इराक के अंदर पीकेके प्रशिक्षण शिविर ने तुर्की के लिए सुरक्षा खतरा पैदा
पीकेके ने हाल ही में तुर्की के आंतरिक मंत्रालय कार्यालय के पास एक आत्मघाती बम हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें दो पुलिस अधिकारी घायल हो गए थे। इसके बाद तुर्की ने पीकेके के एक जरूरी प्रशिक्षण शिविर को नष्ट करने के लिए इराक में सर्जिकल हड़ताल की है।
तुर्की ने दावा किया कि इराक के अंदर पीकेके प्रशिक्षण शिविर ने तुर्की के लिए सुरक्षा खतरा पैदा कर दिया है। तुर्की के ऑफिसरों ने बोला कि शिविर पीकेके आतंकियों को प्रशिक्षण दे रहा था जो तुर्की के विरुद्ध हमले करने के लिए तैयार थे। तुर्की की सर्जिकल हड़ताल से इराक और इराक के बीच तनाव बढ़ गया है। तुर्की पीकेके को आतंकी संगठन मानता है और लंबे समय से इसके विरुद्ध लड़ाई लड़ रहा है।
कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी क्या है?
कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी (पीकेके) एक कुर्द सियासी संगठन है जो मुख्य रूप से तुर्की और इराक के उत्तरी हिस्सों में एक्टिव है। इस समूह में मुख्य रूप से तुर्की कुर्द शामिल हैं, जिन्होंने 1984 में एक हिंसक अभियान प्रारम्भ किया था। पीकेके का मूल लक्ष्य दक्षिण-पूर्वी तुर्की में एक स्वतंत्र कुर्द राज्य स्थापित करना था। 1990 के दशक की आरंभ में, पीकेके ग्रामीण विद्रोही गतिविधियों से शहरी आतंकवाद की ओर स्थानांतरित हो गया। इसलिए, PKK को तुर्की, यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम सहित कई राष्ट्रों द्वारा एक आतंकी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
PKK का गठन 1978 में हुआ था
पीकेके की स्थापना 1978 में कुर्द सियासी और सेना नेता अब्दुल्ला ओकलान ने की थी। ओकलान ने पीकेके की स्थापना के लिए तुर्की के विरुद्ध भेदभाव से प्रेरणा ली। पीकेके ने अपने 45 वर्ष के इतिहास में कई हिंसक हमले किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप नागरिकों और सैनिकों की मृत्यु हुई है। PKK ने अंकारा, इस्तांबुल और इज़मिर सहित तुर्की के कई प्रमुख शहरों पर धावा किया है। PKK ने इराक और सीरिया में भी हमले किए हैं। पीकेके की अत्याचार के कारण तुर्की और कुर्दों के बीच संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में हजारों लोग मारे गए हैं।
इराक और तुर्की के बीच शत्रुता
दोनों राष्ट्रों के बीच प्रतिद्वंद्विता की जड़ें इतिहास में हैं। उनके बीच धार्मिक, सियासी और सांस्कृतिक मतभेद हैं, जो समय के साथ बढ़े हैं।
इराक एक इस्लामी गणतंत्र है, जबकि तुर्की एक धर्मनिरपेक्ष देश है। इराक में शिया इस्लाम का पालन किया जाता है, जबकि तुर्की में सुन्नी इस्लाम का पालन किया जाता है। दोनों संप्रदायों के बीच ऐतिहासिक मतभेद रहे हैं, जो आज भी जारी हैं। इराक अपने हितों को बढ़ावा देने के लिए एक्टिव रूप से काम करता है। जबकि तुर्की इराक के साथ अपने संबंधों में अधिक उदारवादी है। इराक और तुर्की के बीच सांस्कृतिक मतभेद भी हैं। इराकी संस्कृति अरब संस्कृति से प्रभावित है, जबकि तुर्की संस्कृति ओटोमन संस्कृति से प्रभावित है। दोनों संस्कृतियों के बीच कुछ समानताएँ हैं, लेकिन कुछ जरूरी अंतर भी हैं।
आधुनिक इतिहास में झगड़े
इराक और तुर्की के बीच शत्रुता का आधुनिक इतिहास 20वीं सदी की आरंभ का है। 1920 के दशक में तुर्की ने एक आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष देश का निर्माण किया। इराक ने भी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया प्रारम्भ की, लेकिन वह तुर्की की तरह धर्मनिरपेक्ष नहीं बन पाया। इराक ने तुर्की को इस्लामी क्रांति के विरोधी “दुश्मन” के रूप में देखा। 1990 के दशक में इराक और तुर्की के बीच संबंधों में थोड़ा सुधार हुआ। दोनों राष्ट्रों ने व्यापार और आर्थिक योगदान बढ़ाया। हालाँकि, दोनों राष्ट्रों के बीच सियासी और धार्मिक मतभेद अभी भी कायम हैं।