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Israel Iran Conflict: इजरायल नहीं मानेगा…युद्ध होकर रहेगा…

Iran Israel Tension: इजरायल और ईरान के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा. इजरायल, ईरान से हिसाब चुकता करना चाहता है. मुंहतोड़ उत्तर देना चाहता है. नेतन्याहू बेताब हैं लेकिन अमेरिका और यूरोप के दबाव ने उनके हाथ बांध रखे हैं. ईरान उकसा रहा है, लेकिन यूएस और पश्चिमी राष्ट्र उसे रोक रहे हैं. अमेरिका ने इजरायल को सब्र रखने को बोला है. अमेरिका, औद्योगिक राष्ट्रों के G-7 समूह और यूरोपीय यूनियन ने घोषणा किया है कि वे ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाकर घुटनों के बल ला सकते हैं, बशर्ते इजराइल किसी भी जवाबी हमले से बचेगा. ऐसी अटकलों के बीच इजरायल ने ये ठान लिया है कि चाहे कुछ हो जाए वो हमले का बदला जरूर लेगा.

इजरायल नहीं मानेगा…युद्ध होकर रहेगा?

हाल ही में समाप्त हुई नेतन्याहू की वार कैबिनेट बैठक में ये साफ किया गया है कि भले ही सहयोगी राष्ट्र कुछ कहें, लेकिन इजरायल अपनी रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हर कदम जरूर उठाएगा. इससे ठीक पहले ब्रिटिश विदश मंत्री डेविड कैमरून और जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक इजरायल को समझाने तेलअवीव पहुंचे थे.

जर्मनी और ब्रिटेन ने हमले के बाद इजरायल से धैर्य रखने की अपील की है और चेतावनी दी है कि ईरान के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई मध्य पूर्व को बड़े युद्ध की तरफ ले जा सकती है. वहीं केमरून ने साफ बोला कि इजरायल के इरादे देख ये साफ है कि वो जल्द धावा करने वाला है.

अमेरिका की बात करे तो राष्ट्रपति बाइडेन ने नेतन्याहू को साफ बोला है कि यदि ईरान पर धावा हुआ तो अमेरिका सहायता नहीं करेगा. लेकिन नेतन्याहू के बयान से साफ है कि अमेरिका आए या न आए, लेकिन वो बदला जरूर लेगा.

इजरायल के इरादे इस बात से भी समझे जा सकते हैं कि उसने हाल ही में हेज़बुल्लाह के टारगेट को निशाना बनाया है. जिसमें उसका कमांडर भी मारा गया. इसके उत्तर में हेजबुल्लाह ने भी इजरायल बॉर्डर पर बने सेना ठिकाने पर धावा किया. दोनों के बीच जंग भी लगातार बढ़ रही है. वहीं इजरायल ने बिगड़ते हालात के बीच युद्ध की तैयारी और कड़ी कर दी है.

इजरायली सेना के अनुसार आने वाले समय में बड़े हमले से निपटने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम को भी तैयार किया जा रहा है.वहीं इजरायल पर हमले के बाद ईरान की मुश्किलें भी बढ़ रही है क्योंकि यूरोपीय संघ ईरान पर कई बड़े प्रतिबंध लगाने जा रहा है.

यूरोपियन यूनियन का बैन काम आएगा? 

यूरोपीय संघ के पास ईरान के विरुद्ध पहले से ही कई प्रतिबंध हैं, जिनमें व्यापार , ट्रैवल और संपत्ति फ्रीज शामिल हैं और अब इसका दायरा बढ़ाने की तैयारी की जा चुकी है. ईरान और इजरायल के इस तनाव के बीच गाज़ा पर इजरायल के अटैक भी लगातार जारी है. और अब मिडिल ईस्ट की ये जंग आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है क्योंकि हमास और इजरायल के बीच शांति बनाने की प्रयास कर रहा कतर भी अब पीछे हटने लगा है. कतर के पीएम ने बोला कि वो इज़राइल और हमास के बीच मध्यस्थ के रूप में अपनी किरदार पर दोबारा सोच रहा है.

गाजा में पूरे युद्ध के दौरान कतर इजराइल और हमास के बीच एक बड़ा मध्यस्थ रहा है. लेकिन नेतन्याहू ने कई बार पूरे युद्ध के दौरान कतर की निंदा की है जिसके बाद अब कतर भी अपने हाथ खींचने लगा है. जिसका बड़ा असर ये हो सकता है कि मिडिल ईस्ट की जंग अब आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है.

इन पांच उपायों से ईरान से बदला लेगा इजरायल

इजरायली फौजों (IDF) के अनुसार ईरानी हमले में 14 इजरायली सैनिक घायल हुए थे. जिनमें से छह की हालत गंभीर है. हम बदला लेंगे. इजरायल का तर्क है कि उसे अपनी  ताकत की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए हमले का उत्तर देना चाहिए. वहीं ईरान के मुताबिक, उसकी ओर से हिसाब बराबर हो गया है लेकिन यदि इजरायल ने कोई धावा किया तो जवाबी कार्रवाई जरूर होगी.

ईरान-इजरायल 1979 तक सहयोगी थे. उसी समय ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद, तेहरान में ऐसी गवर्नमेंट आई जो विचारधारा के स्तर पर इजराइल की जानी शत्रु थी.

परमाणु संयंत्र पर एयरस्ट्राइक: इजरायल ईरान के न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बना सकता है. इजरायल को ईरान की दुखती रग के बारे में पता है. जैसा कि वो 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के परमाणु प्लांट पर धावा कर चुका है.

सैन्य ठिकानों पर हमला: इजरायल, ईरान की सेना के स्पेशल विंग रिवोल्यूशनरी गार्ड के ठिकानों पर धावा कर सकता है. जैसा कि उसने 2020 में ईरान का ड्रोन बेस बर्बाद करके उसे बड़ी चोट पहुंचाई थी.

मददगारों के हाथ काटना: हमसे तेज इजराइल यमन के हूती, लेबनान के हिजबुल्ला पर कड़ी कार्रवाई सेना कर सकता है. वो गाजा में एक बार फिर से बड़ा सेना अभियान चला सकता है. साउथ गाजा में हमास के 8 हजार से अधिक हवसी छिपे हैं.

ईरान को अलग-थलग करना: इजरायल के पास रईस और मजबूत मददगारों की कमी नहीं है. ऐसे में वो दुनिया के नक्शे से ईरान को अलग-थलग करने के लिए बहुत बड़ा अभियान चला सकता है.

साइबर अटैक: सबसे अंतिम लेकिन दिखने में सामान्य और सबसे घातक ऑप्शन की बात करें तो इजरायल, ईरान के सेना ठिकानों या बिजली प्लांट्स की सप्लाई प्रभावित कर सकता है. वो ईरान पर लगातार साइबर हमले करके उसके बिजनेस और सप्लाई चेन को हानि पहुंचाकर तेहरान की इकोनॉमी को कमजोर कर सकता है.

इजरायल के ऐसे हर वार से ईरान के लोगों को कठिनाई होगी. ऐसे में वहां की जनता अपनी गवर्नमेंट का विरोध कर सकती है.

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