डायबिटीज के लिए रामबाण हैं ये काले सोने की खेती, अब हो रही बंपर कमाई
पलामू। भारत के किसान अब सतर्क हो रहे हैं। पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक खेती और मेडिसिनल खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। झारखंड में भी किसान ऐसी फसलों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसकी बाजार में मांग हो और उसे बेचने पर अच्छी मूल्य मिल सके। झारखंड की राजधानी रांची से 165 किलोमीटर दूर पलामू में रहने वाले किसान हर वर्ष मौसम की मार झेलते हैं। मगर किसान हौसला नहीं हारते। पारंपरिक खेती से हटकर किसान आधुनिक खेती कर रहे हैं, जिसके उत्पादन में एक आता है काला धान। पलामू जिले के पड़वा प्रखंड भीतर झरी गांव निवासी ओंकारनाथ काले धान की खेती कर रहे हैं।
काला धान जिसे काला सोना भी बोला जाता है। ये औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें कई ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो किसी भी चावल में नहीं मिलते। इसमें ग्लैसमिक इंडेक्स होता है। जिससे शुगर के रोगियों को चिकित्सक खाने की राय भी देते हैं। ओंकारनाथ बताते हैं कि वो पिछले तीन वर्ष से इसकी खेती कर रहे हैं। इससे वो औनलाइन बाजार में बेचते हैं। इसकी खेती से उन्हें पांच गुना फायदा मिलता है। जहां सामान्य चावल बाजार में 30 से 40 रुपए किलो बिकता है। वहीं काला चावल का बाजार में दर 300 से 400 रुपए किलो है। उन्होंने अपने 5 एकड़ के खेत में इसकी खेती की है। इससे उनका प्रोडक्शन 50 क्विंटल धान तैयार हुआ है। इसके साथ साथ एफ पी ओ के माध्यम से किसानों को भी बीज देकर इसकी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कम पानी में तैयार होता है फसल
उन्होंने कहा कि इसकी सबसे खास बात है कि कम पानी में ये तैयार हो जाता है। इसके लिए केवल खेत की आवश्यकता होती है। सामान्य धान के लिए जहां अधिक पानी की आवश्यकता होती है। वहीं काला धान कम पानी में तैयार होता है। इसके लिए कोई विशेष प्रबंधन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। काला धान को तैयार होने में अधिक समय लगता है। अन्य धान 90 से 110 दिन में तैयार होते हैं। वहीं काले धान को तैयार होने में 125 दिन का समय लगता है। एक क्विंटल काला धान की मूल्य बाजार में लगभग 8000 रुपए होती है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ में किसान यदि इसकी खेती करते हैं तो 10 से 12 हजार रुपए का खर्च आता है। वहीं फायदा की बात करें तो खर्च काटकर 70 से 80 हजार रुपए कमा सकते हैं।
सामान्य धान की तरह ही इसे मई जून में इसकी नर्सरी लगाई जाती है। इसके बाद जुलाई-अगस्त में इसकी रोपनी होती है। 125 दिन यानी करीब 4 माह में फसल तैयार हो जाती है। किसान के मुताबिक यदि खेत में पर्याप्त पानी हो तो वर्ष में दो बार भी इसकी खेती हो सकती है। दूसरी बार इसकी खेती फरवरी माह में कर सकते हैं। किसान ओंकारनाथ औनलाइन शापिंग ऐप एमेजॉन के माध्यम से काला चावल की बिक्री करते हैं। साथ ही इनके मोबाइल नंबर 70049 71047 पर संपर्क कर भी काला चावल मंगाया जा सकता है। ऑर्डर आने पर राष्ट्र भर में ये चावल भेजते हैं।