अंतर्राष्ट्रीय

जानिए, सरबजीत के हत्यारे की हत्या की पूरी कहानी

पड़ोसी राष्ट्र पाक की कारावास में सजा काट रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की ग्यारह वर्ष पहले आईएसआई के निर्देश पर कारावास में मर्डर कर दी गई थी पाक की कोट लखपत कारावास में हाफिज सईद के करीबी अमीर सरफराज तांबा ने पॉलिथीन से गला घोंटकर सरबजीत की मर्डर कर दी थी.

सरबजीत हत्याकांड 11 वर्ष बाद सुर्खियों में है क्योंकि आतंकवादी हाफिज सईद को प्रताड़ित करने वाले उसके करीबी सरफराज तम्बा की पाक में ‘अज्ञात हमलावरों’ ने गोली मारकर मर्डर कर दी है जब तांबा पर धावा हुआ तब वह अपने घर में बैठे थे बाइक पर दो हमलावर आए और दरवाजा खोलते ही अमीर सरफराज को गोली मार दी फायरिंग में अमीर सरफराज को तीन गोलियां लगीं और उनकी मृत्यु हो गई

घटनाओं का क्रम क्या था?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमीर सरफराज तांबा का घर लाहौर के घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र सनंत नगर में है. हमले को अंजाम देने आए हमलावर बाइक पर सवार होकर आए थे और तांबा पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गंभीर हालत में उसे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. तांबे के सीने और पैरों पर गोलियों के निशान हैं

मृत तांबे के भाई ने पुलिस से क्या कहा?

आमिर सरफराज तांबा के भाई जुनैद सरफराज ने पुलिस को बताया, ‘रविवार को घटना के समय मैं अपने बड़े भाई आमिर सरफराज तांबा के साथ लाहौर के सनंत नगर स्थित अपने घर पर था. मैं ग्राउंड फ्लोर पर था, जबकि मेरा बड़ा भाई टॉप फ्लोर पर था. दोपहर 12.40 बजे अचानक घर का मुख्य दरवाजा खुला. दो अज्ञात मोटरसाइकिल सवार आये एक ने हेलमेट पहन रखा था और दूसरे ने चेहरे पर मास्क लगा रखा था घर में घुसते ही दोनों ऊपर की ओर भागे.

सरबजीत को मारने का पुरस्कार दिया गया

सरफराज के भाई जुनैद ने आगे कहा, ‘दोनों हमलावर घर के ऊपरी हिस्से में पहुंचे और तांबा में 3 गोलियां मारीं और वहां से भाग गए. जब मैं ऊपरी मंजिल पर पहुंचा तो मेरा भाई खून से लथपथ था आपको बता दें कि सरबजीत सिंह की मर्डर के बाद आमिर सरफराज तांबा को सम्मानित भी किया गया था बोला जाता है कि उन्हें ‘लाहौर का वास्तविक डॉन’ बोला जाता था.

सरबजीत अनजाने में पाक पहुंच गए

सरबजीत सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा पर तरनतारन जिले के भिखीविंड गांव में रहने वाले एक किसान थे. 30 अगस्त 1990 को वह अनजाने में पाकिस्तानी सीमा में पहुंच गये. यहां पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अरैस्ट कर लिया तब उनकी उम्र 26 वर्ष थी पत्र में सरबजीत ने स्वयं को बेगुनाह बताते हुए लिखा कि ‘मैं बहुत गरीब किसान हूं और मुझे गलत पहचान के आधार पर अरैस्ट किया गया है 28 अगस्त 1990 की रात मैं बुरी तरह नशे में था और चलते-चलते सीमा पार कर गया. जब मुझे सीमा पर पकड़ा गया तो मुझे बेरहमी से पीटा गया मैं यह भी नहीं देख सका कि मुझे कौन मार रहा है. मुझे जंजीरों से बांध दिया गया और आंखों पर पट्टी बांध दी गई.

महीनों तक खाने में कुछ न कुछ मिलाकर दिया जाता रहा

जब भारतीय नागरिक सरबजीत पाक की कोट लखपत कारावास में थे, तब उन्होंने हिंदुस्तान को भेजे पत्र में लिखा था, ‘पिछले दो-तीन महीनों से मेरे खाने में कुछ मिलाया जा रहा है इसे खाने से मेरा शरीर पिघल रहा है मेरा बायां हाथ बहुत दर्द कर रहा है और मेरा दाहिना पैर कमजोर होता जा रहा है. भोजन विष के समान है. ना तो इसे खाना संभव है और ना ही खाने के बाद इसे पचाना संभव है.

सरबजीत के अंतिम दिन कठिनाई में बीते

सरबजीत ने यह पत्र तब लिखा था जब लाहौर की कोट लखपत कारावास में दर्द असहनीय हो गया था, लेकिन कारावास ऑफिसरों का व्यवहार कसाई से भी बदतर था. कारावास में धीमा जहर दिए जाने का डर जाहिर करते हुए सरबजीत ने लिखा, ‘जब भी मेरा दर्द असहनीय हो जाता है और मैं कारावास ऑफिसरों से दर्द की दवा मांगता हूं तो मेरा मजाक उड़ाया जाता है. मुझे पागल दिखाने की पूरी प्रयास की जाती है मुझे एकांत जेल में डाल दिया गया है और मेरे लिए रिहाई के लिए एक दिन भी प्रतीक्षा करना कठिन हो गया है.

हाफिज एक खास आतंकवादी था

सवाल उठ रहे हैं कि क्या मर्डर के पीछे आईएसआई की सुनियोजित षड्यंत्र थी, क्योंकि वह सरबजीत का कातिल था और आईएसआई के कई राज जानता था भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मर्डर के बाद लाहौर में आमिर का असर बढ़ गया. इसके आसपास हमेशा सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं. आईएसआई ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराई थी, लेकिन अज्ञात हमलावरों ने उनकी मर्डर कर दी अमीर सरफराज सेना प्रमुख हाफिज सईद के बहुत खास थे इसलिए इस हत्याकांड के बाद सेना के शीर्ष आतंकवादी भय में हैं

 

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