जर्मनी, जापान और यूके की जीडीपी में गिरावट जारी
जर्मनी, जापान और यूके जैसे राष्ट्रों में पिछले कुछ सालों में जीडीपी (पीपीपी) रैंकिंग में गिरावट लगातार जारी है. वहीं रिपोर्ट की मानें तो हिंदुस्तान ने जीडीपी (पीपीपी) में इन वर्षों में जरूरी बढ़त हासिल की है. जीडीपी (पीपीपी) का मतलब है खरीद की क्षमता पर आधारित सकल घरेलू उत्पाद. दिल्ली स्थित सोशल पॉलिसी रिसर्च फाउंडेशन (एसपीआरएफ) की रिसोर्च रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक पीपीपी के आधार पर मूल्यांकन किया जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था यूके की तुलना में 3.6 गुना, जापान की तुलना में 2.1 गुना और जर्मनी की तुलना में 2.5 गुना अधिक है.
भारतीय जीडीपी (पीपीपी) की हिस्सेदारी काफी बढ़ी
रिपोर्ट में बोला गया है, “पीपीपी पर अंतरराष्ट्रीय जीडीपी के फीसदी को देखा जाए तो इसके मुताबिक भारतीय जीडीपी (पीपीपी) की हिस्सेदारी काफी बढ़ी है, जबकि इस दौरान अमेरिका, जापान, रूस और अन्य राष्ट्रों की हिस्सेदारी घटी है.” पीपीपी दो या दो से अधिक राष्ट्रों में समान वस्तुओं और सेवाओं की मूल्य को समझने और उसकी तुलना करने का माध्यम है. रिपोर्ट के अनुसार, “देश में उच्च पीपीपी का मतलब है कि भारतीय उपभोक्ता के लिए हिंदुस्तान के अंदर जरूरी वस्तुओं और सेवाओं पर जो खर्च हो रहा है वह जापान, जर्मनी या यूके के कंज़्यूमरों की तुलना में सस्ता है.”
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अच्छी वृद्धि
भारत की अर्थव्यवस्था में तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2023) के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो आश्चर्यचकित करने वाली है, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नवीनतम आंकड़ों की मानें तो वित्तीय साल 2023-24 के लिए राष्ट्र की आर्थिक विकास रेट अब 7.6 फीसदी रहने का संभावना व्यक्त किया गया है. जीडीपी में 8.4 फीसदी की उच्च वृद्धि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में दोहरे अंक की वृद्धि के साथ 11.6 प्रतिशत, जबकि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में अच्छी वृद्धि (9.5 प्रतिशत) की वजह से देखी गई है.
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
सांख्यिकी मंत्रालय ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त साल 2023-24 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद 7.6 फीसदी की मजबूत स्थिति में रही, जो वित्त साल 2022-23 में 7 फीसदी थी.” नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि हिंदुस्तान दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी विकास गति को बरकरार रख रहा है, जिसे अंतरराष्ट्रीय मंदी के बीच एक बेहतरीन सूचक के रूप में देखा जा सकता है. इस हफ्ते की आरंभ में जारी आरबीआई के मासिक बुलेटिन के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की गति भले धीमी पड़ रही हो लेकिन, हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि साफ दिखाई दे रही है