झारखण्ड

रांची यूनिवर्सिटी के शिक्षक पीएचडी इंक्रीमेंट के लाभ से वंचित

रांची रांची यूनिवर्सिटी के शिक्षक पीएचडी इंक्रीमेंट के फायदा वंचित हैं. नियमों के पेंच में पीएचडी इंक्रीमेंट से संबंधित प्रस्ताव यूनिवर्सिटी मुख्यालय और उच्च शिक्षा विभाग के बीच हिचकोले खा रहा है. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कभी यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी)की गाइडलाइन का हवाला देकर पीएचडी इंक्रीमेंट प्रस्ताव को यूनिवर्सिटी मुख्यालय में वापस कर दिया जाता है तो कभी कुलपति के आदेश और सिंडिकेट की सहमति से नियुक्त एकेडमिक डीन द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को भी नहीं मान रहा है. विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने विवि शिक्षकों से बोला कि डीन एकेडमिक का पद वैधानिक नहीं है. इस कारण पीएचडी इंक्रीमेंट देने से संबंधित प्रस्ताव लंबित है. अब विवि शिक्षकों ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से पूछा है कि डिप्टी डायरेक्टर के पद पर विवि शिक्षकों की नियुक्ति किस नियम से की गई है? क्या इनकी नियुक्ति वैधानिक है? विवि शिक्षकों को डिप्टी डायरेक्टर के पद पर नियुक्ति करने के लिए कब नियम बना था? विवि शिक्षकों के लिए उच्च शिक्षा विभाग में डिप्टी डायरेक्टर का पद कब सृजित किया गया था? शिक्षकों ने बोला कि पीएचडी इंक्रीमेंट पर वैसे डिप्टी डायरेक्टर प्रश्न उठा रहे हैं, जिनकी नियुक्ति ही वैधानिक नहीं है. पीएचडी इंक्रीमेंट देने के लिए यूजीसी गाइडलाइन के मुताबिक ऑफिसरों से सत्यापित कर पांच जानकारियां भेजनी थी. इसमें दो रिसर्च पेपर पब्लिश है, दो सेमिनार में भाग लिए हैं, थिसिस को दो एक्सपर्ट से मूल्यांकन कराया गया है, ओपन वायवा हुआ है और रेगुलर मोड में पीएचडी की डिग्री अवार्ड किया गया है, शामिल है. गाइडलाइन क्या है यूजीसी ने बोला है कि पीएचडी इंक्रीमेंट प्रस्ताव पर वीसी, प्रोवीसी, डीन एकेडमिक और डीन इंट्रैक्शन में से किसी एक के हस्ताक्षर से यूनिवर्सिटी द्वारा उच्च शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा. रांची विवि में डीन एकेडमिक और डीन इंट्रैक्शन नाम से कोई पद नहीं है. नियम-परिनियम के जानकार बताते हैं कि रजिस्ट्रार ही डीन इंट्रैक्शन है. ऐसे में रजिस्ट्रार द्वारा भेजा गया पीएचडी इंक्रीमेंट वापस करना समझ से परे है. ^पीएचडी इंक्रीमेंट को लेकर शिक्षकों लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. इसके बाद भी काफी संख्या में शिक्षक फायदा से वंचित है. विभागीय सचिव इस मुद्दे में हस्तक्षेप कर परेशानी का निदान कराएं. ताकि शिक्षकों को इन्साफ मिल सके. डाक्टर जगदीश लोहरा, अध्यक्ष टीचर्स एसोसिएशन विवि शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट नहीं मिलने के कारण हर माह लगभग 20 हजार रुपए का हानि हो रहा है. इसमें सबसे अधिक 2008 बैच के शिक्षक प्रभावित हैं. इन शिक्षकों की नियुक्ति 16 वर्ष पहले झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से हुई थी. उच्च न्यायालय ने इन शिक्षकों के पक्ष में निर्णय देते हुए पीएचडी इंक्रीमेंट देने का आदेश दिया था.

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