आदिवासी सेमलेद के रूप में मना बाहा-सरहुल पर्व, लोग बोले…
जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में रविवार को बाहा-सरहुल पर्व को आदिवासी सेमलेद (सम्मेलन) के रूप में मनाया गया। आदिवासी युवा संगठन के आह्वान पर पूरे कोल्हान के युवाओं का यहां जुटान हुआ।
बाहा सरहुल पर्व में संताल, हो, मुंडा, भूमिज और अन्य जनजातीय समाज के युवाओं ने अपनी आपसी एकता और अखंडता का प्रदर्शन किया। इस सामाजिक कार्यक्रम में लोगों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपने एक-दूसरे के साथ गहरा संबंध बनाया।
साथ ही उन्होंने सामूहिक रूप से बाहा पूजा कर प्रकृति की उपासना की, जिससे प्रकृति के महत्व को समझाया गया। इस कार्यक्रम में प्रकृति की रक्षा करने के संकल्प को भी मजबूत किया गया, जिसे आदिवासी समाज अपने जीवन का आधार मानते हैं।
सांस्कृतिक धरोहर को खुलासा किया
सेमलेद में युवाओं ने प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा दिया, जिससे क्षेत्रीय समुदाय की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के सम्मान में वृद्धि हो। इस अद्वितीय पर्व के माध्यम से समाज ने अपनी विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को खुलासा किया।
यहां युवाओं ने एक-दूसरे के साथ अपने संबंध के महत्व को समझा। साथ ही प्रकृति के साथ भी एक संवेदनशील और समर्पित संबंध का विकास किया। इस सामाजिक उत्सव ने युवाओं को एक साथी और समृद्ध समाज के महत्व को समझने में सहायता किया।
युवाओं को एक मंच पर लाना था मकसद
आदिवासी युवाओं को एक मंच पर लाने का मकसद सामाजिक संजाल बनाना था, जहां वे अपने विचारों को साझा कर सकें। इस मंच ने उन्हें सामाजिक और आर्थिक समस्याओं पर चर्चा करने और निवारण ढूंढने का अवसर प्रदान किया। इसके माध्यम से उन्हाेंने आत्म-संज्ञान को बढ़ाया और समाज के उत्थान के लिए सामाजिक और आर्थिक योजनाओं में एक्टिव किरदार निभायी। यह मंच उन्हें एक साथ आने और साथ मिलकर समस्याओं का निवारण निकालने का अवसर प्रदान किया।
इन बिंदुओं पर किया मंथन
- प्रकृति और वन्यजीवन की रक्षा
- सांस्कृतिक विरासत का सम्मान
- शिक्षा और ज्ञान को प्रोत्साहन
- रोजगार के अवसरों का विकास
- समाज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार
- नशामुक्त समाज का निर्माण
- युवाओं की भागीदारी का प्रोत्साहन
- नारी शक्ति का सम्मान और समर्थन
- सामाजिक और आर्थिक असमानता का समापन
- सामाजिक एकता और अखंडता को बढ़ावा
युवाओं के बोल
अनेकता हमारी शक्ति है
अनेकता में एकता हमारी शक्ति है। संताल, हो, मुंडा और भूमिज, हम सभी एक समान हैं। हमारी भिन्नताओं में हमारी शक्ति है। हमारी एकता में हमारा सामर्थ्य है। हमारी एकता और अखंडता समृद्ध समाज की पहचान है। हम एकजुट हो जनजातीय समाज को मजबूत बना रहे हैं।
प्रकृति के साथ है गहरा संबंध
हम आदिवासी प्रकृति के साथ गहरा संबंध रखते हैं। प्रकृति हमारी आध्यात्मिकता का आधार है। हमें प्रकृति के सौंदर्य और संतुलन की महत्वाकांक्षा होनी चाहिए। इसे सम्मान देना, इसकी रक्षा करना और संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। प्रकृति से प्रेम करना हमारी जिम्मेदारी है।
हमें आदिवासी होने पर गर्व है
हम आदिवासी होने पर गर्व महसूस करते हैं। प्रकृति के साथ हमारा अन्योन्याश्रय संबंध है। हम प्रकृति के साथ एकता में रहते हैं और उसकी संरक्षा के लिए समर्पित हैं। हमारा संबंध हमें समृद्ध और संतुलित जीवन देता है। हम अपने आदिवासी विरासत को सम्मान के साथ निभाते हैं।
प्रकृति और संस्कृति पर है आस्था
हमें हमारी आदिवासी समाज पर गर्व है। प्रकृति और संस्कृति पर हमें आस्था है। हम अपनी भाषा और संस्कृति को संजीवन करने का संकल्प करते हैं। हम इसे समृद्ध करने के लिए मुश्किल कोशिश करते हैं और उसे संरक्षित रखने का संकल्प लेते हैं।उसकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से समर्थ हैं।
प्रकृति का संरक्षण हमारा कर्तव्य
प्रकृति और संस्कृति हमारे जीवन का आधार है। इनसे विमुख होना संभव नहीं है। हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व है। इसका समर्थन और संरक्षण हमारा कर्तव्य है। हम अपनी विरासत को सजीव रखने के लिए प्रयासरत हैं। प्रकृति के साथ हमार संबंध काफी मजबूत है।
सामाजिक स्थिति को सुधारेंगे
हम प्रकृति और अपनी संस्कृति के साथ संबंध को समझते हैं और उन्हें संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अच्छी पढ़ाई कर न सिर्फ़ अपने परिवार और समाज का नाम रोशन करेंगे, बल्कि अपनी संस्कृति को भी आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे। समुदाय की आर्थिक स्थिति को भी सुधारेंगे।
हम युवा हर मामले पर हैं एक
हम जनजातीय समाज के युवा हर मामले पर एक हैं। हम अपनी युवा शक्ति को समाज और राष्ट्र के नवनिर्माण में लगाएंगे। हम प्रकृति और अपनी संस्कृति को संरक्षित रखेंगे। हमारा यह संकल्प है कि हम समृद्ध और समर्थ समाज के निर्माण में सहयोग करेंगे।
भाषा-संस्कृति को बचायेंगे
हम जनजातीय समाज के भाषा और संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम समेकित कोशिश करेंगे ताकि हमारी विरासत को समृद्ध रखा जा सके। हमारी भाषा और संस्कृति हमारी पहचान हैं। हम इन्हें सम्मान और संरक्षण के साथ निभाएंगे। समुदाय की गरिमा को बढ़ाएंगे।
युवा ऊर्जा को नवनिर्माण में लगायेंगे
हम जनजातीय समाज के युवा हर मामले पर एक हैं। हम अपनी युवा ऊर्जा को समाज और राष्ट्र के नवनिर्माण में लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा लक्ष्य है समृद्ध और समर्थ समाज का निर्माण करना। हम एकजुट होकर विभिन्न चुनौतियों का सामना करेंगे और योगदान से निवारण ढूंढेंगे।
हर चुनौती का सामना करेंगे
हम आदिवासी समाज के युवा हर मामले पर एक हैं। हम अपनी युवा ऊर्जा को समाज और राष्ट्र के नवनिर्माण में लगायेंगे। हम सबका लक्ष्य है समृद्ध और समर्थ समाज का निर्माण करना। हम एकजुट होकर विभिन्न चुनौतियों का सामना करेंगे और योगदान से निवारण ढूंढ़ेंगे।