झारखण्ड

तकवा, ईमानदारी, परहेज और बंदगी के साथ अपनी जिंदगी गुजारने की देती है सीख : मौ. रियाज

लातेहार जिलेभर की मस्जिदों में शुक्रवार को चिलचिलाती धूप में अकीदत और एहतराम के साथ माह-ए-रमजान के अलविदा जुमे की नमाज अदा की गई. इस दौरान जिला मुख्यालय समेत जिले के लातेहार, हेरहंज, बरियातू, बालूमाथ, चंदवा, मनिका, बरवाडीह, गारू, सरयू और महुआडांड़ प्रखंड के जामा मस्जिद समेत अन्य मस्जिदों में रोजेदारों समेत नमाजियों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान मुसलमान धर्मावलंबियों ने अकीदत के साथ अलविदा के जुमे की नमाज पढ़कर अल्लाह से देश की तरक्की, खुशहाली और अमन की दुआएं मांगी.

अलविदा जुमा को लेकर सुबह से ही मुसलमान बहुल इलाकों में उत्साह का माहौल देखा गया. लोग अलविदा जुमे की नमाज के लिए सुबह से ही तैयारी में जुट गए थे. महुआडांड़ प्रखंड में सबसे बड़ी जमाअत जामा मस्जिद में अदा हुई. जिसमें इमाम मुफ्ती शब्बर रजा कादरी ने अलविदा जुमे की नमाज पढ़ाई. इससे पहले जामा मस्जिद में दिए गए तकरीर में मौलाना रियाज ने बोला कि अफसोस है कि माह-ए-रमजान अब हमसे रुख्सत हो रहा है. इसके साथ ही नमाजी भी मस्जिदों से रुख्सत हो जाएंगे. माह-ए-रमजान अहले इमान को दर्स देता है कि कैसे सालभर लोग तकवा, ईमानदारी, परहेज और बंदगी के साथ अपनी जीवन गुजारें. अलविदा का मतलब होता है किसी चीज के रुख्सत होने का यानी रमजान महीना जिसमें जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और नर्क के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.

लोग इस महीने में केवल नेकियां कमाने में लगे रहते हैं. अपने रब को मनाने के लिए रोजे रखते हैं. नमाज पढ़ते हैं. तरावी पढ़ते हैं. इस तरह से पूरे महीने अपने रब की इबादत करते हैं. उन्होंने बोला कि अब यह महीना हमसे रुख्सत हो रहा है. इसलिए इस मौके पर जुमे में अल्लाह से खास दुआ की जाती है कि आने वाला रमजान हम सब को नसीब हो. रमजान के महीने में अंतिम जुमा (शुक्रवार) को ही अलविदा जुमा बोला जाता है. अलविदा जुमे के बाद लोग ईद की तैयारियों में लग जाते हैं. अलविदा जुमा रमजान माह के तीसरे अशरे (आखिरी 10 दिन) में पड़ता है. यह जुमा बहुत ही अफजल होता है, क्योंकि इससे नर्क से निजात मिलती है.

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