतर्राष्ट्रीय शांति बेड़े के विरुद्ध किसी भी तरह के पागलपन की कार्रवाई के कोशिश किए तो उसे भारी मूल्य चुकानी होगी

छह वर्ष तक रहा था गतिरोध
बता दें कि मावी मरमारा घटना के बाद इजराइल और तुर्की के बीच पैदा हुआ राजनयिक संकट छह वर्ष बाद 2016 में जाकर तब हल हो सका था, जब यरूशलेम पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे में 20 मिलियन $ का भुगतान करने और गाजा में तुर्की सहायता की अनुमति देने पर सहमत हुआ था और इसके बदले में, इस्तांबुल इस घटना के लिए किसी भी पर्सनल इजरायली नागरिक को आपराधिक या वित्तीय रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराने पर राजी हुआ था

2007 में हमास द्वारा तटीय क्षेत्र गाजा पर नियंत्रण करने के तुरंत बाद इजरायल ने वहां नाकाबंदी लगा दी थी आतंकवादी समूह को फिर से संगठित होने और बड़ा खतरा बनने से रोकने के लिए मिस्र ने इसे लागू करने में इजरायल का साथ दिया था नाकाबंदी में विशिष्ट वस्तुओं पर प्रतिबंध और गाजा में दोहरे इस्तेमाल वाली सामग्रियों की डिलीवरी को सीमित करना शामिल रहा है, जिनका इस्तेमाल हमास द्वारा नागरिक और सेना दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था

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