जैन समुदाय ने मोबाइल और लैपटॉप के स्क्रीन से दूरी बनाने के लिए ‘डिजिटल डीटॉक्स’ आंदोलन किया शुरू
वाशिंगट: अमेरिका में रह रहे जैन समुदाय ने मोबाइल टेलीफोन और लैपटॉप के स्क्रीन से नियमित अंतराल पर दूरी बनाने के लिए ‘डिजिटल डीटॉक्स’ आंदोलन प्रारम्भ किया है. समुदाय के कार्यकर्ता अजय जैन भूटोरिया ने बोला कि नियमित अंतराल पर डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाना “हमारे समावेशी कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है” और इससे बचे समय का इस्तेमाल परिवार और दोस्तों के साथ रिश्तों को मजबूत करने साथ-साथ तनाव कम करने आदि के लिए किया जा सकता है.
‘डिजिटल स्क्रीन हमारी जीवन पर हावी है’
अजय जैन भूटोरिया ने बोला कि यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाकर जीवन की सुंदरता को फिर से देखें. भूटोरिया ने कहा, “आज की तेज रफ्तार दुनिया में डिजिटल स्क्रीन हमारी जीवन पर हावी है. डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाना बहुत सकारात्मक हो सकता है.” उन्होंने बोला कि यह कदम ‘अणुव्रत अनुशास्ता’ और इसके नेता आचार्य श्री महाश्रमण के दृष्टिकोण से प्रेरित है.
बड़ी योजना पर चल रहा है काम
‘अणुव्रत अनुशास्ता’ शब्द जैन दर्शन से आया है. ‘अणुव्रत’ छोटी प्रतिज्ञाओं या प्रतिबद्धताओं के लिए होता है और ‘अनुशास्ता’ उस आदमी को संदर्भित करता है जो इन प्रतिज्ञाओं को लागू कराता है या निर्धारित करता है. जैन धर्म में, अणुव्रत अनुशास्ता वह है जो लोगों को अणुव्रत अपनाने के लिए मार्गदर्शन देता है. भूटोरिया और उनकी टीम ‘डिजिटल डिटॉक्स’ आंदोलन के लिए समर्थन मांगने के वास्ते संसद के सदस्यों के साथ-साथ नीति निर्माताओं, गैर-लाभकारी निकायों, शिक्षाविदों और थिंक टैंक से संपर्क करने की योजना बना रही है.
‘डिजिटल डिटॉक्स’ है क्या
एक तय समय के लिए मोबाइल फोन, लौपटॉप या फिर ऐसे ही इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज से दूरी बना लेने को डिजिटल डिटॉक्स बोला जाता है. किसी भी चीज की अधिकता कठिनाई का सबब बन सकती है खासतौर वो भी तब जब आप घर के अंदर एक डिवाइस के साथ समय बिता रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज पर हर समय सक्रिय रहना भी एक लत की तरह है जो आपकी स्वास्थ्य के बहुत हानिकारक है. डिजिटल डिटॉक्स आपको इसी लत से बचाने की एक प्रक्रिया है. इसमें एक समय तय होता है जब अनेक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म समेत मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बना ली जाती है.