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मशहूर अंतरराष्ट्रीय समाचारपत्र ‘द गार्जियन’ ने रिपोर्ट में किया ये बड़ा दावा

नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस). मशहूर अंतरराष्ट्रीय समाचारपत्र ‘द गार्जियन’ ने गुरुवार को एक रिपोर्ट में दावा किया कि हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने विदेशी धरती पर रहने वाले वांछित आतंकियों को समाप्त करने की दिल्ली की बड़ी रणनीति के अनुसार पाक में ‘व्यक्तियों’ की मर्डर करवाई. रिपोर्ट में “भारत और पाक के कुछ ख़ुफिया कर्मियों” के हवाले से यह दावा किया गया है.

लंदन से प्रकाशित अखबार का दावा है कि उसके पास कुछ डॉक्यूमेंट्स हैं जो “इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कैसे हिंदुस्तान की विदेशी खुफिया एजेंसी ने कथित तौर पर विदेशों में व्यक्तियों को समाप्त करने के लिए ऑपरेशन चलाए”.

रिपोर्ट में बोला गया है कि हिंदुस्तान ने “2019 के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साहसी दृष्टिकोण अपनाते हुए” ये ऑपरेशन किए.

यह रिपोर्ट इन आरोपों के बीच आई है कि हिंदुस्तान उन लोगों को निशाना बना रहा है, जिन्हें वह अपना दुश्मन मानता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, ताजा दावे 2020 के बाद से लगभग 20 हत्याओं से संबंधित हैं, जिन्हें पाक में अज्ञात बंदूकधारियों ने अंजाम दिया है.

‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट में बोला गया है, ”हालांकि हिंदुस्तान अनौपचारिक रूप से मौतों से जोड़ा गया है. यह पहली बार है कि भारतीय खुफिया कर्मियों ने पाक में कथित अभियानों पर चर्चा की है और डॉक्यूमेंट्स में इन हत्याओं में रॉ की प्रत्यक्ष संलिप्तता का इल्जाम लगाया गया है.

साल 2023 में जब पाक की धरती पर मुहम्मद रियाज और शाहिद लतीफ की गोली मारकर मर्डर कर दी गई, तो इस्लामाबाद ने इन हत्याओं के पीछे हिंदुस्तान की ख़ुफिया एजेंसी का हाथ होने का इल्जाम लगाया था.

उस समय नयी दिल्ली ने तुरंत आरोपों को खारिज कर दिया था और इसे “दुर्भावनापूर्ण हिंदुस्तान विरोधी प्रचार” करार दिया था.

लंदन के अखबार ने पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा साझा किए गए ब्‍योरे का हवाला देते हुए बोला कि “ये मौतें भारतीय खुफिया स्लीपर सेल द्वारा कराई गईं, जो ज्यादातर संयुक्त अरब अमीरात से संचालित होती थीं”.

“2023 में हत्याओं में वृद्धि का श्रेय इन स्लीपर सेल की बढ़ी हुई गतिविधि को दिया गया, जिन पर हत्याओं को अंजाम देने के लिए क्षेत्रीय अपराधियों या गरीब पाकिस्तानियों को लाखों रुपये देने का इल्जाम है.

रिपोर्ट के मुताबिक, “भारतीय एजेंटों ने कथित तौर पर गोलीबारी को अंजाम देने के लिए जिहादियों की भर्ती भी की थी.

इसी तरह, रिपोर्ट में दो भारतीय खुफिया ऑफिसरों के हवाले से बोला गया है कि जासूसी एजेंसी की कार्रवाई 2019 में पुलवामा हमले से प्रारम्भ हुई थी, जिसे पाक स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था.

रिपोर्ट यह भी कहती है कि “पुलवामा हादसे के बाद राष्ट्र के बाहर के तत्वों को धावा करने या कोई गड़बड़ी पैदा करने से पहले निशाना बनाने के लिए दृष्टिकोण बदला गया”.

रिपोर्ट में एक भारतीय ख़ुफिया ऑपरेटर के हवाले से बोला गया है, “हम हमलों को रोक नहीं सके, क्योंकि उनके सुरक्षित ठिकाने पाक में थे, इसलिए हमें साधन तक पहुंचना पड़ा.

द गार्जियन का यह भी बोलना है कि उसके प्रश्नों के उत्तर में हिंदुस्तान के विदेश मंत्रालय ने सभी आरोपों का खंडन एक पूर्व बयान को दोहराते हुए किया यह “झूठा और दुर्भावनापूर्ण हिंदुस्तान विरोधी प्रचार” था.

मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर द्वारा पिछले खंडन पर बल दिया कि अन्य राष्ट्रों में चुनिंदा हत्याएं “भारत गवर्नमेंट की नीति के अनुरूप नहीं थीं.

रिपोर्ट के अनुसार, एक रॉ हैंडलर ने कथित तौर पर गुनेहगार कश्मीरी आतंकी जहूर मिस्त्री के उपनाम जाहिद अखुंद के बारे में जानकारी के लिए भुगतान किया था, जो एयर इण्डिया की उड़ान के किडनैपिंग में शामिल था.

रिपोर्ट में बोला गया है, “मार्च 2022 में कराची में गोलीबारी को अंजाम देने के लिए अफगान नागरिकों को कथित तौर पर लाखों रुपये का भुगतान किया गया था. वे सीमा पार भाग गए लेकिन उनके आकाओं को बाद में पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों ने अरैस्ट कर लिया.

जैश-ए-मोहम्मद कमांडर शाहिद लतीफ पाक की धरती पर मारा गया था.

रिपोर्ट में बोला गया है कि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं ने पाया कि उस आदमी को लतीफ का पता लगाने के लिए एक गुप्त भारतीय एजेंट द्वारा कथित तौर पर 15 लाख पाकिस्तानी रुपये का भुगतान किया गया था और बाद में उसे और 15 लाख पाकिस्तानी रुपये के साथ संयुक्त अरब अमीरात में अपनी कैटरिंग कंपनी देने का वादा किया गया था.

रिपोर्ट में बोला गया है कि पुरुष ने सियालकोट की एक मस्जिद में लतीफ की गोली मारकर मर्डर कर दी, लेकिन उसके तुरंत बाद उसे उसके साथियों के साथ अरैस्ट कर लिया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बशीर अहमद पीर और हिंदुस्तान की मोस्टवांटेड सूची में शामिल सलीम रहमानी की मर्डर की योजना भी कथित तौर पर संयुक्त अरब अमीरात से बाहर रची गई थी. दुबई से लेन-देन की रसीदों से पता चलता है कि हत्यारों को लाखों रुपये का भुगतान किया गया था.

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