अंतर्राष्ट्रीय

नासा के अरबों डॉलर के मिशन की रोमांचक कहानी अब आई दुनिया के सामने

Asteroid Bennu: भविष्य में होने वाले एक संभावित एस्टेरॉयड विवाद को रोकने के मकसद से लॉन्च किए गए नासा के अरबों $ के मिशन की रोमांचक कहानी अब दुनिया के सामने आई है वैज्ञानिक दांते लॉरेटा की किताब, ‘द एस्टेरॉयड हंटर: ए साइंटिस्ट्स जर्नी टू द डॉन ऑफ अवर सोलर सिस्टम’ इस मिशन के बारे में विस्तार से बताते हैं

ये कहानी काफी हद तक 1998 की हॉलीवुड फिल्म Armageddon से मिलती जुलती है ​ मिशन के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर के रूप में लॉरेटा,  इस हाई रिस्क वाले ऑपरेशन का पुस्तक में प्रत्यक्ष विवरण प्रदान करते हैं

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार पुस्तकसिर्फ़ मिशन के वैज्ञानिक और तकनीकी पहलुओं की पड़ताल करती है बल्कि इस ऐतिहासिक मिशन के पीछे की मानवीय भावना और सामूहिक कोशिश पर भी प्रकाश डालता है

हमारे सौरमंडल की सबसे घातक चट्टान एस्टेरॉयड बेन्नु है यह एक एयरक्राफ्ट करियर जितना विशाल है यह हमारे सौर मंडल की सबसे अंधेरी वस्तुओं में से एक है इसकी सतह पर चमकने वाले सूर्य के प्रकाश का सिर्फ़ के छोटा हिस्सा ही रिफ्लेक्ट होता है अधिकतर अन्य एस्टेरॉयड पांच गुना अधिक रिफ्लेक्ट होते हैं

यदि हमारी दुनिया ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया तो यह 24 सितंबर, 2182 को,  36 मैक या 27,000 मील प्रति घंटे के वेग से पृथ्वी की सतह से टकराएगा यह भिड़न्त ऐसी होगी जैसे एक एक मालगाड़ी ग्रह से टकराए

नासा ने दांते लॉरेटा को सौंपा जिम्मा
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार 2011 में,  नासा ने इस खतरे का सामना करने का जिम्मा वैज्ञानिक दांते लॉरेटा को सौंपा नासा ने उन्हें मिशन के लिए एक बड़ी धनराशि दी वह बताते हैं, ‘2011 में, नासा ने मुझे इसे पूरा करने के लिए एक अरब $ का पुरस्कार दिया

मिशन का मकसद न सिर्फ़ एस्टेरॉयड पर एक अंतरिक्ष यान भेजना था बल्कि उसका एक टुकड़ा पृथ्वी पर वापस लाना भी था

1999 में हुई थी बेन्नू की खोज
बेन्नू को 11 सितंबर, 1999 को MIT में लिंकन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने खोजा था एस्टेरॉड की काली, कार्बन युक्त सतह से संकेत मिलता है कि इसमें जीवन की उत्पत्ति और रहने योग्य दुनिया के गठन को समझने की कुंजी हो सकती है अरबों वर्ष पहले, बेन्नू जैसे एस्टेरॉयड पृथ्वी पर जरूरी कार्बनिक यौगिक लाए होंगे जिससे जीवन के विकास को बढ़ावा मिला

क्या होगा यदि बेन्नू पृथ्वी से टकराए
यदि बेन्नू पृथ्वी से टकराता है, तो यह पूरे इतिहास में किए गए सभी परमाणु परीक्षणों की संयुक्त शक्ति से अधिक विस्फोट करेगा, जिससे चार मील चौड़ा गड्ढा बन जाएगा और विध्वंसक पर्यावरणीय और मानवीय संकटों की एक श्रृंखला प्रतिक्रिया प्रारम्भ हो जाएगी

OSIRIS-REx मिशन ने दिखाई आशा की किरण
ऐसे गंभीर खतरे के सामने, OSIRIS-REx मिशन ने दुनिया को आशा की किरण दिखाई है यह मिशन,  तनाव और आखिरकार जीत हासिल करने की कहानी है जिसमें बेन्नू के बीहड़ क्षेत्र पर अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग शामिल थी

मिशन का मुख्य आकर्षण परफेक्ट ऑपरेशन था जहां अंतरिक्ष यान के टच-एंड-गो सैंपल एक्विजिशन मैकेनिज्म (टीएजीएसएएम) ने एस्टेरॉड की सतह के साथ संपर्क बनाया, जो चिंता और उत्तेजना से भरा क्षण था

क्या था OSIRIS-REx मिशन

OSIRIS-REx को 8 सितंबर 2016 को लॉन्च किया गया था 22 सितंबर 2017 को पृथ्वी के पास से उड़ान भरी और 3 दिसंबर 2018 को बेन्नू के साथ मुलाकात हुई

इसने अगले दो वर्ष सतह का विश्लेषण करने में बिताए ताकि एक उपयुक्त साइट ढूंढी जा सके जहां से नमूना निकाला जा सके

20 अक्टूबर 2020 को, OSIRIS-REx ने बेन्नु को छुआ और सफलतापूर्वक एक नमूना इक्ट्ठा किया

OSIRIS-REx ने 10 मई 2021 को बेन्नू को छोड़ दिया और 24 सितंबर 2023 को अपना नमूना पृथ्वी पर लाया

मिशन की अहमियत
यह मिशन अंतरिक्ष अन्वेषण के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में खड़ा है, जो हमारे ग्रह को अलौकिक खतरों से बचाने के इन्सानियत के संकल्प का प्रतीक है

यह प्रारंभिक सौर मंडल की हमारी समझ में एक जरूरी छलांग का भी प्रतीक है, जो ऐसे सुराग देता है जो हमारे ब्रह्मांडीय पड़ोस के गठन और विकास के रहस्यों को खुलासा कर सकते हैं

यह ऐतिहासिक प्रयाससिर्फ़ हमारे सौर मंडल में छिपे संभावित खतरों की तरफ ध्यान दिलाती है बल्कि हमारे ग्रह और प्रजातियों के भविष्य की सुरक्षा करते हुए इन चुनौतियों का डटकर सामना करने की हमारी बढ़ती क्षमताओं को भी दर्शाती है

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button