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Dubai Rain: दुबई में साल भर की बारिश कैसे हो गई 24 घंटे में…

Dubai Rain: दुबई का जिक्र होते ही दिमाग में बस एक ही छवि उभरती है यानि चकाचौंध, पैसा, महंगी-महंगी गाड़ियां, शानौ-शौकत वाली जीवन और ऊंची-ऊंची इमारतें, दुबई में ही दुनिया के सबसे अमीर लोग रहते है लेकिन हमेशा चमकने वाले इसी दुबई को महज कुछ घंटे की बारिश ने धो डाला आधुनिकता की दौड़ में सरपट दौड़ रहा दुबई पानी-पानी हो गया जो दुबई, बारिश के लिए तरसता है, उस दुबई में आसमान से इतना पानी बरसा की शहर समंदर बन गया

दुबई जैसे तैरने लगा…

शहर में बाढ़ जैसे हालात हो गए एयरपोर्ट पर पानी का कब्जा हो गया मेट्रो स्टेशन, मॉल, सड़कें, व्यापारिक संस्थानों में बाढ़ का पानी घुस गया विद्यालय बंद कर दिए गए तेज बारिश से राजधानी आबूधाबी के कई हिस्से दरिया में परिवर्तित हो गए दुबई में पिछले 24 घंटे में इतनी बारिश हुई है जितनी यहां 1 वर्ष में होती है भयंकर बारिश के बाद दुबई जैसे तैरने लगा दुबई के लिए ये अपने आप में एक बड़ी प्राकृतिक आपदा है दुबई के लोगों के लिए एक बुरे सपने की तरह भी है

एक वर्ष की बारिश केवल 24 घंटे में

UAE में बारिश की शुरूआत 15 अप्रैल की रात से हुई थी जिसके बाद यहां 160 millimeter तक बारिश दर्ज की गई है यानि एक वर्ष की बारिश केवल 24 घंटे में हो गई बारिश का सबसे अधिक असर अबू धाबी, दुबई और al ain जैसे शहरों में दिखाई दे रहा है तेज हवा के साथ आई बारिश ने यहां एक नया संकट खड़ा कर दिया है दुबई ने शायद इतनी बारिश इससे पहले नहीं देखी थी जहां शहर में बाढ़ जैसे हालात बन गए पूरा शहर जलमग्न हो गया ऊंची-ऊंची इमारतों के बीच सड़कों पर सैकड़ों गाड़ियां फंसी गई जिस शहर को दुनिया के सबसे आधुनिक शहरों में गिना जाता है, उसका एक बारिश में ही दम निकल गया

शहर में नाव चलने लगी

आमतौर पर दुबई की सड़कों पर महंगी-महंगी गाड़ियों को दौड़ते आपने देखा होगा दुबई की सड़कों पर ड्राइव का अलग ही मजा होता है लेकिन बारिश के बाद दुबई में घुटनों तक पानी भरा हुआ है जिसमें जगह-जगह गाड़ियां फंस गई और शहर में ही नाव चलने लगी है दुबई के लिए पिछले 24 घंटे किसी बुरे सपने की तरह रहे है क्योंकि यहां कभी भी इतनी बारिश नहीं आती प्रश्न यह है कि जब बारिश नहीं होती तो दुबई को कैसे इस आफत ने घेरा?

अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है

UAE में पूरे वर्ष भयंकर गर्मी पडती है यहां का अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है UAE में पानी की कमी रहती है इसलिए यहां की गवर्नमेंट हर साल cloud seeding यानि आर्टिफिशयल बारिश का सहारा लेती है लेकिन इस बार दुबई में आई आफत की वजह इसी आर्टिफिशयल बारिश को कहा जा रहा है दुबई प्रशासन ने सोमवार और मंगलवार को cloud seeding के लिए विमान उड़ाया था दो दिनों में इन विमानों ने कुल सात बार उड़ान भरी थी यूएई में Rain Enhancement Program चलता है इसको लेकर वैज्ञानिक हर बार यूएई के वायुमंडल का फिजिकल और केमिकल जांच करते हैं जिसमें खासतौर से Aerosol और प्रदूषणकारी तत्वों की जांच होती है इसके बाद cloud यानी बादल बनाने की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है

UAE में हर वर्ष होती है cloud seeding

इसके बाद ये तय होता है कि कितनी बार cloud seeding करनी है और उसके लिए कितनी बार cloud seeding का विमान उड़ान भरेगा आखिर में विमान बादलों की ऊंचाई पर पहुंचकर chemicals छोड़ता हैं ताकि बारिश हो संयुक्त अरब अमीरात हर साल cloud seeding के लिए इसी प्रक्रिया को अपनाता है लेकिन इस बार वैज्ञानिक इस प्रक्रिया में गड़बड़ी का अंदेशा जता रहे हैं प्रश्न उन केमिकल पर भी उठ रहे हैं, जो cloud seeding में काम आते हैं इस तकनीक का मुख्य उद्देशय पानी की मांग को पूरा करना है प्रश्न है कि ये आर्टिफिशयल बारिश होती क्या है?

-आर्टिफिशियल बारिश के लिए वैज्ञानिक आसमान में एक तय ऊंचाई पर silver iodide, dry ice और साधारण नमक को बादलों में छोड़ते हैं

-आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए महत्वपूर्ण है कि आसमान में कम से कम 40 प्रतिशत बादल हों जिनमें थोड़ा पानी उपस्थित हो

-cloud seeding में प्रॉब्लम तब आती है, जब बादलों में पानी की मात्रा या
Humidity की कमी होती है

कई राष्ट्र आर्टिफिशियल बारिश कराते हैं

दुनिया में कई राष्ट्र आर्टिफिशियल बारिश कराते हैं दिल्ली में भी जब प्रदूषण आसमान को घेरकर खड़ा होता है जब कृत्रिम बारिश कराने का जिक्र होता है चीन के बीजिंग में तो हर साल प्रदूषण से पार पाने के लिए कृत्रिम बारिश कराई जाती है लेकिन आर्टिफिशियल बारिश भी नेचर के साथ छेड़छाड़ ही है क्योंकि आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए बादलों में केमिकल डालकर बारिश कराई जाती है UAE की सरकारी न्यूज एजेंसी WAM ने मंगलवार की बारिश को ऐतिहासिक घटना बोला है 1949 में डेटा इकठ्ठा किए जाने के बाद ये राष्ट्र में सबसे अधिक बारिश है

यूएई में बारिश कम होती है

यूएई में बारिश कम होती है तो उस तरह के बंदोबस्त भी इस राष्ट्र में बहुत कम है जिससे पानी अपने आप शहर से निकल जाए इसलिए भी दुबई की सड़कों पर पानी ठहरा हुआ है क्योंकि पानी को निकलने की स्थान मिली नहीं और बाढ़ जैसी स्थिति बन गई बारिश के लिए दुबई जैसा आधुनिक शहर पुरी तरह से artificial rain पर निर्भर है हर साल यहां कृत्रिम बारिश से ही पानी की कमी को पूरा किया जाता है लेकिन इस बार की बारिश ने दुबई की तस्वीर ही बदल दी है

ओमान के कई शहरों में बाढ़ जैसी स्थिति

सवाल है कि यदि आर्टिफिशियल बारिश की वजह से दुबई का बुरा हाल हुआ है तो फिर middle east में ओमान और बहरीन में भयंकर बारिश क्यों हो रही है जबकि ये राष्ट्र तो आर्टिफिशियल बारिश नहीं कराते… ओमान और बहरीन में भी जोरदार बारिश हुई है यहां भी बादल जमकर बरसें है ओमान के कई शहरों में इतनी बारिश हुई की बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है बारिश और बाढ़ की वजह से भारी भरकम गाड़ियां भी पलट गईं मस्कट समेत राष्ट्र के कई इलाकों में हालात बदतर हैं तीन दिन में यहां 5 इंच बारिश दर्ज की गई है तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण 18 लोगों की मृत्यु हो गई है इनमें 10 स्कूली बच्चे भी शामिल हैं, इसी तरह की तस्वीर बहरीन में भी दिख रही है बहरीन के कई शहरों में बाढ़ जैसी स्थिति है… यहां भी आसमानी आफत ने लोगों को परेशान कर रखा है

खाड़ी राष्ट्रों पर अचानक से आसमानी आफत कैसे आ गई ?

अब प्रश्न है कि खाड़ी राष्ट्रों पर अचानक से आसमानी आफत कैसे आ गई ? दरअसल खाड़ी राष्ट्रों में मौसम बदलने की सबसे बड़ी वजह दक्षिण-पश्चिम की तरफ से low-pressure बनना है यूएई, ओमान और बहरीन जैसे राष्ट्रों में बहुत धीमी गति में southern jet stream बह रही है southern jet stream अपने साथ गर्मी लेकर आती है और इसी दक्षिण-पश्चिम की तरफ से बन रहे लो-प्रेशर की वजह से खाड़ी के कई राष्ट्रों में बारिश हो रही है ओमान और बहरीन में हुई बारिश को दक्षिण-पश्चिम की तरफ से बने low-pressure का नतीजा कहा जा रहा है आमतौर पर इन राष्ट्रों में इस समय पर बारिश नहीं होती और ना ही यहां बहुत अधिक बारिश होने का इतिहास रहा है

रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा

ओमान में आमतौर पर 100 से 150 मिलीमीटर बारिश हर साल रिकॉर्ड की जाती है इसी तरह से बहरीन में केवल 70 मिलीमीटर बारिश पूरे वर्ष में होती है यूएई की National Center of Meteorology ने साल 2012 में एक रिसर्च पब्लिश की थी जिसमें कहा गया था कि खाड़ी राष्ट्रों में जलवायु बदलाव का बहुत अधिक असर दिख सकता है इस रिपोर्ट में बोला गया का कि पिछले 18 सालों में यूएई का औसत तापमान 0.4 degree celsius बढ़ चुका है 2020 की एक और रिसर्च में पाया गया था कि आने वाले सालों में बढ़ते जलवायु बदलाव के साथ खाड़ी राष्ट्रों में औसत बारिश बढ़ेगी इस रिपोर्ट में बोला गया था कि 21वीं सदी के अंत तक खाड़ी राष्ट्रों में औसत बारिश 32 फीसदी तक बढ़ सकती है

भविष्यवाणी साल 2012 में ही हो गई थी

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि दक्षिणी खाड़ी राष्ट्रों में औसत बारिश बढ़ेगी और उत्तरी खाड़ी राष्ट्रों में औसत बारिश कम होगी यानी यूएई, ओमान और बहरीन में जो आफत आई है, उसकी भविष्यवाणी साल 2012 में ही हो गई थी खाड़ी राष्ट्रों में हो रही भारी बारिश जलवायु बदलाव का भी नतीजा मानी जा रही है जो राष्ट्र बारिश के लिए तरसते है वहां विशाल बारिश हो रही है जिसकी वजह से इन राष्ट्रों को भारी हानि उठाना पड़ा है और आने वाले समय में ये आफत खाड़ी राष्ट्रों के लिए और बड़ी हो सकती है

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