चांद पर चलाई थी कार,भारत इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में कर देगा अंकित
चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए अब चंद पलों का प्रतीक्षा है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग का समय करीब आने के साथ ही हर भारतीय के दिल की धड़कनें तेज हो रही है। आज चांद पर लैंडिंग के साथ ही हिंदुस्तान इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित कर देगा। चांद पर लैंडिंग से जुड़े पुराने ऐतिहासिक पलों को याद करते हैं। हम जानते हैं कि अंतरिक्ष पर पहला कदम नासा के वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग ने रखा था। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि चंद्रमा पर आदमी ने कार भी दौड़ाई थी। जी हां धरती से 3.84 लाख किलोमीटर दूर स्थित चांद की जमीन पर एक अंतरिक्ष यात्री ने कार चलाई थी। उस पल के बारे में जानते हैं…
आज से 54 वर्ष पहले 20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक नील आर्मस्ट्रांग और उनकी टीम वो पहले आदमी थे, जिन्होंने चांद पर पहला कदम रखा। अपोलो-11 की कामयाबी के दो वर्ष बाद ही 1971 में अपोलो 15 मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री डेविड स्कॉट और जेम्स इरविन ने चांद पर पहला लूनर रोविंग व्हीकल (एलआरवी) तैनात किया था। यह पहली ऑफ-प्लैनेट ऑटोमोबाइल सवारी थी, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों ने स्वयं ही लैंडिंग साइट का पता लगाया था।
चंद्र मॉड्यूल ‘फाल्कन’ पर नासा के अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा पर लगभग तीन दिन बिताए और कुल मिलाकर पहला रोवर, चंद्र सतह पर कम से कम 28 किलोमीटर (17 मील) की दूरी तय कर गया। अपोलो 15 मिशन लगभग 76 किलोग्राम चंद्रमा की चट्टानें धरती पर वापस लाए।
चांद पर चलाई थी कार
अपोलो 15 का मुख्य उद्देश्य, जो अपोलो ‘जे’ मिशनों में से पहला भी था। जिसमें हेडली-एपेनाइन क्षेत्र का पता लगाना, चंद्र सतह के वैज्ञानिक प्रयोगों को स्थापित करना और एक्टिव करना शामिल था। इस मिशन के दौरान, स्कॉट और इरविन ने न सिर्फ़ 18 घंटे 37 मिनट की खोज का रिकॉर्ड पूरा किया, बल्कि चंद्रमा पर पहली कार चलाई और 17.5 मील की यात्रा करने वाले पहले आदमी भी बने।
द न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेविड आर। स्कॉट एक दिलचस्प चट्टान के पास से बिना रुके गुजरने वाले नहीं थे। वह 31 जुलाई 1971 का दिन था। वह और उनके साथी और अपोलो 15 अंतरिक्ष यात्री जेम्स बी। इरविन ने चंद्रमा पर यात्रा की। चंद्रमा पर चलाई गई कार मूलतः अमेरिकी थी। रोवर की खुली चेसिस, छतरी जैसा एंटीना और तार के पहियों से बनी इस तरह की धरती पर प्रयोग में नहीं लाई जाती।