लेटैस्ट न्यूज़

आपने पोर्न डाउनलोड क्यों किया, जवाब सुनकर अचरज में पड़ गए जस्टिस चंद्रचूड़

CJI DY Chandrachud:  इसी वर्ष जनवरी में मद्रास उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में बोला था कि निजी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना POCSO अधिनियम और आईटी अधिनियम के अनुसार क्राइम नहीं है. उस निर्णय को एनजीओ  ‘जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस’ ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की खंडपीठ आज (शुक्रवार, 19 अप्रैल) इस पर सुनवाई कर रही थी.

इस दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपी पक्ष से पूछा कि आपकी डिवाइस, में पोर्न कहां से आया? इस पर प्रतिवादी ने उत्तर दिया, “संभवत: व्हाटसएप से मिला था. मैंने शायद देखा भी नहीं होगा क्योंकि यह व्हाट्सएप में आया था. फाइल का नाम बदलकर WA कर दिया गया था, जो साबित करता है कि यह व्हाट्सएप पर प्राप्त हुआ था. व्हाट्सएप पर डिफ़ॉल्ट सेटिंग है और 2 वर्ष बाद इसके बारे में पता चला. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था. मेरे काउंटर में लिखा है कि यह खुद डाउनलोड हो गया था.

इस पर CJI ने अचरज जताते हुए पूछा, “ऑटो डाउनलोड से आपका क्या मतलब है?” इतना ही नहीं, जस्टिस चंद्रचूड़ ने आईटी अधिनियम प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा, “अगर यह आपके इनबॉक्स में आ गया था, तो आपको इसे हटाना चाहिए था.” इस पर प्रतिवादी ने कहा, “लेकिन  क्लिप मेरे पास 14.6.2019 को आई थी; जबकि POCSO की धारा-15 में संशोधन 16.8.19 को हुआ था.

इस पर सीजेआई ने बोला कि यदि आपकी डिवाइस में पोर्न आ गया था तो आपने उसे हटाया क्यों नहीं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “आईटी एक्ट की धारा-15 में संशोधन के बाद भी यदि आप वीडियो को अपनी डिवाइस में देर तक रखते हैं और हटाते या नष्ट नहीं करते हैं , तो ऐसा कर भी आप कानून का उल्लंघन करना जारी रखते हैं, तो इस तरह से यह एक क्राइम है.” हालांकि, सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा, “किसी के द्वारा केवल अपने व्हाट्सएप इनबॉक्स पर पोर्न रिसीव करना कोई क्राइम नहीं है.

सीजेआई ने कहा, बच्चे का पोर्नोग्राफी देखना क्राइम नहीं हो सकता है लेकिन पोर्नोग्राफी में बच्चे का इस्तेमाल क्राइम हो सकता है. उन्होंने कहा, हमें सिर्फ़ एक बात पर विचार करना है कि वह (प्रतिवादी) कहते हैं कि यह अनैच्छिक था, फ़ाइल को संशोधित नहीं किया गया था. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, “लेकिन मीलॉर्ड उसने इसे दो वर्ष तक देखा है, यह NETMEG की रिपोर्ट है.

इसके बाद सीजेआई ने गवर्नमेंट से सोमवार तक इस मुद्दे में  लिखित उत्तर मांगा. इसके साथ ही मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, “बहस पूरी हो गई, निर्णय सुरक्षित रखा गया है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button