झारखण्ड

Jharkhand: इस गावं में लोगों के जीवन का सहारा बनी बकरियां

Jharkhand Village Story: झारखंड में तरह-तरह के गांव मिलेंगे. एक से एक अजीब-ओ-गरीब नाम वाले गांव हैं, तो काम से भी कई गांव बहुत अजीब-ओ-गरीब हैं. इनकी कहानी भी अजब-गजब है. किसी गांव का नाम लेने में लोगों को लज्जा आती है, तो किसी गांव का नाम सुनकर लोगों को हंसी आ जाती है. कहीं बकरियां लोगों के जीवन का सहारा बनी हुईं हैं.

Jharkhand के इस गांव में रहते हैं 1000 से अधिक लोग

आज हम ऐसे ही एक गांव के बारे में बताने जा रहे हैं. इस गांव में आदमी की जनसंख्या से 10 गुणा बकरियां हैं. जी हां. बकरियों की जनसंख्या आदमी से अधिक है. झारखंड की राजधानी रांची से सटे इस गांव में कुल 300 से कुछ अधिक मकान हैं. उनमें 1,000 लोग रहते हैं. इस गांव में बकरियों की संख्या 10 हजार से अधिक है.

बकरियों की सहायता से समृद्ध और आत्मनिर्भर हो रहे लोग

गांव के लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. ऐसे में रोजी-रोजगार के लिए उन्हें पलायन करना पड़ता था. मजदूरी करके जीवन यापन करते थे. लेकिन, अब ये लोग समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. हम बात कर रहे हैं चामगुरु गांव की. राजधानी रांची से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है यह गांव. इस गांव के लगभग हर घर में बकरी पालन होता है. बकरी पालन ने उन्हें समृद्ध भी बनाया है और आत्मनिर्भर भी.

चामगुरु गांव के 90 प्रतिशत लोग करते हैं बकरी पालन

आंकड़े बताते हैं कि झारखंड की राजधानी रांची के इस गांव में 90 फीसदी परिवार बकरी का पालन करता है. बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी ने इस गांव को गोद ले रखा है. इसका असर यह हुआ कि लोगों को बकरी पालन करने में सुविधा होने लगी. बकरियों को क्या खिलाना है, यदि वे बीमार पड़ जातीं हैं, तो उनका उपचार कहां और कैसे करवाना है, इन सबकी जानकारी बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी के कर्मचारी और अधिकारी उन्हें दे देते हैं.

रोजी-रोटी का जरिया हैं बकरियां

इस गांव में रहने वाली विमला देवी की मानें, तो बकरी पालन करने वाले हर परिवार में 30 से 40 बकरियां मिल जाएंगी. यहां आदमी कम, बकरियां अधिक हैं. हमारे गांव के लोगों की रोजी-रोटी बकरियां ही हैं. इसलिए बच्चे से लेकर बड़े और बुजुर्ग तक आपको गांव में बकरी चराते मिल जाएंगे. यदि आप पूछ लें कि आप केवल बकरी ही क्यों चराते हैं, तो गांव के लोग कहेंगे कि हमें कुछ और आता ही नहीं. हम प्रारम्भ से बकरी ही चरा रहे हैं.

बीमारी का उपचार कराना हो या बेटी का ब्याह, सहारा हैं बकरियां

हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस गांव के लोग केवल बकरी ही चराते हैं. कुछ परिवार के बच्चे पढ़ते भी हैं. उनकी पढ़ाई का खर्चा इन्हीं बकरियों को बेचकर निकलता है. यदि बेटी की विवाह करनी हो, तो बकरी बेचकर ही उसके लिए पैसे जुटाए जाते हैं. रोग का उपचार कराना हो या कोई और महत्वपूर्ण काम, जब भी पैसे की आवश्यकता पड़ती है, बकरी बेचकर उसका जुगाड़ कर लेते हैं. इसलिए बकरियों को इस गांव के लोग एटीएम मशीन से कम नहीं समझते.

वजन के हिसाब से बिकतीं हैं बकरियां

बिरसा कृषि यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अशोक की मानें, तो गांव के लोग बकरी पालन में निपुण हैं. बकरी पालन के सारे संसाधन जुटाने में यूनिवर्सिटी इनकी सहायता करता है. गवर्नमेंट की कई योजनाओं की भी इन्हें जानकारी दी जाती है, जिसकी वजह से इनको लाभ होता है. बता दें कि बकरियों को आमतौर पर बाजार में बेचा जाता है. शादी-ब्याह और पर्व के दौरान लोग इनके गांव से बकरियां खरीदकर ले जाते हैं. वजन के हिसाब से बकरियां बिकतीं हैं.

विश्व में बकरियों की संख्या?

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि आज पूरे विश्व में बकरियों की करीब 300 से अधिक नस्लें हैं. केवल हिंदुस्तान में 20 नस्ल की बकरियां हैं. यूनाइटेड नेशंस के फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2011 में विश्व में बकरियों की संख्या 92.4 करोड़ से अधिक थी.

बकरियों का मुख्य भोजन क्या है?

बकरियों का मुख्य भोजन आमतौर पर हरा चारा ही है. इन्हें हरा चारा खिलाने से दाने की बचत होती है. बोला जाता है कि यदि बकरियों ने किसी पौधे को चर लिया यानी खा लिया, तो उसकी वृद्धि रुक जाती है. लेकिन, यह तथ्य नहीं है. यह एक धारणा है, जो गलत है. आपको बता दें कि बकरियां कभी भी पौधे को नहीं खातीं. उसकी पत्तियों को खाती है और इस दौरान उसकी कुछ कोमल शाखाओं को भी चबा जातीं हैं.

बकरी पालन के क्या होते हैं फायदे?

अगर आप बकरी का पालन करते हैं, तो इससे दूध और मांस दोनों मिलता है. बकरी की खाल, उसके बाल और रेशों का भी भिन्न-भिन्न व्यावसायिक महत्व है. बकरी के मल-मूत्र का भी खात के रूप में इस्तेमाल होता है. इस तरह देखें कि छोटे आकार की बकरियों को पालने के कई लाभ होते हैं. छोटे किसान इससे आत्मनिर्भर हो सकते हैं.

किस रोग में कारगर है बकरी का दूध?

बकरी के दूध में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम होता है. यह सुपाच्य है. इसके दूध में मैग्नीशियम की मात्रा अच्छी-खासी होती है. यह दिल के लिए बहुत लाभ वाला है. दिल की धड़कन को बनाए रखने में मैग्नीशियम मददगार होता है.

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