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फिलिस्तीन:हमास के हमले के बाद इजरायल की खुफिया क्षमता पर सवाल खड़े

फिलिस्तीन: इजरायल में फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन हमास के हमले के बाद इजरायल की खुफिया क्षमता पर प्रश्न खड़े हो गए हैं दरअसल, इजराइल गाजा में नज़र ड्रोन से फिलिस्तीनियों पर लगातार नजर रखता है और इसकी सीमा काफी सुरक्षित मानी जाती है क्योंकि राष्ट्र की सीमा पर सुरक्षा के लिए कैमरे और सैनिक तैनात हैं

इसके अतिरिक्त इजराइल की खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ पूरे विश्व से गुप्त सूचनाएं निकालने के लिए जानी जाती है इतना सब कुछ होने के बाद भी इजरायल को आतंकवादी संगठन हमास के इतने भयानक हमले की समाचार नहीं हुई हमास ने इजरायली सीमा पर सुरक्षा घेरा तोड़ दिया और सैकड़ों आतंकियों को इजरायल में प्रवेश करने दिया यानी इजराइल की सुरक्षा चूक की वजह से इतना बड़ा धावा सामने आया है

मोसाद को पूरी दुनिया में प्रसिद्धि मिली

दरअसल, इजराइली खुफिया एजेंसियों ने कई उपलब्धियों के कारण दशकों से पूरे विश्व में प्रसिद्धि हासिल की है माना जाता है कि मोसाद अपने किसी भी मिशन को अंजाम देता है

ख़ुफ़िया एजेंसियों की साख शक के घेरे में है

लेकिन हमास की इस बड़ी घुसपैठ और हमले ने इजराइल की खुफिया एजेंसियों की साख पर प्रश्न खड़ा कर दिया है हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले में करीब 700 इजराइली नागरिक मारे गए हैं इसके अतिरिक्त हमास ने कई दर्जन इजराइली नागरिकों को बंदी बना रखा है इसके साथ ही इजराइल में इतनी बड़ी संख्या में आतंकवादी घुस चुके हैं कि वो इस समय इजराइली सेना से लड़ रहे हैं

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने एक बड़ी विफलता स्वीकार की

इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार याकोव अमिड्रोर ने इसे एक बड़ी विफलता बताया उन्होंने कहा, “यह ऑपरेशन वास्तव में साबित करता है कि गाजा में हमारी (खुफिया) क्षमता अच्छी नहीं थी” इस बीच, मुख्य सेना प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने माना कि सेना को जनता को समझाना होगा, लेकिन डेनियल हगारी ने बोला कि अभी समझाने का समय नहीं है उन्होंने बोला कि पहले हम लड़ेंगे फिर जांच करेंगे

कठिन समय में इजराइल पर धावा करें

इजराइल पर यह धावा राष्ट्र के लिए कठिन समय में हुआ है सुप्रीम न्यायालय को कमजोर करने के नेतन्याहू के प्रस्ताव पर इजराइल के पीएम को इतिहास के सबसे बड़े विरोध प्रदर्शनों में से एक का सामना करना पड़ रहा है, जबकि उनके विरुद्ध करप्शन का मुद्दा भी लंबित है

देश में प्रदर्शन कर रहे लोग नेतन्याहू पर सत्ता हथियाने का इल्जाम लगा रहे हैं इसने इसराइल के लोगों को विभाजित कर दिया है और सेना के भीतर भ्रम पैदा कर दिया है गौरतलब है कि कई रिजर्व जवानों ने इसके विरोध में स्वेच्छा से ड्यूटी पर न आने की धमकी दी है

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