अंतर्राष्ट्रीय

NASA ने अंतरिक्ष से दिखाई सूर्य ग्रहण की गजब की झलक

सोमवार रात दुनिया पूर्ण सूर्य ग्रहण की गवाह बनी. हालांकि, हिंदुस्तान में इसका असर नहीं दिखा, लेकिन इंटरनेट के जरिए ग्रहण देखा गया. अब अमेरिका की स्पेस एजेंसी यानी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें अंतरिक्ष से सूर्य ग्रहण की झलक दिखाई गई है.

पूर्ण सूर्य ग्रहण केवल कुछ ही राष्ट्रों में नजर आया. इनमें अमेरिका, मेक्सिको, कनाडा का नाम शामिल है. इनके अतिरिक्त कुछ कैरेबियाई देशों, कोलंबिया, वेनेजुएला, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड, पुर्तगाल समेत कई स्थानों पर आंशिक रूप से ग्रहण देखा गया. ग्रहण सोमवार रात 9 बजकर 13 मिनट (IST) पर प्रारम्भ हो गया था, जो मंगलवार सुबह 2 बजकर 22 मिनट तक चला.

क्या है सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा एक सीधी रेखा के बिंदु के तौर पर सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो यह सूर्य को ढक लेता है. इससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़ती और इसमें पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाता है. साल के पहले सूर्य ग्रहण को खग्रास सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है. वैसे सूर्य ग्रहण चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, वार्षिक सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के तौर पर जाना जाता है.

52 वर्ष का सबसे लंबा ग्रहण
कहा जा रहा था कि यह सूर्य ग्रहण लगभग 52 वर्ष के बाद सबसे लंबा होगा. इससे पहले 1971 में पूर्ण सूर्य ग्रहण की घटना हुई थी. इस बार पड़ने वाले ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे 10 मिनट की होगी. इसमें तकरीबन साढ़े सात मिनट का समय ऐसा रहेगा, जब धरती पर अंधेरा छाया रहेगा. इस दुर्लभ खगोलीय घटना का असर हिंदुस्तान में नहीं पड़ेगा.

क्या है सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा एक सीधी रेखा के बिंदु के तौर पर सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, तो यह सूर्य को ढक लेता है. इससे सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पड़ती और इसमें पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जाता है. साल के पहले सूर्य ग्रहण को खग्रास सूर्य ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है. वैसे सूर्य ग्रहण चार प्रकार के होते हैं, जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, वार्षिक सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण और हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के तौर पर जाना जाता है.

52 वर्ष का सबसे लंबा ग्रहण
कहा जा रहा था कि यह सूर्य ग्रहण लगभग 52 वर्ष के बाद सबसे लंबा होगा. इससे पहले 1971 में पूर्ण सूर्य ग्रहण की घटना हुई थी. इस बार पड़ने वाले ग्रहण की अवधि लगभग 5 घंटे 10 मिनट की होगी. इसमें तकरीबन साढ़े सात मिनट का समय ऐसा रहेगा, जब धरती पर अंधेरा छाया रहेगा. इस दुर्लभ खगोलीय घटना का असर हिंदुस्तान में नहीं पड़ेगा.

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